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प्रिलिम्स फैक्ट्स

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 20 अप्रैल, 2020

  • 20 Apr 2020
  • 11 min read

करतारपुर साहिब

Kartarpur Sahib

हाल ही में भारत ने पाकिस्तान से कहा कि 19 अप्रैल, 2020 को आए तूफान के कारण क्षतिग्रस्त हुए करतारपुर साहिब (Kartarpur Sahib) गुरुद्वारे के परिसर का पुनर्निर्माण एवं मरम्मत कराई जाए।  

Kartarpur-Sahib

मुख्य बिंदु: 

  • करतारपुर साहिब, सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की 550वीं जयंती से जुड़े वर्ष भर के उत्सवों से संबंधित है और पिछले कुछ महीनों में भारत एवं पाकिस्तान के बीच करतारपुर गलियारे का संचालन शुरू होने के बाद यह पाकिस्तान में सिख तीर्थयात्रा का एक प्रमुख केंद्र बन गया है।
  • ऐतिहासिक करतारपुर साहिब गुरुद्वारा पाकिस्तान के नारोवाल ज़िले में रावी नदी के तट पर स्थित है। यहाँ पर सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष बिताए थे।

रावी नदी: 

Ravi-River

  • रावी नदी हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा ज़िले में रोहतांग दर्रे से निकलती है। यह नदी भारत के हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर से होती हुई पाकिस्तान में प्रवेश करती है।
  • यह नदी पाकिस्तान के झांग ज़िले में चिनाब नदी में मिल जाती है, जहाँ इस पर थीन बाँध बना हुआ है।  
  • यह पंजाब क्षेत्र (पंजाब का अर्थ ‘पाँच नदियों’ से संबंधित है) में सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों में से एक है। भारत- पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि के तहत रावी का पानी भारत को आवंटित किया गया है।
  • पाकिस्तान में स्थित यह गुरुद्वारा भारत-पाकिस्तान सीमा से लगभग 3-4 किमी. दूर है और पाकिस्तान के लाहौर से लगभग 120 किमी. उत्तर-पूर्व में है। 
  • वर्ष 1999 में गुरुद्वारे की मरम्मत और बहाली के बाद इसे तीर्थयात्रियों के लिये खोला गया और तब से सिख जत्थे नियमित रूप से यहाँ आते रहते हैं।

एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम

Integrated Disease Surveillance Programme

19 अप्रैल, 2020 को G-20 देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों की एक वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के दौरान भारत ने बताया कि एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (Integrated Disease Surveillance Programme- IDSP) जो महामारी प्रवण रोगों के लिये एक राष्ट्रव्यापी निगरानी प्रणाली है, को COVID-19 से निपटने के लिये सक्रिय कर दिया गया है तथा इसे विशेष डिजिटल इनपुट के साथ और मज़बूत किया जा रहा है।

मुख्य बिंदु:  

  • IDSP, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Affairs) की एक पहल है जिसकी शुरुआत वर्ष 2004 में विश्व बैंक (World Bank) की सहायता से की गई थी।

IDSP का उद्देश्य:

  • रोगों की प्रवृत्ति पर नजर रखने हेतु महामारी प्रवण रोगों के लिये विकेंद्रीकृत प्रयोगशाला आधारित आईटी आधारित रोग निगरानी प्रणाली को मज़बूत करना। 
  • प्रशिक्षित रैपिड रिस्पांस टीम (Rapid Response Team- RRTs) के माध्यम से शुरुआती चरण में प्रकोपों ​​का पता लगाना एवं प्रतिक्रिया देना।

कार्यक्रम के घटक:

  • केंद्र, राज्य एवं ज़िला स्तर पर निगरानी इकाइयों की स्थापना के माध्यम से निगरानी गतिविधियों का एकीकरण एवं विकेंद्रीकरण करना।
  • मानव संसाधन विकास हेतु रोग निगरानी के सिद्धांतों पर राज्य एवं ज़िला निगरानी अधिकारियों, रैपिड रिस्पांस टीम एवं अन्य मेडिकल तथा पैरामेडिकल स्टाफ का प्रशिक्षण करवाना।
  • डेटा के संग्रह, एकत्रीकरण, संकलन, विश्लेषण और प्रसार के लिये सूचना व संचार तकनीक का उपयोग करना।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं को मज़बूत बनाना।
  • ज़ूनोटिक (Zoonotic) रोगों के लिये अंतर क्षेत्रीय समन्वय स्थापित करना।

COVID-19 मुक्त राज्य

COVID-19 Free State

19 अप्रैल, 2020 को भारतीय राज्य गोवा COVID-19 मुक्त राज्य बन गया।   

Covid19

मुख्य बिंदु: 

  • गोवा में 3 अप्रैल, 2020 से COVID-19 से संबंधित कोई भी नया केस सामने नहीं आया है परिणामतः गोवा देश का पहला ग्रीन ज़ोन राज्य (Green Zone State) बन गया है।  
  • गौरतलब है कि COVID-19 से निपटने के लिये भारत सरकार ने देश के ज़िलों को अब तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया है:
    • संवेदनशील ज़िले (Hotspot Districts): जहाँ COVID-19 से संबंधित पॉज़िटिव मामलों की संख्या अधिक दर्ज की गई है।
    • गैर संवेदनशील ज़िले (Non Hotspot Districts): जहाँ COVID-19 से संबंधित पॉज़िटिव मामलों की संख्या कुछ कम दर्ज की गई है।
    • ग्रीन ज़ोन (Green Zone): जहाँ कुछ समय से COVID-19 से संबंधित पॉज़िटिव मामलों की कोई उपस्थिति दर्ज नहीं की गई हैं। 
  • उल्लेखनीय है कि तटीय राज्य गोवा में COVID-19 से संबंधित कुल सात पॉज़िटिव मामले आये थे जिन्हें चिकित्सकों की देख-रेख में क्वारंटाइन कर दिया गया था।

