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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 03 फरवरी, 2021

  • 03 Feb 2021
  • 8 min read

भव्या लाल

भारतीय मूल की भव्या लाल को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का कार्यवाहक प्रमुख नियुक्त किया गया है। इस संबंध में जारी आधिकारिक सूचना के अनुसार, भव्या लाल के पास इंजीनियरिंग और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का व्यापक अनुभव है। अंतरिक्ष क्षेत्र में उनके योगदान के लिये उन्हें अंतर्राष्ट्रीय वैमानिकी अकादमी का सदस्य भी चुना गया है। नासा ने एक बयान में कहा कि भव्या लाल वर्ष 2005 से वर्ष 2020 तक इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस एनालिसिस (IDA) के ‘साइंस एंड टेक्नोलॉजी पॉलिसी इंस्टीट्यूट (STPI) में अनुसंधान सदस्य के रूप में कार्य कर चुकी हैं। उन्होंने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से परमाणु इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री प्राप्त की है, इसके अलावा उनके पास प्रौद्योगिकी और नीति विषय में भी एक मास्टर डिग्री है। नासा (NASA) संयुक्त राज्य अमेरिका की संघीय सरकार की कार्यकारी शाखा की एक स्वतंत्र एजेंसी है जो नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम के साथ-साथ वैमानिकी और अंतरिक्ष अनुसंधान के लिये उत्तरदायी है। इसे वर्ष 1958 में स्थापित किया गया था। नासा का मुख्यालय वॉशिंगटन, डीसी (अमेरिका) में स्थित है। नासा ने वर्ष 1961 की शुरुआत में ही मनुष्य को अंतरिक्ष में ले जाने की कोशिश शुरू कर दी थी। आठ वर्ष बाद 20 जुलाई, 1969 को नील आर्मस्ट्रांग अपोलो 11 मिशन के तहत चंद्रमा पर कदम रखने वाले पहले मानव बने।

भारत अंतर्राष्ट्रीय रेशम मेला

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने वर्चुअल पोर्टल पर आठवें भारत अंतर्राष्ट्रीय रेशम मेले का उद्घाटन किया। पाँच दिन तक चलने वाले इस मेले को भारत का सबसे बड़ा रेशम मेला माना जाता है। कोरोना वायरस महामारी के कारण इस मेले को ‘भारतीय रेशम निर्यात संवर्द्धन परिषद’ (ISEPC) द्वारा वचुर्अल मंच पर आयोजित किया जा रहा है। 200 से अधिक विदेशी खरीदार पहले से ही इस मेले के लिये पंजीकृत हो गए हैं। यह मेला भारतीय रेशम की सुंदरता और जीवंतता का उत्‍सव मनाने का अवसर प्रदान करता है। रेशम उत्पादन में भारत का लंबा इतिहास है और यह रेशम का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत विश्व का एकमात्र देश है, जो रेशम की सभी चार प्रमुख किस्मों- शहतूत, एरी, टसर और मूगा का उत्पादन करता है। रेशम, रसायन विज्ञान की भाषा में रेशमकीट के रूप में विख्यात इल्ली (Caterpillar) द्वारा निकाले जाने वाले एक प्रोटीन से बना होता है। ये रेशमकीट कुछ विशेष खाद्य पौधों पर पलते हैं तथा अपने जीवन को बनाए रखने के लिये ‘सुरक्षा कवच’ के रूप में कोकून का निर्माण करते हैं। रेशमकीट का जीवन-चक्र 4 चरणों- अण्डा (Egg), इल्ली (Caterpillar), प्यूपा (Pupa) तथा शलभ (Moth) में निर्मित होता है। रेशम प्राप्त करने के लिये इसके जीवन-चक्र के कोकून चरण में अवरोध डाला जाता है और व्यावसायिक महत्त्व का तंतु (Silk) निकाला जाता है जिससे वस्त्रों का निर्माण किया जाता है।

आदि महोत्सव

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने 01 फरवरी, 2021 को नई दिल्ली स्थित दिल्ली हाट में राष्ट्रीय जनजातीय पर्व 'आदि महोत्सव' का उद्घाटन किया। यह आयोजन जनजातीय कार्य मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय आदिवासी सहकारी विपणन विकास संघ (ट्राइफेड) द्वारा किया जाता है। आदि महोत्सव का आयोजन 1-5 फरवरी, 2021 तक किया जा रहा है। ‘आदि महोत्सव’ आदिवासी संस्कृति, शिल्प, भोजन और वाणिज्य की भावना का उत्सव है, जिसे वर्ष 2017 में शुरू किया गया था और तब से सफलतापूर्वक इसका आयोजन प्रतिवर्ष किया जाता है। यह महोत्सव देश भर के आदिवासियों की समृद्ध और विविध शिल्प एवं संस्कृति को एक स्थान पर प्रदर्शित करने और उसे  आम लोगों को जानने का अवसर प्रदान करता है। इस महोत्सव के दौरान आदिवासी कला और शिल्प, चिकित्सा व उपचार, भोजन एवं लोक कलाओं का प्रदर्शन तथा उनकी बिक्री की जाएगी। इसमें देश के 20 से अधिक राज्यों के लगभग 1000 आदिवासी कारीगर और कलाकार भाग लेंगे और अपनी समृद्ध पारंपरिक संस्कृति की झलक प्रस्तुत करेंगे। देश की आबादी में कुल 8 प्रतिशत से अधिक जनजातियाँ मौजूद हैं, इसके बावजूद वे समाज के वंचित वर्गों में शामिल हैं। प्राकृतिक सादगी से प्रेरित, उनकी रचनाओं में एक कालातीत अपील है। 

हिंदी वर्ड ऑफ द इयर: ‘आत्मनिर्भर’

‘ऑक्सफोर्ड लैंग्वेजेज़’ ने ‘आत्मनिर्भर’ शब्द को वर्ष 2020 के लिये ‘हिंदी वर्ड ऑफ द ईयर’ के रूप में चुना है। वर्ष 2019 के लिये ‘संविधान’ को ‘हिंदी वर्ड ऑफ द ईयर’ के रूप में चुना गया था, क्योंकि यह शब्द वर्ष 2019 में सबरीमाला वाद, अनुच्छेद 370 और राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय आदि के कारण काफी चर्चा में आ गया था। ऑक्सफोर्ड लैंग्वेजेज़ द्वारा घोषित ‘वर्ड ऑफ द ईयर’ एक ऐसा शब्द अथवा अभिव्यक्ति है, जिसने किसी एक विशिष्ट वर्ष में आम लोगों का काफी अधिक ध्यान आकर्षित किया हो। किसी भी वर्ष के लिये ‘वर्ड ऑफ द ईयर’ का चयन करने के लिये ऑक्सफोर्ड लैंग्वेजेज़ द्वारा अपने भाषा अनुसंधान कार्यक्रम के तहत शब्दों के उपयोग संबंधी आँकड़े एकत्र किये जाते हैं और फिर उपयोग के आधार पर शब्दों का चयन किया जाता है। ऑक्सफोर्ड लैंग्वेजेज़ ने वर्ष 2020 के लिये ‘आत्मनिर्भर’ शब्द को चुना है, क्योंकि वर्ष 2020 के दौरान इस शब्द का काफी प्रयोग किया गया है और वर्ष 2021 के केंद्रीय बजट में भी इस शब्द को प्रमुखता से स्थान दिया गया है। ज्ञात हो कि मई 2020 में प्रधानमंत्री ने COVID-19 रिकवरी पैकेज की घोषणा करते हुए ‘आत्मनिर्भरता’ की आवश्यकता पर ज़ोर दिया था।

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