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प्रिलिम्स फैक्ट्स

प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स: 16 अक्तूबर, 2020

  • 16 Oct 2020
  • 11 min read

होलोग्राफिक इमेजिंग आधारित विधि

Holographic Imaging Based Method

हाल ही में न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय (New York University) के वैज्ञानिकों ने वायरस एवं एंटीबॉडी का पता लगाने के लिये होलोग्राफिक इमेजिंग (Holographic Imaging) का उपयोग करके एक विधि विकसित की है।

होलोग्राफी (Holography): 

  • होलोग्राफी एक प्रक्रिया है जिसमें लेज़र बीम का उपयोग करके होलोग्राम नामक त्रि-आयामी चित्र बनाया जाता है। इस लेज़र बीम में प्रकाश का व्यतिकरण, विवर्तन, तीव्रता एवं प्रतिदीप्ति जैसे गुण शामिल होते हैं।

प्रमुख बिंदु: 

  • यह विशेष रूप से तैयार किये गए बीड्स (Beads) के होलोग्राम को रिकॉर्ड करने के लिये लेज़र बीम का उपयोग करता है।
  • बीड्स (Beads) की सतहों को जैव रासायनिक बाध्यकारी साइटों के साथ सक्रिय किया जाता है जो कि निर्धारित परीक्षण के आधार पर एंटीबॉडी या वायरस कणों को आकर्षित करते हैं।
    • बंधनकारी एंटीबॉडी या विषाणुओं को बांधने से बीड्स (Beads) एक मीटर के कुछ अरबवें हिस्से तक बढ़ जाते हैं।
    • शोधकर्त्ताओं ने बीड्स (Beads) के होलोग्राम में परिवर्तन के माध्यम से इस वृद्धि का पता लगाया। 
    • यह परीक्षण प्रति सेकंड एक दर्जन बीड्स (Beads) का विश्लेषण कर सकता है।

महत्त्व:

  • यह विधि वायरस (वर्तमान संक्रमण) या एंटीबॉडी के परीक्षण के लिये उपयोग की जा सकती है।
  • यह विधि चिकित्सा निदान में सहायता करने में सक्षम है विशेष रूप से जो COVID-19 महामारी से संबंधित हैं।
  • इस विधि द्वारा परीक्षण कम प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा अत्यधिक सटीकता के साथ 30 मिनट से भी कम समय में पूरा किया जा सकता है।


मधुका डिप्लोस्टेमोन 

Madhuca Diplostemon 

हाल ही में केरल के कोल्लम ज़िले में एक पवित्र उपवन से 180 से अधिक वर्षों के अंतराल के बाद ‘मधुका डिप्लोस्टेमोन’ (Madhuca Diplostemon) के वृक्ष को पुनः खोजा गया है।

Madhuca-Diplostemon

प्रमुख बिंदु:

  • इस वृक्ष को स्थानीय रूप से मलयालम में कविलिप्पा (Kavilippa) के नाम से जाना जाता है। 
  • इस वृक्ष की पहचान केरल के पालोडे (Palode) में अवस्थित ‘जवाहरलाल नेहरू ट्रॉपिकल बोटैनिकल गार्डन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट’ (Jawaharlal Nehru Tropical Botanic Garden and Research Institute- JNTBGRI) के वैज्ञानिकों ने की है। 
    • JNTBGRI एक स्वायत्त संस्थान है, जिसे वर्ष 1979 में केरल के तिरुवनंतपुरम में केरल सरकार द्वारा स्थापित किया गया था।
      • यह ‘केरल स्टेट काउंसिल फॉर साइंस, टेक्नोलॉजी एंड एनवायरनमेंट’ (Kerala State Council for Science, Technology and Environment- KSCSTE) के अंतर्गत कार्य करता है।
  • अभी तक माना जाता था कि भारत के पश्चिमी घाट की संकटग्रस्त प्रजातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं।
    • किंतु यह दूसरी बार है जब इस प्रजाति के एक वृक्ष को खोजा गया है जो इस उल्लेखनीय पुनर्खोज को वैज्ञानिक, पर्यावरणीय एवं संरक्षण की दृष्टि से अत्यंत मूल्यवान बनाता है।
      • वर्ष 1835 में ईस्ट इंडिया कंपनी के एक वनस्पतिशास्त्री रॉबर्ट वाइट (Robert Wight) ने इस वृक्ष का पहला नमूना खोजा था।
  • इसे अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature-IUCN) की रेड लिस्ट में संकटग्रस्त (Endangered) प्रजातियों की सूची में शामिल किया गया है।
    • हालाँकि, इस वृक्ष का एक ही इलाके में केवल एक नमूना बचा है इसलिये इसे 'अति संकटग्रस्त' (Critically Endangered) के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
  • JNTBGRI, प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम (Species Recovery Programme) के माध्यम से इस प्रजाति का एक्स-सीटू संरक्षण (Ex-situ Conservation) करने की योजना बना रहा है।


