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पीआरएस कैप्सूल्स


विविध

मार्च 2023

  • 31 Mar 2023
  • 18 min read

PRS की प्रमुख हाइलाइट्स

  संसद  

वित्त विधेयक, 2023 

वर्ष 2023-23 के लिये सरकार के वित्तीय प्रस्तावों को प्रभावी करने हेतु संसद ने वित्त विधेयक, 2023 पारित किया। विधेयक को 64 संशोधनों के साथ पारित किया गया था। विधेयक की प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं:

  • नई आयकर व्यवस्था में बदलाव: टैक्स स्लैब की संख्या छह से घटाकर पाँच कर दी गई है। 5 करोड़ रुपए से अधिक की आय पर अधिभार 37% से घटाकर 25% किया जाएगा। 
  • ऋण म्युचुअल फंड से पूंजीगत लाभ: डेट म्युचुअल फंड या बाज़ार से जुड़े डिबेंचर की बिक्री या हस्तांतरण से प्राप्त प्रतिफल को अल्पकालिक पूंजीगत लाभ माना जाएगा।
  • कर छूट में परिवर्तन: समाचारों के संग्रह और वितरण हेतु गठित समाचार एजेंसियों के लिये कर छूट को पूरी तरह से हटा दिया जाएगा।
    • आयकर छूट का लाभ उठाने के लिये धर्मार्थ ट्रस्ट्स को अपनी वार्षिक आय का 85% कल्याण कार्यों में लगाना होता है।
  • प्रकल्पित कराधान: आनुमानिक कराधान का पात्र होने के लिये सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME)  हेतु टर्नओवर की अधिकतम सीमा को 2 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 3 करोड़ रुपए कर दिया गया है। 
    • आनुमानिक कराधान के पात्र प्रोफेशनल्स के लिये सकल प्राप्तियों की अधिकतम सीमा 50 लाख रुपए से बढ़ाकर 75 लाख रुपए कर दी गई है।
  • सहकारी समितियाँ: विनिर्माण के काम में लगी नई सहकारी समितियों के लिये आयकर की दर 22% से घटाकर 15% कर दी गई है।

  वित्त  

प्रतिस्पर्द्धा (संशोधन) विधेयक, 2022 

  • प्रतिस्पर्द्धा (संशोधन) विधेयक, 2022 को कुछ संशोधनों के साथ लोकसभा में पारित कर दिया गया। यह विधेयक प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 में संशोधन करने का प्रयास करता है। 
    • अधिनियम बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धा को विनियमित करने के लिये भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) की स्थापना करता है। 

आभासी डिजिटल संपत्ति 

  • आभासी डिजिटल संपत्ति  (जैसे क्रिप्टोकरेंसी) में शामिल लेन-देन को वित्त मंत्रालय मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002 के दायरे में लाया है।
    • अधिनियम के तहत अपराध की आय को छुपाने, रखने या प्राप्त करने और इसके बेदाग संपत्ति होने का दावा करने वाले व्यक्ति मनी लॉन्ड्रिंग के दोषी होते हैं। 
  • मनी लॉन्ड्रिंग सात वर्ष तक के कठोर कारावास और जुर्माने के साथ दंडनीय है। इसमें निम्नलिखित गतिविधियों को शामिल किया जाएगा:
    • वर्चुअल डिजिटल एसेट्स और फिएट करेंसी के बीच एक्सचेंज
    • वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के एक या अधिक प्रकारों के बीच एक्सचेंज
    • वर्चुअल डिजिटल एसेट्स का ट्रांसफर
    • वर्चुअल डिजिटल एसेट या ऐसी संपत्ति पर नियंत्रण देने वाले उपकरणों को सुरक्षित रखना या प्रशासन करना। 
    • वर्चुअल डिजिटल एसेट्स में काम करने वाली संस्थाओं (जैसे क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज) को कुछ दायित्वों को पूरा करना होगा जैसे: 
      • आधार या अन्य वैध दस्तावेज़ों के माध्यम से अपने ग्राहकों की पहचान को सत्यापित करना।
      • सभी लेन-देन का रिकॉर्ड बनाए रखना।
      • निर्दिष्ट लेन-देन शुरू करने से पहले उचित सावधानी बरतना।

  पर्यावरण  

वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 

  • वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 को लोकसभा में पेश किया गया। यह विधेयक वन संरक्षण अधिनियम, 1980 में संशोधन करता है जो वन भूमि के संरक्षण का प्रावधान करता है। 
    • विधेयक कुछ प्रकार की भूमि को कानून के दायरे में लाता और कुछ को इसके दायरे से हटाता भी है। इसके अलावा यह वन भूमि पर की जाने वाली गतिविधियों की सूची को विस्तृत करता है। 

  वाणिज्य एवं उद्योग  

विदेश व्यापार नीति 2023 

  • विदेश व्यापार नीति (FTP) 2023 को 31 मार्च, 2023 को जारी किया गया था और यह 1 अप्रैल, 2023 से प्रभावी होगी।  नई नीति विदेश व्यापार नीति 2015-20 के स्थान पर लाई गई है, जिसे 31 मार्च, 2023 तक बढ़ाया गया था। 

जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधयेक, 2022

  • जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, 2022 पर गठित संयुक्त समिति ने 17 मार्च, 2023 को अपनी रिपोर्ट पेश की।
    • विभिन्न कानूनों के तहत अपराधों का "गैर-अपराधीकरण" कर और जेल की सज़ा को हटाकर, यह बिल कारोबारी सुगमता को बढ़ाने का प्रयास करता है। कुल मिलाकर विधेयक 42 कानूनों में संशोधन का प्रयास करता है। 

  सहयोग  

बहु-राज्य सहकारी समितियाँ (संशोधन) विधेयक, 2022

यह विधेयक बहु-राज्यीय सहकारी समिति अधिनियम, 2002 में संशोधन करता है जो एक से अधिक राज्यों में काम करने वाली बहु-राज्यीय सहकारी समितियों को विनियमित करता है। विधेयक को 7 दिसंबर, 2022 को लोकसभा में पेश किया गया था और 20 दिसंबर, 2022 को संयुक्त समिति को भेज दिया गया था। अपनी रिपोर्ट में समिति ने विधेयक के तहत प्रस्तावित अधिकांश संशोधनों का समर्थन किया। 


  रसायन एवं उर्वरक  

नैनो उर्वरकों पर रिपोर्ट 

रसायन एवं उर्वरक संबंधी स्थायी समिति ने 21 मार्च, 2023 को 'सतत् फसल उत्पादन और मृदा स्वास्थ्य बरकरार रखने के लिये नैनो-उर्वरक' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। समिति के प्रमुख निष्कर्ष और सुझाव निम्नलिखित हैं:

  • नैनो-उर्वरकों का विकास: भारत में उर्वरकों की खपत असंतुलित है और नाइट्रोजन उर्वरकों में यूरिया का हिस्सा 82% है। यूरिया जैसे पारंपरिक उर्वरक उपयोग इकोसिस्टम को प्रदूषित करते हैं। समिति ने कहा कि भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (इफ्को) ने नैनो यूरिया विकसित किया है जो उर्वरकों के असंतुलित उपयोग को दूर करने का प्रयास करता है। 
    • नैनो यूरिया को फरवरी 2021 में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने नैनो-उर्वरक के रूप में अधिसूचित किया था।
  • नैनो-उर्वरकों के लाभ: समिति ने गौर किया कि नैनो-उर्वरकों की कीमत सब्सिडी वाले पारंपरिक उर्वरकों से कम है। 
  • इसके परिणामस्वरूप फसल की उत्पादकता बेहतर हो सकती है और किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है। 

  पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस  

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (Pradhan Mantri Ujjwala Yojana- PMUY) के तहत सब्सिडी को मंज़ूरी दी। सब्सिडी लाभार्थी के बैंक खाते में जमा की जाएगी।   
    • यह फैसला अंतर्राष्ट्रीय तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (LPG) की कीमतों में वृद्धि के मद्देनज़र किया गया है।
  • PMUY को वर्ष 2016 में लॉन्च किया गया था और इसका उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की महिलाओं को LPG कनेक्शन प्रदान करना है। 
  • अतिरिक्त परिवारों को कवर करने के लिये PMUY चरण 2 (उज्ज्वला 2.0) को अगस्त 2021 में लॉन्च किया गया था।  

  जल संसाधन  

भूजल पर रिपोर्ट 

जल संसाधन संबंधी स्थायी समिति ने 17 मार्च, 2023 को ‘भूजल: एक मूल्यवान, किंतु घटता संसाधन’ पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। समिति के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • केंद्रीय निकाय का गठन: राज्य और केंद्रीय दोनों स्तरों पर कई निकाय वर्तमान में पानी से संबंधित मुद्दों के लिये ज़िम्मेदार हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं।
    • केंद्रीय मंत्रालय जैसे कि जल शक्ति, ग्रामीण विकास और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
    • राज्य विभाग
    • राज्य और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
    • केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) और केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA) जैसे समर्पित प्राधिकरण। 
  • समिति ने गौर किया कि उनके बीच समन्वय की कमी है और सुझाव दिया कि जल शक्ति मंत्रालय ऊपर वर्णित संस्थाओं के प्रतिनिधित्व के साथ एक केंद्रीय निकाय का गठन करे।
  • कानून: वर्ष 1970 में सर्कुलेट किये गए एक मॉडल विधेयक के आधार पर 19 राज्यों में भूजल प्रबंधन पर कानून पारित किये गए हैं और अंतिम बार वर्ष 2005 में उसमें संशोधन किया गया है।
    • समिति ने कहा कि दिशा-निर्देशों के अभाव में इन कानूनों को लागू करने में कठिनाइयाँ हुईं। उन्होंने सुझाव दिया कि जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग इस संबंध में तत्काल कार्रवाई करे।
  • सिंचाई: समिति ने कहा कि सिंचाई के लिये भूजल पर अत्यधिक निर्भरता है क्योंकि धान और गन्ना जैसी जल-गहन फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) अधिक होता है।
  • किसानों को वित्तीय सहायता और सिंचाई के लिये मुफ्त या रियायती बिजली प्रदान करने वाली योजनाओं ने इस समस्या को बढ़ाया है। 
  • समिति ने सुझाव दिया कि जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग को कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के साथ मिलकर काम करना चाहिये जिससे कम पानी की खपत वाली फसलों और खेती के तरीकों को बढ़ावा दिया जा सके।
  • जलवायु परिवर्तन: राष्ट्रीय सौर मिशन और अन्य के साथ राष्ट्रीय जल मिशन जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना को लागू करने वाले अभियानों में से एक है। 
    • यह जल संसाधनों के संरक्षण, कुशल प्रबंधन और समान वितरण पर रणनीति तैयार करने और इस उद्देश्य के लिये केंद्र सरकार के विभागों के बीच समन्वय हेतु ज़िम्मेदार है। समिति ने कहा कि इस अभियान में धन तथा स्वायत्तता की कमी है है और सुझाव दिया कि इसे मज़बूत किया जाए।