गोवा: कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • गोवा, कोंकण के रूप में उल्लेखित क्षेत्र के अंतर्गत भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट पर स्थित एक राज्य है। 
  • भारत का पश्चिमी घाट भौगोलिक रूप से गोवा को दक्कन उच्चभूमि (Deccan Highland) से पृथक करता है।
  • यह उत्तर में महाराष्ट्र, पूर्व एवं दक्षिण में कर्नाटक तथा पश्चिम में अरब सागर से घिरा हुआ है। 
  • वर्ष 1947 में भारत की स्वतंत्रता के पश्चात 19 दिसंबर, 1961 को भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन विजय’ के तहत गोवा, दमन और दीव द्वीपों का भारतीय संघ में विलय हो गया। जिसके बाद इन तीनों क्षेत्रों का केंद्र शासित प्रदेश के रूप में गठन किया गया। 
  • 30 मई, 1987 को केंद्र शासित प्रदेश का विभाजन हुआ और गोवा को भारत का 25वाँ राज्य बनाया गया।  
  • इस राज्य की सबसे महत्त्वपूर्ण नदियाँ ज़ुआरी और मंडोवी हैं। ज़ुआरी नदी के मुहाने पर मोर्मुगाओ बंदरगाह दक्षिण एशिया में सबसे अच्छे प्राकृतिक बंदरगाह में से एक है।

पोस्ट-इंटेंसिव केयर सिंड्रोम

Post-Intensive Care Syndrome

हाल के कुछ दिनों में COVID-19 के कारण जो लोग ICU में भर्ती हुए थे उनमें से कई रोगी ICU से निकलने के बाद ‘पोस्ट-इंटेंसिव केयर सिंड्रोम’ (Post-Intensive Care Syndrome- PICS) से ग्रसित हो रहे हैं।

‘पोस्ट-इन्टेसिव केयर सिंड्रोम’ क्या है?

  • इस सिंड्रोम से ग्रसित रोगी में कुछ शारीरिक, वैचारिक एवं मानसिक गिरावट देखने को मिलती है।
  • ऐसे रोगियों को ‘न्यूरोमस्कुलर’ (Neuromuscular) कमज़ोरी का अनुभव हो सकता है अर्थात् उसे चलने-फिरने में परेशानी हो सकती है।
  • मनोवैज्ञानिक विकलांगता किसी व्यक्ति में अवसाद, चिंता एवं अभिघात के बाद तनाव विकार (Post-Traumatic Stress Disorder- PTSD) के रूप में उत्पन्न हो सकती है। 

लक्षण: 

  • PICS के सर्वाधिक सामान्य लक्षण दुर्बलता, थकान, चलने-फिरने में कष्ट, चिंता या अवसाद, यौन अक्षमता, अनिद्रा आदि हैं। 
  • गौरतलब है कि उपरोक्त लक्षण स्वास्थ्य लाभ के पश्चात् कुछ महीने या वर्षों तक रोगी में मौजूद रहते हैं।

‘पोस्ट-इंटेंसिव केयर सिंड्रोम’ का कारण क्या है?

  • यदि कोई रोगी बहुत दिनों तक कृत्रिम श्वास प्रणाली के सहारे रहता है तो उसे ‘सेप्सिस’ (Sepsis) हो जाता है और साथ ही कई अंग निष्क्रिय हो जाते हैं।
  • उल्लेखनीय है कि कृत्रिम श्वास प्रणाली पर रहने वाले 33% रोगियों की मांसपेशियाँ दुर्बल हो जाती हैं। इस स्थिति को ICU से उत्पन्न माँसपेशी दुर्बलता (ICU-Acquired Muscle Weakness- ICUAW) कहा जाता है। ऐसे रोगियों में आधे को सेप्सिस हो जाता है और जो रोगी ICU में कम-से-कम एक सप्ताह तक रहते हैं उनमें आधे रोगियों को ICUAW हो सकता है।
  • ICU से निकलने वाले रोगियों में 30-80% को संज्ञानात्मक कार्यों के निष्पादन में कठिनाई होती है तथा मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट एवं अनिद्रा जैसी बीमारियाँ देखने को मिलती हैं।

बचाव:

  • रोगी को बेहोश करने वाली औषधि की सीमित मात्रा दी जानी चाहिये, उन्हें शीघ्र ही चलने-फिरने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये तथा तीव्र शारीरिक एवं व्यावसायिक उपचार देना चाहिये।
  • जहाँ तक संभव हो रोगियों को दर्द की दवाओं की सबसे कम खुराक दी जानी चाहिये और उन्हें अवसाद, चिंता एवं PTSD के उपचार के साथ-साथ फेफड़ों या हृदय पुनर्वास उपचार पर रखा जाना चाहिये। 
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