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प्रिलिम्स फैक्ट्स

प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स: 27 अक्तूबर, 2020

  • 27 Oct 2020
  • 10 min read

कोच्चि-मुज़िरिस बिएनेल

Kochi Biennale

केरल में प्रचलित महामारी के कारण कोच्चि-मुज़िरिस बिएनेल के पांचवें संस्करण को अगले वर्ष हेतु स्थगित कर दिया गया है।Kochi-Muziris-Biennale

  • यह अंतर्राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी पहले 12 दिसंबर से आयोजित होने वाली थी।
  • कोच्चि बिएनेल फाउंडेशन ने सूचित किया है कि एक्सपो को स्थगित करने का निर्णय राज्य में महामारी के चलते लिया गया है। 

कोच्चि-मुज़िरिस  बिएनेल

  • कोच्चि-मुज़िरिस बिएनेल भारत का पहला द्विवार्षिक बिएनेल है, जो वेनिस बिएनले जैसे प्रसिद्ध कला उत्सवों से प्रेरित है तथा दुनिया की नई कलात्मक प्रथाओं को प्रदर्शित करने के लिये एक मंच प्रदान करता है।
  • राज्य सरकार और कुछ व्यवसायों के सहयोग से कोच्चि बिएनेल फाउंडेशन वर्ष 2012 से इस महोत्सव की मेज़बानी कर रहा है।

उद्देश्य

  • वसुधैव कुटुंबकम और आधुनिकता की भावना का विकास करना जो कि कोच्चि के जीवंत अनुभव में निहित है।
  • केरल में सार्वजनिक कार्रवाई और सार्वजनिक चित्रकारी की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाते हुए इसे भारत में कलात्मक व्यवसाय के एक केंद्र के रूप में स्थापित करना।
  • भारतीय लोगों के नए आत्मविश्वास को प्रतिबिंबित करना, जो धीरे-धीरे, लेकिन निश्चित रूप से, एक नए समाज का निर्माण कर रहे हैं जिसका उद्देश्य उदार, समावेशी, समतावादी और लोकतांत्रिक होना है।
  • भारत की अतीत और वर्तमान कलात्मक परंपराओं में निहित अप्रकट ऊर्जाओं का पता लगाना तथा सह-अस्तित्त्व और महानगरीयता की एक नई शैली का आविष्कार करना।

कोच्चि बिएनेल फाउंडेशन

  • यह एक गैर-लाभकारी धर्मार्थ ट्रस्ट है जिसकी स्थापना वर्ष  2010 में बोस कृष्णामचारी और रियास कोमू ने की थी।
  • यह भारत में कला एवं संस्कृति और शैक्षिक गतिविधियों को बढ़ावा देने हेतु प्रयास करता है; उनमें से कोच्चि-मुज़िरिस बिएनेल की मेजबानी प्रमुख है।
  • कोच्चि बिएनेल फाउंडेशन विरासती धरोहरों, स्मारकों के संरक्षण और कला एवं संस्कृति के पारंपरिक रूपों के उत्थान में लगा हुआ है।
  • यह फाउंडेशन समकालीन कला बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने और विविध कार्यक्रमों के माध्यम से संपूर्ण भारत में कला के लिये सार्वजनिक पहुँच को व्यापक बनाने के लिये वर्ष भर कार्य करता है।

भारत-ऑस्ट्रेलिया सर्कुलर इकोनामी हैकथॉन

India–Australia Circular Economy Hackathon (I-ACE) 

अटल इन्नोवेशन मिशन, कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल ऑर्गेनाइज़ेशन (Commonwealth Scientific and Industrial Research Organisation- CSIRO) के साथ मिलकर सर्कुलर अर्थव्यवस्था पर दो दिवसीय ‘भारत-ऑस्ट्रेलिया सर्कुलर इकोनामी हैकथॉन’ (India Australia Circular Economy Hackathon {I-ACE}) आयोजित करने जा रहा है। हैकथॉन का आयोजन 7 और 8 दिसंबर को किया जाएगा।

I-ACE

  • I-ACE का विचार इस वर्ष 4 जून को भारत और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्रियों की बातचीत के दौरान आया जब दोनों नेताओं ने भारत और ऑस्ट्रेलिया में सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिये नवाचारों की आवश्यकता जताई।
  • I-ACE के अंतर्गत दोनों देशों के स्टार्टअप और MSME तथा प्रतिभावान छात्रों द्वारा नए तकनीकी उपायों के विकास और उनकी पहचान पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
  • शॉर्टलिस्ट किये गए छात्रों और स्टार्टअप/एमएसएमई को हैकथॉन में भाग लेने के लिये आमंत्रित किया जाएगा और सभी चार विषयों में से प्रत्येक विषय के लिये दोनों देशों से एक-एक छात्र और एक-एक स्टार्टअप/MSME को 11 दिसंबर को पुरस्कार वितरण समारोह में विजेता घोषित किया जाएगा।