  आवासन  

PMAY-शहरी के मूल्यांकन से संबंधित रिपोर्ट 

  • आवासन एवं शहरी मामलों संबंधी स्थायी समिति ने ‘प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के कार्यान्वयन के मूल्यांकन’ पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। 
  • वर्ष 2015 में शुरू की गई प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी (PMAY-U) बुनियादी सुविधाओं के साथ पक्के घरों के निर्माण के लिये राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को केंद्रीय सहायता प्रदान करती है। 
    • प्रारंभ में योजना की अवधि वर्ष 2021-22 थी, लेकिन इसे 31 दिसंबर, 2024 तक बढ़ा दिया गया है। समिति के मुख्य निष्कर्षो और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
  • आवास की मांग के आकलन में कमियाँ: PMAY-U के तहत शुरू में यह अनुमान लगाया गया था कि कुल दो करोड़ घरों की कमी है। हालाँकि योजना के तहत आवास की वास्तविक मांग 1.23 करोड़ है। मंत्रालय ने समिति को सूचित किया कि आवास की कमी का प्रारंभिक आँकड़ा अनुमानों पर आधारित था, जबकि योजना मांग आधारित थी। समिति ने पाया कि चूँकि यह एक मांग आधारित योजना है, इसलिये हो सकता है कि कुछ बेघर लोगों ने पात्रता शर्तों को पूरा न करने या भूमि की अपेक्षा के कारण इसका लाभ नहीं उठाया हो।
  • उसने मंत्रालय को सुझाव दिया कि वह एक प्रभावी मूल्यांकन करे और उसके अनुसार, आवश्यक परिवर्तनों के साथ योजना को विस्तृत बनाए या  या शहरी गरीबों को आवास प्रदान करने के लिये एक अन्य योजना तैयार करे।
  • बुनियादी सुविधाओं की कमी: PMAY-U दिशा-निर्देशों के अनुसार, निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों की साझेदारी में किफायती आवास के तहत सभी घरों और स्व-स्थान मलिन बस्ती पुनर्विकास (ISSR) कार्यक्षेत्र में पानी, स्वच्छता और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएँ होनी चाहिये।
    • इसके अलावा शहरी स्थानीय निकायों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि क्रेडिट लिंक्ड सबसिडी योजना और लाभार्थी आधारित निर्माण कार्यक्षेत्र के तहत घरों की ऐसी बुनियादी सेवाओं तक पहुँच हो। समिति ने कहा कि बुनियादी सेवाओं की कमी के कारण दिसंबर 2022 तक 5.6 लाख घर लाभार्थियों को नहीं सौंपे गए थे।

  स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण  

सरोगेसी नियम, 2022 

  • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सेरोगेसी नियम, 2022 में संशोधनों को अधिसूचित किया है। वर्ष 2022 के नियमों को सेरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 के तहत अधिसूचित किया गया था। अधिनियम के अनुसार, सेरोगेसी में कोई महिला किसी इच्छुक जोड़े हेतु बच्चे को जन्म देती है और जन्म के बाद बच्चे को उन्हें सौंपने के लिये सहमत होती है। अधिनियम के तहत इच्छुक कपल वह होता है जिसके पास चिकित्सकीय संकेत होते हैं कि उन्हें सेरोगेसी की आवश्यकता है।
  • 2022 के नियमों के अनुसार, सेरोगेसी करवाने वाले कपल को डोनर के शुक्राणु या ओसाइट (अपरिपक्व अंडे की कोशिका)  को इस्तेमाल करने की अनुमति थी।  संशोधन में कहा गया है कि सरोगेसी में इस्तेमाल होने वाले मेल और फीमेल, दोनों युग्मकों को इच्छुक कपल से आना चाहिये और यह सरोगेट माता के सहमति फॉर्म में तदनुसार संशोधन करता है।
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