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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 23 मार्च, 2022

  • 23 Mar 2022
  • 6 min read

डॉ. राम मनोहर लोहिया

23 मार्च, 2022 को भारत के समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया की 112वीं जयंती मनाई गई।  राम मनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च, 1910 को अकबरपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। भारतीय राजनीतिज्ञ व कर्मठ कार्यकर्त्ता के रूप में डॉ. लोहिया ने समाजवादी राजनीति और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने अपना अधिकांश जीवन समाजवाद के विकास के माध्यम से अन्याय के खिलाफ़ लड़ने के लिये समर्पित किया। उन्होंने वर्ष 1929 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि तथा वर्ष 1932 में बर्लिन विश्वविद्यालय (जहाँ उन्होंने अर्थशास्त्र और राजनीति का अध्ययन किया) से मानद (डॉक्टरेट) की उपाधि प्राप्त की। वर्ष 1934 में लोहिया भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के अंदर एक वामपंथी समूह कॉन्ग्रेस-सोशलिस्ट पार्टी (CSP) में सक्रिय रूप से शामिल हो गए। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45) में ग्रेट ब्रिटेन द्वारा भारत को शामिल करने के निर्णय का विरोध किया। वर्ष 1948 में लोहिया एवं अन्य CSP सदस्यों ने कॉन्ग्रेस की सदस्यता छोड़ दी। वर्ष 1955 में लोहिया ने एक नई सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की जिसके वे अध्यक्ष बने और साथ ही इसकी पत्रिका ‘मैनकाइंड’ (Mankind) का संपादन भी किया। 12 अक्तूबर, 1967 को उनकी मृत्यु हो गई। 

अंतर्राष्ट्रीय नस्लीय भेदभाव उन्मूलन दिवस

प्रत्येक वर्ष 21 मार्च को ‘अंतर्राष्ट्रीय नस्लीय भेदभाव उन्मूलन दिवस’ मनाया जाता है। यह दिवस जातिवाद और नस्लीय भेदभाव के विरुद्ध एकजुटता का आह्वान करता है। अक्तूबर 1966 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय नस्लीय भेदभाव उन्मूलन दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। 21 मार्च, 1960 को पुलिस ने दक्षिण अफ्रीका के शार्पविले में लोगों द्वारा नस्लभेदी कानून के खिलाफ किये जा रहे एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान आग लगा दी, जिसमें 69 लोगों की मृत्यु हो गई थी। ज्ञात हो कि मानवाधिकारों के उल्लंघन के अतिरिक्त नस्लीय भेदभाव का मानव स्वास्थ्य और कल्याण पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ता है तथा यह सामाजिक सामंजस्य में बाधा उत्पन्न करता है। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय नस्लीय भेदभाव उन्मूलन दिवस की थीम है- ‘वॉइस फॉर एक्शन अगेंस्ट रेसिज़्म।’ 

शहीद दिवस

प्रत्येक वर्ष 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस तीन महान युवा नेताओं भगत सिंह, सुखदेव थापर और शिवराम राजगुरु के साहस और वीरता की याद में मनाया जाता है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान लाहौर षड्यंत्र मामले में इन स्वतंत्रता सेनानियों को 24 मार्च, 1931 को मृत्युदंड का आदेश दिया गया था, किंतु उन्हें 23 मार्च, 1931 की शाम को ही फाँसी दे दी गई थी। अपनी मृत्यु के समय भगत सिंह केवल 23 वर्ष के थे किंतु उनके क्रांतिकारी विचार बहुत व्यापक थे। उल्लेखनीय है कि भारतीय आंदोलनों का बहुचर्चित नारा ‘इंकलाब जिंदाबाद’ पहली बार भगत सिंह ने ही बोला था। भगत सिंह मानते थे कि व्यक्ति को दबाकर उसके विचार नहीं दबाए जा सकते हैं। भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को पंजाब के लायलपुर ज़िले के बंगा गाँव में हुआ था, जो उस समय ब्रिटिश भारत का हिस्सा था तथा वर्तमान में यह पाकिस्तान में है। 

विश्व मौसम विज्ञान दिवस 

दुनिया भर में प्रत्येक वर्ष 23 मार्च को विश्व मौसम विज्ञान दिवस (World Meteorological Day) के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य मौसम विज्ञान में हो रहे बदलावों से लोगों को रू-ब-रू और जागरूक करना है। विश्व मौसम विज्ञान दिवस प्रत्येक वर्ष एक अलग थीम के साथ मनाया जाता है. इस वर्ष विश्व मौसम विज्ञान दिवस 2022 की थीम है- "प्रारंभिक चेतावनी और प्रारंभिक कार्रवाई (Early Warning and Early Action)"। इसी दिन मौसम विज्ञान संगठन अभिसमय के अनुमोदन द्वारा 23 मार्च, 1950 को विश्व मौसम संगठन (World Meteorological Organization) की स्थापना हुई थी। यह एक अंतर-सरकारी संगठन है, इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विटज़रलैंड में है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन में कुल 191 सदस्य देश शामिल हैं। इस संगठन का इस्तेमाल बाढ़, सूखा और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं का अनुमान लगाने के लिये किया जाता है ताकि समय रहते इन आपदाओं से होने वाले नुकसान से बचा जा सके।

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