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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 12 नवंबर, 2021

  • 12 Nov 2021
  • 5 min read

एंटी-ओपन बर्निंग कैंपेन

दिल्ली सरकार ने हाल ही में प्रदेश में खुले में अपशिष्ट जलाने और वायु प्रदूषण की घटनाओं पर अंकुश लगाने हेतु 11 नवंबर से 11 दिसंबर, 2021 तक दिल्ली में ‘एंटी-ओपन बर्निंग कैंपेन’ शुरू करने की घोषणा की। यह घोषणा दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के 'खतरनाक' स्तर पर पहुँचने के बाद की गई। ज्ञात हो कि बीते दिनों दीपावली के अवसर पर राजधानी में ‘वायु गुणवत्ता सूचकांक’ 503 के गंभीर स्तर पर पहुँच गया था। दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद दिल्ली सरकार द्वारा इस अभियान को शुरू करने का निर्णय लिया गया। इस अभियान के हिस्से के रूप में दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा ऐसे स्थानों की पहचान की जाएगी, जहाँ खुले में अपशिष्ट जलाने संबंधी घटनाएँ होती हैं और साथ ही इन घटनाओं को रोकने का भी प्रयास किया जाएगा। दिल्ली सरकार ने अपने सभी विभागों को एक विशिष्ट ‘एंटी डस्ट सेल’ बनाने का भी निर्देश दिया है। साथ ही सरकार द्वारा ‘ग्रीन दिल्ली एप’ भी शुरू किया जाएगा, जो कि आम लोगों को खुले में अपशिष्ट जलाने की किसी भी घटना की रिपोर्ट करने की सुविधा प्रदान करेगा, ताकि संबंधित टीम द्वारा तत्काल कार्रवाई की जा सके। 

ग्लोबल ड्रग पॉलिसी इंडेक्स

‘हार्म रिडक्शन कंसोर्टियम’ द्वारा हाल ही में जारी पहले ‘ग्लोबल ड्रग पॉलिसी इंडेक्स’ में नॉर्वे, न्यूज़ीलैंड, पुर्तगाल, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया को मानवीय और स्वास्थ्य-संचालित दवा नीतियों पर पाँच प्रमुख देशों के रूप में स्थान दिया गया है। इस सूचकांक में पाँच सबसे कम रैंकिंग वाले देश ब्राज़ील, युगांडा, इंडोनेशिया, केन्या और मैक्सिको हैं। भारत 30 देशों की सूची में 18वें स्थान पर है। यह सूचकांक ड्रग नीतियों और उनके कार्यान्वयन का डेटा-संचालित वैश्विक विश्लेषण प्रदान करता है। यह दवा नीति के पाँच व्यापक आयामों में संचालित 75 संकेतकों से बना है, इन पाँच आयामों में शामिल हैं- आपराधिक न्याय, अत्यधिक प्रतिक्रियाएँ, स्वास्थ्य एवं नुकसान में कमी, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नियंत्रित दवाओं तक पहुँच एवं विकास। यह ‘हार्म रिडक्शन कंसोर्टियम’ संगठन की एक परियोजना है, जिसमें सहयोगी के तौर पर कई अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन शामिल हैं। सूचकांक में शीर्ष पर रहने के बावजूद नॉर्वे केवल 74/100 स्कोर ही प्राप्त कर सका और सभी 30 देशों एवं आयामों में औसत स्कोर केवल 48/100 रहा, जो कि स्पष्ट तौर पर अंतर्राष्ट्रीय ड्रग नीति की विफलता को दर्शाता है। 

जलवायु परिवर्तन हेतु अमेरिका-चीन समझौता

कार्बन डाइऑक्साइड के दुनिया के दो सबसे बड़े उत्सर्जक चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका ने जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु सहयोग बढ़ाने के लिये एक समझौता किया है, जिसमें मीथेन उत्सर्जन को कम करना, जंगलों की रक्षा करना और कोयले का उपयोग चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना शामिल है। ग्लासगो में आयोजित ‘संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन’ (COP26) के दौरान इस समझौते की घोषणा की गई। दो सबसे बड़े कार्बन-प्रदूषणकर्त्ताओं ने कहा कि यह समझौता वर्ष 2015 के पेरिस जलवायु समझौते के दिशा-निर्देशों का उपयोग करते हुए ‘2020 के दशक में उन्नत जलवायु कार्रवाई’ पर ज़ोर देगा, जिसमें वर्ष 2025 में एक नया मज़बूत उत्सर्जन कटौती लक्ष्य भी शामिल है। यह समझौता डीकार्बोनाइज़ेशन में ‘ठोस और व्यावहारिक’ नियमों के निर्माण का भी आह्वान करता है, साथ ही इसमें मीथेन उत्सर्जन को कम करना और वनों की कटाई का मुकाबला करना भी शामिल है। गौरतलब है कि वर्ष 2015 का समझौता सभी देशों को व्यापक उत्सर्जन कटौती के माध्यम से वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5oC और 2oC के बीच सीमित करने की दिशा में काम करने हेतु प्रतिबद्ध करता है।

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