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गंगा की सांस्कृतिक विरासत की खोज़ एवं संरक्षण

  • 18 Sep 2021
  • 2 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में गंगा की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिये किये जा रहे प्रयासों के क्रम में केंद्रीय टीम द्वारा इत्र नगरी ‘कन्नौज’ में परंपरागत इत्र उद्योग, गट्टा, धार्मिक स्थल, घाट का अध्ययन किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • गौरतलब है कि वर्ष 2019 से केंद्र सरकार के जलशक्ति मंत्रालय द्वारा गंगा नदी के दोनों किनारों पर 51 किमी. दूरी तक अवस्थित प्राकृतिक, स्थापत्य संबंधी एवं अमूर्त विरासतों को संरक्षित करने के उद्देश्य से नमामि गंगा परियोजना के तहत नमामि गंगा सांस्कृतिक दस्तावेज़ीकरण परियोजना क्रियान्वित की जा रही है।
  • नमामि गंगे परियोजना केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2014 में प्रारंभ की गई एक फ्लैगशिप परियोजना है, जिसका मुख्य उद्देश्य गंगा नदी के प्रदूषण को कम करना एवं गंगा नदी का पुनर्जीवन है। 
  • इसका क्रियान्वयन राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा किया जा रहा है, जो राष्ट्रीय गंगा परिषद की क्रियान्वयन शाखा है।
  • कन्नौज, जिसे भारत की इत्र नगरी कहा जाता है, 7वीं सदी में पुष्यभूति वंश के शासक राजा हर्षवर्द्धन की राजधानी थी। इसके लिये बाणभट्ट द्वारा ‘महोदय श्री’ संबोधन का प्रयोग किया गया है। हर्षवर्द्धन की मृत्यु के पश्चात् कन्नौज पाल, प्रतिहार एवं राष्ट्रकूटों के मध्य त्रिपक्षीय संघर्ष का केंद्र बन गया था।
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