प्रस्तावित दो दिवसीय हैकथॉन के अंतर्गत चार मुख्य थीम होंगी:

  1. पैकिंग अपशिष्ट में कमी लाने हेतु कम संसाधनों द्वारा पैकिंग के क्षेत्र में नवाचार
  2. खाने की बर्बादी कम करने के लिये खाद्य आपूर्ति श्रृंखला हेतु नवाचार
  3. प्लास्टिक अपशिष्ट को कम करने के लिये अवसरों का सृजन
  4. जटिल ऊर्जा धातु और वेस्ट रीसाइक्लिंग

भारत-ऑस्ट्रेलिया सर्कुलर इकोनामी हैकथॉन का महत्त्व: 

  • यह देखने का प्रयास है कि सर्कुलर इकोनॉमी की चुनौतियों को कैसे दुरुस्त किया जा सकता है, जिससे न सिर्फ अपशिष्ट पदार्थों के निपटान का स्थाई समाधान निकलेगा बल्कि इससे अपशिष्ट पदार्थों के पुनः इस्तेमाल के तौर तरीके भी सामने आएंगे।
  • भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रचनात्मक और मज़बूत द्विपक्षीय साझेदारी एक दशक से जारी है और विभिन्न क्षेत्रों में हमारे पारस्परिक सहयोग से महत्त्वपूर्ण परिणाम सामने आए हैं। 
  • भारत और ऑस्ट्रेलिया साथ आकर अनुसंधान और विकास के प्रयासों को तीव्र कर सकते हैं जिससे चुनौतीपूर्ण समय से निकला जा सके।
  • सर्कुलर अर्थव्यवस्था का मॉडल बड़े पैमाने पर रोज़गार सृजन और उच्च आर्थिक विकास दर हासिल करने में दूरगामी परिणाम वाला होगा। इससे लागत में कमी, नवाचार में वृद्धि और उल्लेखनीय पर्यावरणीय लाभ भी प्राप्त किया जा सकेगा।
  • यह कम संसाधनों से हमारी अर्थव्यवस्था को बेहतर करने और पर्यावरण के अनुकूल आर्थिक विकास सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल है। 

ऑस्ट्रेलिया के शोध और विकास के साथ भारत के किफायती और वृहद् स्तर के नवाचार क्षेत्र की साझेदारी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। यह समय की मांग है कि हम सतत् और नए तौर तरीकों को अपनाएँ और सर्कुलर अर्थव्यवस्था की तरफ आगे बढ़ें।


प्रोजेक्ट-37

Project 37

प्रोजेक्ट-37, अरुणाचल प्रदेश सिविल सर्विस, 2016 बैच के अधिकारियों द्वारा एक पहल है, जो राज्य के दूरदराज के ज़िलों में विकास परियोजनाओं हेतु क्राउड फंडिंग कर रहे हैं।

प्रोजेक्ट-37

  • प्रोजेक्ट-37,  वर्ष 2016 बैच के 37 अधिकारियों द्वारा (और नाम के बाद)  समर्थित एक क्राउड फंडिंग पहल है,  जिसके अंतर्गत किसी भी चीज की मरम्मत हेतु धन को एकत्रित किया जाएगा।
  • योजना के अनुसार, प्रत्येक बैचमेट द्वारा मासिक आधार पर 1,500 रुपए का दान किया जाएगा। यह राशि योजना में शामिल व्यक्तियों के खातों से स्वतः डेबिट हो जाएंगे। 
  • यह एक यादृच्छिक रोस्टर है और इसमें जीतने वाले विजेता को अपने सर्कल में धन का उपयोग करने का अवसर  मिलेगा। 
  • इसमें सुदूरवर्ती क्षेत्रों में माइक्रो-इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण, शौचालय, कक्षाओं, फर्नीचर आदि का निर्माण शामिल है।
  • इसमें  खिम्यांग जैसे क्षेत्र जो कि चांगलांग के सीमावर्ती ज़िले में स्थित है - को प्राथमिकता दी जाएगी। खिमियांग सर्कल म्यांमार सीमा के पास स्थित है तथा यह बहुत दुर्गम और उग्रवाद  की समस्या से ग्रसित है 

उद्देश्य:

  • पुरानी, ​​जर्जर इमारतों को नया रूप देना और उन्हें स्कूलों, पुस्तकालयों में परिवर्तित करना।
  • खेल के मैदान, शौचालय का निर्माण; राज्य भर में सड़कों और साइनपोस्टों की मरम्मत।
  • गांव से एक होनहार एथलीट के लिये फंडिंग का भी प्रावधान है।

चूँकि सिविल सेवकों को अपने क्षेत्रों के विकास हेतु सांसदों की तरह अलग से फंडिंग नहीं की जाती है, अतः यह नवाचार उन्हें अपने क्षेत्रों में विकास के पर्याप्त अवसर प्रदान करेगा।

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