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उत्तर प्रदेश

लखनऊ, गाज़ियाबाद, प्रयागराज में कूड़े से बनेगी सीएनजी

  • 18 Oct 2022
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

17 अक्टूबर, 2022 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने बताया कि इंदौर की तर्ज़ पर प्रदेश के तीन शहरों- लखनऊ, गाज़ियाबाद, प्रयागराज में कूड़े से सीएनजी निर्माण के प्लांट लगाए जाने के आदेश जारी कर दिये गए हैं।

प्रमुख बिंदु

  • विदित है कि इंदौर की तर्ज़ पर उत्तर प्रदेश के भी 4 शहरों में गीले कचरे से सीएनजी बनाने की तैयारी है। कूड़े से सीएनजी बनाए जाने की मंज़ूरी के बाद लखनऊ, गाज़ियाबाद, प्रयागराज में पीपीपी मॉडल पर सीएनजी प्लांट लगाए जाएंगे, जबकि गोरखपुर भी कतार में है।
  • इनमें रोज़ाना 34000 किलो सीएनजी बनेगी तथा इसे बनाने में रोज़ाना करीब 1000 टन कचरा इस्तेमाल होगा। इससे 3.65 लाख मीट्रिक टन कचरा कूड़ा निस्तारण प्लांट में जाने से बचेगा।
  • लखनऊ और गाज़ियाबाद में एक ही कंपनी एवर इनवायरो रिसोर्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड कूड़े से सीएनजी बनाएगी, जबकि प्रयागराज में इंडो इनवायरो इंटीग्रेटेड सोल्यूशन लिमिटेड कंपनी को ज़िम्मेदारी दी गई है। इन कंपनियों को खुद अपने खर्चे पर प्लांट लगाना होगा। नगर निगम की तरफ से इन्हें कोई भी आर्थिक मदद नहीं दी जाएगी।
  • लखनऊ तथा गाज़ियाबाद नगर निगम कंपनी को एक रुपए की लीज़ पर 12-12 एकड़ ज़मीन देंगे, जबकि प्रयागराज और गोरखपुर नगर निगम को 10-10 एकड़ ज़मीन देना होगा। इस ज़मीन के बदले नगर निगम को रॉयल्टी भी मिलेगी। सीएनजी बनाने वाली कंपनी लखनऊ और गाज़ियाबाद को प्रतिवर्ष 74-74 लाख तथा प्रयागराज और गोरखपुर नगर निगम को 56-56 लाख रुपए रॉयल्टी देगी।
  • कूड़े से सीएनजी बनाने का प्लांट लगने के बाद इन चारों शहरों में रोज़ाना 2.50 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड तथा ग्रीनहाउस गैसेज़ कम होंगी।
  • लखनऊ तथा गाज़ियाबाद के लिये सीएनजी बनाने में 300-300 टन गीले कचरे का इस्तेमाल किया जाएगा, जबकि प्रयागराज और गोरखपुर के प्लांट में 200-200 टन कचरा रोज़ाना इस्तेमाल होगा। इस तरह चारों शहरों में रोज़ाना 1000 टन कचरे से 34000 किलो सीएनजी बनेगी।
  • शासन की कमेटी ऑफ सेक्रेट्रीज ने बताया कि जिन स्थानों पर सीएनजी प्लांट लगाए जाएंगे, वहाँ आने-जाने का रास्ता नगर निगमों को बनाना होगा तथा इसके साथ ही बिजली, पानी, मार्ग प्रकाश व्यवस्था, जल निकासी तथा सीवर की सुविधा भी नगर निगम को देनी होगी, जिससे प्लांटों में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से 8000 लोगों को रोज़गार भी मिलेगा।
  • सीएनजी प्लांट से जो जैविक खाद उत्पन्न होगी, उसे किसानों को दिया जाएगा, जिसे गंगा व राज्य की अन्य नदियों के किनारे खेती के लिये इस्तेमाल किया जाएगा। इससे रासायनिक खाद का प्रयोग कम होगा और मिट्टी की उर्वराशक्ति बढ़ेगी। साथ ही नदी के पानी में रासायनिक उर्वरकों का मिश्रण भी रुकेगा।    
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