राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स
भारत की प्रथम पूर्णतः विद्युत चालित टग परियोजना
- 04 Dec 2025
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चर्चा में क्यों?
केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने भारत के प्रथम पूर्ण-इलेक्ट्रिक ग्रीन टग को वर्चुअली प्रस्थान-संकेत दिया, जो ग्रीन टग ट्रांजिशन प्रोग्राम (GTTP) के तहत सतत् तथा ऊर्जा-कुशल समुद्री परिचालन के क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय उपलब्धि है।
टग (या टगबोट) एक शक्तिशाली तथा अत्यधिक नियंत्रित रूप से संचालित होने वाला पोत है, जिसका उपयोग बड़े जहाज़ों को बंदरगाह क्षेत्रों में मार्गदर्शन, टोइंग, बर्थिंग, एस्कॉर्टिंग तथा आपात प्रतिक्रिया जैसे परिचालनों में किया जाता है, विशेषकर उन सीमित जलक्षेत्रों में जहाँ अत्यधिक परिशुद्धता की आवश्यकता होती है।
मुख्य बिंदु
- उद्देश्य तथा डिज़ाइन:
- दीनदयाल पोर्ट अथॉरिटी (DPA), कांडला के लिये निर्मित यह टगबोट भारत के समुद्री डी-कार्बोनाइजेशन लक्ष्यों को आगे बढ़ाने हेतु विकसित किया जा रहा है।
- यह शांत संचालन, शून्य कार्बन उत्सर्जन, अनुकूलित ऊर्जा दक्षता तथा 60-टन बोलार्ड-पुल क्षमता सुनिश्चित करेगा।
- GTTP रोडमैप:
- ग्रीन टग ट्रांजिशन प्रोग्राम का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 50 ग्रीन टग शामिल करना है। चरण-I (2024–2027) में 16 टग निर्धारित हैं।
- DPA, पारादीप पोर्ट अथॉरिटी, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी तथा VO चिदंबरनार पोर्ट अथॉरिटी में दो-दो टग स्थापित किये जाएंगे, जिनमें DPA निर्माण प्रारंभ करने वाला पहला बंदरगाह होगा।
- भविष्य का एकीकरण:
- तैनाती के उपरांत यह टग शून्य उत्सर्जन के साथ बंदरगाह संचालन, अनुरक्षण तथा आपातकालीन प्रतिक्रियाओं में सहयोग करेगा। यह भविष्य के GTTP चरणों के लिये महत्त्वपूर्ण परिचालन डेटा भी उत्पन्न करेगा।
- यह पहल मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030, अमृतकाल प्रतिबद्धताओं और अंतर्राष्ट्रीय डी-कार्बोनाइजेशन ढाँचों के अनुरूप है।
- रणनीतिक प्रभाव:
- DPA की यह पहल भारत के स्वच्छ-ऊर्जा बंदरगाहों की ओर संक्रमण को रेखांकित करती है, अत्रेय शिपयार्ड के माध्यम से मेक इन इंडिया जहाज-निर्माण को सुदृढ़ बनाती है और देश को हरित समुद्री नवाचार के एक उभरते वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करती है।