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उत्तराखंड

उत्तराखंड में उच्च शिक्षा में शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिये राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का हुआ शुभारंभ

  • 17 Oct 2022
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

16 अक्टूबर, 2022 को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान एवं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में उच्च शिक्षा में शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिये राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का शुभारंभ किया।

प्रमुख बिंदु

  • केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि देश में सबसे पहले राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने के लिये उत्तराखंड ने उच्च शिक्षा में इसका शुभारंभ कर दिया है।
  • विदित है कि बाल वाटिका से प्रारंभिक शिक्षा में उत्तराखंड ने ही इसकी सबसे पहले शुरुआत की थी।
  • उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड विद्वानों की भूमि है। इस देवभूमि से नई शिक्षा नीति के बेहतर क्रियान्वयन के लिये अभी अनेक विचार आएंगे। अब प्रयास करने होंगे कि आने वाले समय में शत-प्रतिशत बच्चे बाल वाटिकाओं में प्रवेश करें।
  • उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 मानवीय जीवन के सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर बनाई गई है। शिक्षा के अलावा बच्चों के कौशल विकास, उनके व्यक्तित्व के विकास, भाषाई विकास एवं नैतिक मूल्यों पर भी विशेष ध्यान दिया गया है।
  • केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत बच्चों को 3 साल से फॉर्मल एजुकेशन से जोड़ा जा रहा है, जिसके तहत बाल वाटिका शुरू की गई।
  • मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू किये जाने के दिशा में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रभावी एवं चरणबद्ध रूप से सकारात्मक कदम बढ़ाए गए हैं।
  • नई शिक्षा नीति प्रधानमंत्री के नेतृत्व व मार्गदर्शन में तैयार की गई 21वीं सदी के नवीन, आधुनिक, सशक्त और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के नए आयाम खोलने वाली नीति है, जिसे देश के ख्यातिलब्ध शिक्षाविदों द्वारा तैयार किया गया है और ये नए भारत की नई उम्मीदों नई आवश्यकताओं की पूर्ति का सशक्त माध्यम है।
  • राज्य के विद्यालयी शिक्षा एवं उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि एनईपी 2020 के अंतर्गत उच्च शिक्षण संस्थानों में वर्तमान शैक्षणिक सत्र से प्रवेश शुरू कर दिये गए हैं। इसके लिये नई नीति के अनुरूप पाठ्यक्रम तैयार किये गए हैं।
  • विभागीय मंत्री ने बताया कि नई नीति के क्रियान्वयन के लिये राज्यस्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया गया तथा साथ ही स्क्रीनिंग कमेटी और कैरिकुलम डिज़ाइन समिति गठित की गई, जिनकी विभिन्न स्तर पर कई दौर की बैठकों और पब्लिक डोमेन से मिले सुझावों के उपरांत पाठ्यक्रम तैयार किया गया। इस पाठ्यक्रम को सभी विश्वविद्यालयों की बीओएस, एकेडमिक काउंसिल और एग्जीक्युटिव कमेटी द्वारा अप्रूव्ड किया गया है ।
  • उन्होंने बताया कि नई नीति के तहत छात्र-छात्राओं को चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम का लाभ मिलेगा और अब वह अपने मनपसंद विषय एवं विश्वविद्यालय चुन सकेंगे।
  • डॉ. रावत ने बताया कि नए पाठ्यक्रम रिसर्च, इनोवेशन और इंटरप्रेन्योरशिप बेस्ड होंगे। इसमें रोबोटिक्स जैसे एडवांस कोर्स रखे गए हैं। कोकैरिकुलम कोर्स के 6 सेमेस्टरों के प्रत्येक सेमेस्टर में भारतीय ज्ञान परंपरा, कम्युनिकेशन स्किल, इन्वायरमेंट, मैनेजमेंट पैराडाइज ऑफ भगवद् गीता, योगा, विवेकानंद स्टडीज़, पर्सनली डेवलपमेंट, रामचरितमानस, ट्रेडिशनल नॉलेज, वैदिक साइंस और वैदिक गणित जैसे कोर्स भी रखे गए हैं।
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