उत्तर प्रदेश
IUCN की पहली घड़ियाल "ग्रीन स्टेटस" असेसमेंट रिपोर्ट
- 10 Oct 2025
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चर्चा में क्यों?
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने घड़ियाल (Gavialis Gangeticus) की पहली 'ग्रीन स्टेटस' (Green Status) का आकलन जारी किया है।
- प्रजाति को लगातार संरक्षण प्रयासों के बावजूद जारी खतरों के कारण “गंभीर रूप से क्षीण” (Critically Depleted) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
मुख्य निष्कर्ष
- वर्तमान जनसंख्या और आवास: चंबल नदी (उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में लगभग 500 किमी. तक विस्तृत है) घड़ियालों का अंतिम प्रमुख आश्रय स्थल बनी हुई है, जहाँ कई हज़ार घड़ियाल पाए जाते हैं।
- चंबल अभयारण्य (1979 में स्थापित) वन में घड़ियालों की प्रजनन योग्य संख्या वाला एकमात्र स्थल है। यह अभयारण्य गंगा नदी डॉल्फिन और रेड-क्राउन रूफ्ड टर्टल जैसी अन्य लुप्तप्राय प्रजातियों का भी संरक्षण करता है।
- अन्य संख्याएँ केवल उत्तर भारत और नेपाल में छोटे तथा पृथक क्षेत्रों में ही पाई जाती हैं।
- विश्व वन्यजीव कोष (WWF) इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, केवल 0.5% युवा घड़ियाल ही वयस्क अवस्था तक जीवित रहते हैं, जो उनके घोंसले बनाने वाले आवासों की सुरक्षा की अत्यंत आवश्यकता को रेखांकित करता है, जिससे उनकी पुनर्प्राप्ति में सहायता मिल सके।
- ऐतिहासिक क्षेत्र और ह्रास: एक समय में गंगा, ब्रह्मपुत्र, महानदी, सिंधु और इरावती जैसे प्रमुख नदी प्रणालियों में व्यापक रूप से पाए जाने वाले घड़ियालों को बड़े पैमाने पर बालू खनन, शिकार (पशुओं की खाल के लिये), अंडों का संग्रह तथा बाँधों तथा बैराजों के निर्माण के कारण तेज़ी से आवासीय विनाश का सामना करना पड़ा।
- 1970 के दशक तक यह प्रजाति अपने ऐतिहासिक क्षेत्र के लगभग 98% क्षेत्र से विलुप्त हो चुकी थी।
- वर्तमान अनुमान के अनुसार वन में लगभग 681 वयस्क घड़ियाल बचे हैं, जिनमें से 80% चंबल नदी में आवास करते हैं।
- IUCN 'ग्रीन स्टेटस' बनाम रेड लिस्ट: IUCN ग्रीन स्टेटस पारंपरिक रेड लिस्ट से भिन्न है, क्योंकि इसमें केवल विलुप्त होने के जोखिम के बजाय पूर्ण पारिस्थितिक पुनर्प्राप्ति (Full Ecological Recovery) की दिशा में प्रगति का आकलन किया जाता है।