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बिहार

नीति आयोग के एक्सपोर्ट इंडेक्स में बिहार को 22वाँ स्थान

  • 31 Jul 2023
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

  • 30 जुलाई, 2023 को नीति आयोग द्वारा जारी एक्सपोर्ट इंडेक्स में बिहार का देश में ओवर ऑल 22वाँ स्थान है।

प्रमुख बिंदु

  • इंडेक्स के अनुसार राज्य में सबसे अधिक निर्यात बेगूसराय ज़िला से हो रहा है। बिहार धीरे-धीरे निर्यात के हर पैमाने पर आगे बढ़ रहा है। अभी देश के कुल निर्यात में बिहार का मात्र 0.52 फीसद ही भागीदारी है, जिसे 2025 तक बढ़ाकर 10 करने की योजना है।
  • राज्य एक्सपोर्ट इंडेक्स के अन्य पैमाने पर भी धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। बिजनेस इकोसिस्टम में 27वाँ, निर्यात नीति के मामले में 13वाँ, निर्यात इकोसिस्टम में 25वाँ, निर्यात परफॉरमेंस में 29वाँ और लैंडलॉक स्टेट से होने वाले निर्यात में बिहार का 9वाँ स्थान है।
  • नीति आयोग ने इस बात का भी खुलासा किया है कि ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ और ‘क्लस्टर योजना’ लागू होने के बाद से बिहार से निर्यात बढ़ रहा है तथा आजादी के 75 साल के अवसर पर आयोजित अमृत महोत्सव के तहत बिहार से दुनिया के 75 देशों में निर्यात की योजना है।
  • विदित है कि राज्य में निर्यात के लिये बुनियादी सुविधा अभी तक विकसित नहीं हुई है। न तो राज्य में अभी तक कोई विशेष आर्थिक परिक्षेत्र (एसईजेड) बना है, न ही कस्टम क्लियरेंस की सुविधा निर्यातकों को उपलब्ध करवाई गई है।
  • राज्य में पटना के बिहटा शहर में इनलैंड कंटेनर डिपो तो है, लेकिन वहाँ कोई विशेष सुविधा नहीं है। निर्यात के लिये पोर्ट या एयरपोर्ट तक उत्पाद पहुँचाने के लिये भाड़े में सब्सिडी तक की व्यवस्था नहीं की गई है, हालाँकि कई केंद्रीय एजेंसी राज्य के निर्यातकों को मदद करने के लिये आगे आई है।
  • बिहार के हस्तशिल्प उत्पाद को बढ़ावा देने के लिये एक तरफ जहाँ एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ हैंडिक्राफ्ट (इपीसीएच) आगे आया है, वहीं सिल्क निर्यातक को मदद के लिये इंडियन सिल्क एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (आइएसइपीसी) तैयार है।
  • केंद्रीय योजना के तहत निर्यातक को अंतर्राष्ट्रीय मेला में भाग लेने के लिये 1.25 लाख तक की मदद सरकार देगी।
  • बिहार के एक दर्जन से अधिक उत्पाद ज्योग्राफिकल इंडीकेशन (जीआइ) टैग लेकर भी निर्यात नीति नहीं होने के कारण आगे नहीं बढ़ रहे हैं। स्थान-क्षेत्र विशेष के उत्पाद को जीआई टैगिंग मिलने से अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार आसानी से मिल जाता है। इससे वैश्विक पैमाने पर ग्राहकों का विश्वास मिलता है।
  • गौरतलब है कि मधुबनी पेंटिंग, मुज़फ्फरपुर की शाही लीची, मखाना, सीतामढ़ी की सुजनी, सिक्की आर्ट्स, भागलपुरी सिल्क, करतनी चावल, जर्दालु आम, सिलाव का खाजा और मगही पान आदि जीआई टैग हासिल कर चुके हैं।
  • जीआई टैग के बिना बिहार से गेहूँ, चावल, मक्का, बेबीकॉर्न, सब्जी, दवाएँ, चमड़े का सामान और माँस के साथ-साथ पेट्रो उत्पादों का भी निर्यात होता है।
  • ज्ञातव्य है कि राज्य से होने वाले कृषि निर्यात में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। बिहार से वर्ष 2021 तक 2671 करोड़ रुपए का कृषि वस्तुओं का निर्यात किया गया है। राज्य से होने वाले निर्यात में मुज़फ्फरपुर की शाही लीची, भागलपुर का करतनी चावल, जर्दालु आम, गेहूँ, चावल, मक्का, बेबीकॉर्न और सब्जी आदि शामिल हैं।
  • बिहार के हस्तशिल्प उत्पाद की मांग दुनिया के कई देशों में हो रही है। अधिकांश वस्तुओं का निर्यात दूसरे राज्यों से होता है। अब धीरे-धीरे बिहार से भी निर्यात होने लगा है। बिहार से सालाना 36 करोड़ रुपए की हस्तशिल्प वस्तुओं का निर्यात हो रहा है। इसे बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं।
  • आयात-निर्यात बैंक के अध्ययन आधारित सुझाव:
    • उत्पादों की गुणवत्ता अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार के हिसाब से हों, इसकी मॉनिटरिंग के लिये बुनियादी ढाँचा सुधारें। निर्यातकों को वित्तीय प्रोत्साहन दें, निर्यात संवर्धन अभियान चलाएँ।
    • मुज़फ्फरपुर और भागलपुर में अंतर्देशीय कंटेनर डिपो (आईसीडी) स्थापित करने और पटना के मौज़ूदा आईसीडी में एक कस्टम क्लीयरेंस ऑफिस बनाएँ, निर्यात के लिये जरूरी सर्टिफिकेशन की व्यवस्था दें।
    • राज्य में वेयरहाउसिंग और कोल्ड चेन के बुनियादी ढाँचे को बढ़ाने के साथ पटना, मुज़फ्फरपुर और भागलपुर में विशेष आर्थिक परिक्षेत्र का विकास करें।
    • बुनियादी ढाँचागत सुविधाओं के अभाव में निर्यातकों की लागत बढ़ जाती है। इसे कम करने के लिये ढुलाई-भाड़ा में सब्सिडी दें। राज्य नीति के कारण निर्यातकों का खर्च बढ़े तो रिफंड दें।
  • वे उत्पाद जिनका कुल निर्यात में हिस्सा है:
    • पेट्रोलियम उत्पाद 66%
    • माँस 6%
    • चावल 10%
    • दवाएँ 3.7%
    • गेहूँ 1.3%
    • फल एवं सब्जी 1.2%
    • मशीनरीज 0.8%
    • हस्तशिल्प 1.0%

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