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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 22 जून, 2021

  • 22 Jun 2021
  • 7 min read

दिव्यांग खेल केंद्र

केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने हाल ही में देश के विभिन्न हिस्सों में पाँच 'दिव्यांग खेल केंद्र' स्थापित करने की घोषणा की है। ध्यातव्य है कि देश में 'दिव्यांगजनों' की खेलों के प्रति रुचि और पैरालिंपिक में भारत के बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए 'दिव्यांग खेल केंद्र' स्थापित करने से संबंधित निर्णय काफी महत्त्वपूर्ण है। इस तरह के प्रयासों का प्राथमिक लक्ष्य दिव्यांगजनों को सशक्त बनाना और उन्हें देश के समग्र विकास हेतु समाज की मुख्य धारा से जोड़ना है। साथ ही इन केंद्रों के माध्यम से दिव्यांगजनों को खेलों में अंतर्राष्ट्रीय मानकों के आधार पर प्रशिक्षित किया जाएगा, जिससे पैरालिंपिक खेलों में भारत की स्थिति में भी और अधिक सुधार होगा। ज्ञात हो कि वर्तमान में दिव्यांगजनों की सहायता और सशक्तीकरण के लिये सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रम और पहलों की शुरुआत की गई है, जिसमें ‘सुगम्य भारत अभियान’ सबसे प्रमुख है। सुगम्य भारत अभियान सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग का राष्ट्रव्यापी अभियान है, जिसके तहत वर्तमान में 709 रेलवे स्टेशनों और 10,175 बस डिपो को शामिल किया गया है। इस अभियान का उद्देश्य देश भर में दिव्‍यांगजनों के लिये बाधा रहित और सुखद/अनुकूल वातावरण तैयार करना है। इसके अलावा वर्ष 2016 में सरकार द्वारा दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम पारित किया गया, जिसने न केवल दिव्यांगजनों को अधिक सुरक्षा प्रदान की है, बल्कि यह पूरे देश में दिव्यांग व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों को भी सुनिश्चित करता है।

तमिलनाडु आर्थिक सलाहकार परिषद

हाल ही में तमिलनाडु सरकार ने आर्थिक मामलों पर राज्य के मुख्यमंत्री को सलाह देने हेतु एक ‘आर्थिक सलाहकार परिषद’ के गठन का निर्णय लिया है, जिसमें मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के नोबेल पुरस्कार विजेता एस्थर डुफ्लो और भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन शामिल होंगे। इसके अलावा इस परिषद में पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम भी शामिल हैं। आर्थिक सलाहकार परिषद राज्य की वित्तीय स्थिति का अध्ययन करेगी और राज्य की अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने के लिये तदनुसार बदलावों की सिफारिश करेगी। इस परिषद की सिफारिश के आधार पर सरकार राज्य की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने का प्रयास करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि आर्थिक विकास का लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुँचे। परिषद की सिफारिशों के आधार पर राज्य सरकार अपनी वित्तीय नीतियों में आवश्यक सुधार करने में सक्षम होगी, साथ ही इससे राज्य के औद्योगिक आधार में विविधता लाने और तकनीकी उन्नयन सुनिश्चित करने की भी उम्मीद है। 

लॉरेल हबर्ड

न्यूज़ीलैंड की भारोत्तोलक ‘लॉरेल हबर्ड’ ओलंपिक के लिये चुनी जाने वाली पहली ट्रांसजेंडर एथलीट बन गई हैं। 43 वर्षीय हबर्ड ने इससे पूर्व वर्ष 2013 में पुरुष वर्ग में हिस्सा लिया था। अब वह टोक्यो में महिला श्रेणी में 87 किलोग्राम वर्ग में प्रतिस्पर्द्धा करेंगी। ट्रांसजेंडर एथलीटों पर अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के दिशा-निर्देश ऐसे एथलीटों को कुछ निर्धारित शर्तों को पूरा करने के बाद ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेने की अनुमति देते हैं, जिन्होंने पुरुष से महिला में ट्रांजीशन किया है। दिशा-निर्देशों के मुताबिक, महिला वर्ग में प्रतिस्पर्द्धा के योग्य होने के लिये ऐसे एथलीटों को अपने टेस्टोस्टेरोन के स्तर को प्रतियोगिता से पहले के 12 महीनों के दौरान 10 नैनोमोल्स प्रति लीटर से कम रखना होगा। टेस्टोस्टेरोन एक हार्मोन है, जो मांसपेशियों को बढ़ाता है। एथलीट्स की नियमित रूप से निगरानी की जाती और यदि वे नियमों का अनुपालन नहीं करते हैं तो वे प्रतियोगिता में शामिल होने के पात्र नहीं होंगे। हालाँकि पुरुष से महिला में ट्रांजीशन करने वाले एथलीटों को ओलंपिक खेलों में शामिल करने संबंधित इस निर्णय पर वाद-विवाद भी शुरू हो गया है, आलोचकों का मानना है कि उन एथलीटों को अनुचित लाभ मिलता है, जबकि समर्थकों का मत है कि इससे खेल में समावेशन को बढ़ावा मिलता है। 

जस्टिस महमूद जमाल

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारतीय मूल के जस्टिस महमूद जमाल को कनाडा के सर्वोच्च न्यायालय के लिये नामित किया है, जो देश के सर्वोच्च न्यायालय में नामित होने वाले पहले अश्वेत व्यक्ति बन गए हैं। जस्टिस महमूद जमाल, सर्वोच्च न्यायालय से सेवानिवृत्ति हो रहीं रोज़ली सिलबरमैन अबेला का स्थान लेंगे, जो कि स्वयं ही कनाडा के सर्वोच्च न्यायालय की पहली शरणार्थी और पहली यहूदी महिला न्यायाधीश थीं। भारतीय मूल के जस्टिस महमूद जमाल की वर्ष 2019 में ओंटारियो के अपीलीय न्यायालय में नियुक्ति से पूर्व नि:शुल्क कार्य के प्रति गहरी प्रतिबद्धता के साथ एक लिटिगेटर के रूप में एक विशिष्ट कॅॅरियर रहा है। इसके अलावा उन्होंने मैकगिल विश्वविद्यालय में संवैधानिक कानून और ऑस्गोड हॉल लॉ स्कूल में प्रशासनिक कानून के अध्यापक के रूप में भी कार्य किया है। जस्टिस महमूद जमाल का जन्म केन्या के एक भारतीय परिवार में हुआ था। वर्ष 1981 में उनका परिवार कनाडा चला गया। उन्होंने टोरंटो विश्वविद्यालय, मैकगिल विश्वविद्यालय और येल लॉ स्कूल जैसे प्रसिद्ध संस्थानों से कानून की पढ़ाई की है।

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