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छत्तीसगढ़

चरण पादुका योजना

  • 09 Jul 2025
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

छत्तीसगढ़ सरकार ने 'चरण पादुका योजना' को पुनर्जीवित किया, जो राज्य में तेंदू पत्ता संग्राहकों को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से एक फुटवियर योजना है।

  • इस योजना से 1.24 मिलियन से अधिक तेंदू पत्ता संग्राहकों को लाभ मिलेगा और राज्य सरकार ने इसके कार्यान्वयन के लिये 40 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया है।

मुख्य बिंदु

योजना के बारे में:

  • चरण पादुका योजना मूलतः राज्य सरकार द्वारा नवंबर 2005 में शुरू की गई थी।
  • इस योजना के तहत तेंदू पत्ता संग्रहण में शामिल 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के परिवार के दो सदस्यों को प्रति वर्ष एक जोड़ी जूते उपलब्ध कराए जाते हैं।
  • शुरुआत में, प्रति परिवार केवल एक पुरुष सदस्य ही पात्र था। हालाँकि, 2008 में, सरकार ने महिला सदस्यों को भी पात्रता प्रदान कर दी।
  • यह योजना विशेष रूप से छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों पर लागू होती है।

योजना के पुनः आरंभ का महत्व:

  • यह पुनः लॉन्च जनजातीय और वन-आश्रित समुदायों के उत्थान के लिये सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  • तेंदू पत्ता संग्राहक परिवार वन आधारित आजीविका के संरक्षण तथा छत्तीसगढ़ की पारंपरिक अर्थव्यवस्था को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • वन आजीविका के लिये समर्थन की पुष्टि करते हुए, मुख्यमंत्री ने तेंदू पत्ता संग्रहण दर को 4,500 रुपए से बढ़ाकर 5,500 रुपए प्रति मानक बोरा करने की घोषणा की।

तेंदू पत्ता

  • परिचय 
    • तेंदू पत्ता, जिसे हरा सोना भी कहा जाता है, एक गैर-लकड़ी वन उपज (NTFP) है। तेंदू पत्ते का वानस्पतिक नाम 'डायोस्पायरोस मेलानोक्सिलोन' है।
    • इन पत्तियों का उपयोग बीड़ी बनाने में किया जाता है, जो स्थानीय लोगों के बीच एक लोकप्रिय धूम्रपान है।
  • तेंदू पत्ता उत्पादक राज्य:
    • भारत में बीड़ी पत्ता उत्पादक राज्यों में मुख्यतः मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, झारखंड, गुजरात और महाराष्ट्र शामिल हैं।
  • महत्त्व:
    • औषधि: पारंपरिक चिकित्सक तेंदू के छोटे फलों का उपयोग मलेरिया, दस्त और पेचिश के निदान के लिये करते हैं।
    • अपने रोगाणुरोधी गुणों के कारण, इन पत्तियों को कटने और चोट लगने पर भी लगाया जाता है।
  • आजीविका का स्रोत:
    • तेंदू पत्ता आदिवासी गाँवों के लिये एक प्रमुख आजीविका स्रोत है, क्योंकि यह राज्य की सबसे प्रमुख लघु वनोत्पाद (MFP) है।
    • MFP में वनस्पति मूल के सभी गैर-लकड़ी वन उत्पाद शामिल होते हैं, जिनमें बाँस, बेंत, चारा, पत्तियाँ, गोंद, मोम, रंग, रेजिन और कई प्रकार के खाद्य पदार्थ जैसे मेवे, जंगली फल, शहद, लाख, टसर आदि शामिल हैं।
    • ये उत्पाद उनके भोजन, फल, औषधियों और अन्य उपभोग की वस्तुओं का एक बड़ा हिस्सा बनाते हैं और बिक्री के माध्यम से नकद आय भी प्रदान करते हैं।

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