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उत्तर प्रदेश

प्रधानमंत्री ने गाजियाबाद में राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान का उद्घाटन किया

  • 13 Dec 2022
  • 4 min read

चर्चा में क्यों? 

11 दिसंबर, 2022 को गोवा में 9वें विश्व आयुर्वेद कॉन्ग्रेस (डब्ल्यूएसी) के समापन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान का डिजिटल माध्यम से उद्घाटन किया। 

प्रमुख बिंदु 

  • इसके साथ ही समारोह में प्रधानमंत्री ने डिजिटल माध्यम से आयुर्वेद और होम्योपैथी के दो राष्ट्रीय आयुष संस्थान- गोवा में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान और दिल्ली में राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान का भी उद्घाटन किया।
  • उल्लेखनीय है कि एम्स की तर्ज पर बने गाजियाबाद का कमला नेहरू नगर स्थित राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान उत्तर भारत का सबसे बड़ा यूनानी अस्पताल है। यहाँ पर मरीजों के लिये 200 बेड की सुविधा है। 
  • इस संस्थान में यूनानी पद्धति से मरीजों का इलाज किया जाएगा। इससे दिल्ली-एनसीआर के लोगों को आने वाले समय में स्वास्थ्य के क्षेत्र में नई सुविधा मिलेगी। इस संस्थान में 14 विशेषज्ञ चिकित्सक मरीजों का इलाज करेंगे। 
  • राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान के बनने से गाजियाबाद, हापुड़, नोएडा, बुलंदशहर और मेरठ जैसे शहरों से मरीज यहाँ आकर अपना इलाज करा सकेंगे। अस्पताल कैंपस में डॉक्टर और कर्मचारियों का रेसिडेंस भी बनाया गया है।
  • यह यूनानी हॉस्पिटल करीब 10 एकड़ ज़मीन पर 381 करोड़ की लागत से बना है। इसका शिलान्यास वर्ष 2019 में तत्कालीन केंद्रीय आयुष राज्यमंत्री श्रीपद नाइक और केंद्रीय राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह ने किया था।
  • इस संस्थान में बच्चों और महिलाओं के लिये पीकू-नीकू वार्ड हैं। संस्थान में पाँच ऑपरेशन थिएटर, मेटरनिटी विंग, एमआरआई, सीटी स्कैन, ब्लड बैंक, डिजिटल एक्सरे, पैथोलॉजी लैब, आईसीयू, एक्यूप्रेशर कक्ष, फिजियोथेरेपी कक्ष, पंचकर्म कक्ष, जिम्नेजियम, सीएसएसडी, कैंटीन, शैक्षणिक और प्रशासनिक ब्लॉक, ट्यूटोरियल रूम, सेमिनार हॉल, म्यूजियम, लाइब्रेरी, लैब, बहुउद्देश्यीय शोध विभाग, यूनानी फार्मेसी जैसी सुविधाएँ हैं। इसके अलावा यहाँ मरीज स्टीम बाथ, हिप बाथ, सोना बाथ जैसी सुविधाएँ भी ले सकेंगे।
  • संस्थान में अभी ओपीडी में मरीजों का इलाज होगा, वर्ष 2023 से यूनानी विधा की पढ़ाई शुरू हो जाएगी। इस संस्थान में 14 विभाग होंगे। यहाँ यूनानी पद्धति में परास्नातक और शोध की शिक्षा भी मिलेगी। इनमें औषधि विकास, गुणवत्ता नियंत्रण, सुरक्षा मूल्यांकन, यूनानी चिकित्सा और प्रथाओं के वैज्ञानिक सत्यापन पर ध्यान केंद्रित रहेगा।
  • संस्थान श्रीलंका, ईरान, बांग्लादेश, उजबेकिस्तान व अन्य देशों के छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के साथ यूनानी पद्धति का प्रचार प्रसार भी करेगा। इसमें यूनानी दवाओं पर विभिन्न तरह के शोध किये जाएंगे। यहाँ यूनानी पद्धति में परास्नातक और पीएचडी की शिक्षा भी दिलाई जाएगी।  
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