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झारखंड

मत्स्य पालन विभाग के सचिव ने केज फार्मिंग की समीक्षा के लिये गेतलसूद बांध का दौरा किया

  • 02 Mar 2024
  • 4 min read

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में मत्स्य विभाग के सचिव ने केज फार्मिंग की प्रगति की समीक्षा के लिये राँची के गेतलसूद बांध का दौरा किया। यह समीक्षा झारखंड मत्स्य पालन विभाग के सहयोग से की गई।

मुख्य बिंदु:

  • गेतलसूद जलाशय केज फार्मिंग के माध्यम से पंगेसियस और तिलापिया मछली प्रजातियों के संरक्षण के लिये एक केंद्र के रूप में कार्य करता है।
  • केज फार्मिंग पर कार्य वर्ष 2012-13 में शुरू हुआ, जिसमें विभिन्न योजनाओं के तहत 365 पिंजरे की स्थापना के साथ महत्त्वपूर्ण सफलता मिली।
    • इन पिंजरों ने 25 लाख से अधिक फिंगरलिंग (एक छोटी मछली) के वार्षिक भंडारण के साथ, मछली की आबादी में वृद्धि में योगदान दिया है।
    • बाज़ार तक पहुँच पहले से ही स्थापित है, स्थानीय रूप से उत्पादित मछली आस-पास के बाज़ारों में औसतन 120 रुपए प्रति किलोग्राम की कीमत पर बेची जाती है, जो क्षेत्र की आर्थिक समृद्धि में योगदान करती है।
  • नीली क्रांति से संबंधित केंद्रीय क्षेत्र योजना (CSS) के तहत, मत्स्य विभाग ने वर्ष 2015-16 से वर्ष 2019-20 तक मत्स्य पालन के लिये एकीकृत विकास और प्रबंधन योजना शुरू की।
    • इस योजना के तहत कुल 14,022 पिंजरे स्वीकृत किये गए, जिसकी परियोजना लागत 420 करोड़ रुपए है।
    • प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत, 44,908 पिंजरों के लिये मंज़ूरी दी गई है, जिसकी कुल परियोजना लागत 1292.53 करोड़ रुपए है।

केज फार्मिंग

  • इसमें जाल के पिंजरे में बंद रहते हुए मौजूदा जल संसाधनों में मछलियों को बढ़ाना शामिल है जो जल के मुक्त प्रवाह की अनुमति देता है।
  • यह एक जलीय कृषि उत्पादन प्रणाली है जो बड़ी संख्या में मछलियों को रखने और पालने के लिये एक गोल या चौकोर आकार के फ्लोटिंग जाल के साथ एक फ्लोटिंग फ्रेम, जाल सामग्री एवं रस्सी, बोया, लंगर आदि के साथ मूरिंग सिस्टम से बनी होती है तथा इसे जलाशय, नदी, झील या समुद्र में स्थापित किया जा सकता है।
  • पिंजरे के फार्म प्राकृतिक धाराओं का उपयोग करने के लिये इस तरह से स्थित हैं, जो मछली को ऑक्सीजन और अन्य उपयुक्त प्राकृतिक परिस्थितियाँ प्रदान करते हैं।

भारत में नीली क्रांति

  • इसे भारत में सातवीं पंचवर्षीय योजना (FYP) के दौरान लॉन्च किया गया था जो वर्ष 1985 से वर्ष 1990 तक चली थी, जिसके दौरान सरकार ने मत्स्य किसान विकास एजेंसी (FFDA) को प्रायोजित किया था।
  • 8वीं FYP के दौरान, वर्ष 1992-97 तक, गहन समुद्री मत्स्य पालन कार्यक्रम शुरू किया गया था जिसमें बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ सहयोग को प्रोत्साहित किया गया था।
  • समय के साथ, तूतीकोरिन, पोरबंदर, विशाखापत्तनम, कोच्चि और पोर्ट ब्लेयर में मत्स्यन के बंदरगाह स्थापित किये गए।

प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMSSY)

  • PMMSY को 20,050 करोड़ रुपए के निवेश के साथ 'आत्मनिर्भर भारत' के हिस्से के रूप में पेश किया गया था। जो इस क्षेत्र में अब तक का सबसे अधिक निवेश है।
  • संस्थागत ऋण तक पहुँच को सुविधाजनक बनाने हेतु मछुआरों को बीमा कवरेज, वित्तीय सहायता और किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की सुविधा भी प्रदान की जाती है।
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