नंदनकानन प्राणी उद्यान

Nandankanan Zoological Park

ओडिशा के भुवनेश्वर में ‘नंदनकानन प्राणी उद्यान’ (Nandankanan Zoological Park- NZP) जिसे COVID-19 महामारी के मद्देनज़र लॉकडाउन के कारण भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा, ने जानवरों के लिये संसाधन जुटाने हेतु ‘एडॉप्ट-एन-एनिमल’ (Adopt-An-Animal) नामक अभिनव कार्यक्रम की पुनः शुरुआत की है।

‘एडॉप्ट-एन-एनिमल’ (Adopt-An-Animal) कार्यक्रम: 

Adopt-an-Animal

  • NZP जीव-जंतुओं की प्रजातियों की विविधता के मामले में देश के अग्रणी चिड़ियाघरों में से एक है।
  • पशु संरक्षण एवं कल्याण में जन भागीदारी बढ़ाने और धन जुटाने के लिये NZP ने अपने सभी जानवरों के लिये वर्ष 2008 में ‘एडॉप्ट-एन-एनिमल’ कार्यक्रम शुरू किया था।
    • ‘एडॉप्ट-एन-एनिमल’ कार्यक्रम के तहत तीन वर्ष पहले NZP को 32 लाख रुपए की मदद  मिली थी। 
  • अब तक 100 से अधिक संगठन एवं व्यक्ति 22 लाख की मदद के साथ जानवरों को गोद लेने के लिये आगे आए हैं।
    • जब कोई व्यक्ति या संगठन किसी पशु या पक्षी को गोद लेता है तो उसके द्वारा प्रदान की गई धनराशि का इस्तेमाल पशु या पक्षी की देखभाल, भोजन, बाड़े का संवर्द्धन एवं नवीनीकरण के लिये किया जाता है।
  • NZP के अधिकारियों ने पशु प्रेमियों से ₹​500 से लेकर ₹2.5 लाख तक की धनराशि देने का आग्रह किया जिसके बदले में गोद लेने वाले व्यक्ति या संगठन को एक 'थैंक यू' प्रमाण पत्र, मुफ्त प्रवेश टिकट और आयकर छूट प्रदान की जाएगी।

नंदनकानन प्राणी उद्यान

(Nandankanan Zoological Park- NZP):

Nandankanan

  • नंदनकानन  प्राणी उद्यान, भारत का एक प्रमुख बड़ा चिड़ियाघर है। इसे वर्ष 1960 में स्थापित किया गया था।  
  • देश के अन्य चिड़ियाघरों के विपरीत, नंदनकानन को वन के ही अंदर स्थापित किया गया है और यह पूरी तरह से प्राकृतिक वातावरण से संबद्ध है।
  • नंदनकानन व्हाइट टाइगर (White Tiger) और मेलानिस्टिक टाइगर (Melanistic Tiger) के प्रजनन के लिये दुनिया का पहला चिड़ियाघर है।
  • नंदनकानन दुनिया में भारतीय पैंगोलिन (Indian Pangolins) का एकमात्र संरक्षण प्रजनन केंद्र है।
  • नंदनकानन भारत का एकमात्र प्राणि उद्यान है जो ‘वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ ज़ूज़ एंड एक्वेरियम’ (World Association of Zoos and Aquarium- WAZI) का संस्थागत सदस्य है।

वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ ज़ूज़ एंड एक्वेरियम’ (WAZI):

WAZA

  • WAZA, विश्व के चिड़ियाघरों एवं एक्वेरियम समुदाय के लिये एक ‘अंब्रेला’ संगठन या नेतृत्त्वकर्त्ता संगठन के रूप में कार्य करता है। 
  • इसकी स्थापना वर्ष 1935 में हुई थी। 
  • इसका मिशन जानवरों की देखभाल एवं कल्याण, जैव विविधता के संरक्षण, पर्यावरण शिक्षा एवं वैश्विक संधारणीयता (Global Sustainability) में दुनिया के चिड़ियाघरों, मछलीघरों एवं साझेदार संगठनों के लिये नेतृत्त्व एवं समर्थन प्रदान करना है।


ज़ोजिला सुरंग

Zojila Tunnel

हाल ही में केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने ज़ोजिला सुरंग (Zojila Tunnel) के निर्माण-संबंधी कार्यों की अनुमति दी जो श्रीनगर घाटी और लेह के बीच पूरे वर्ष कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।

Key-features

प्रमुख बिंदु: 

  • ज़ोजिला एशिया की सबसे लंबी द्वि-दिशात्मक (Bi-directional) सुरंग है। 
  • यह श्रीनगर, द्रास, कारगिल और लेह को एक सुरंग के माध्यम से प्रसिद्ध ज़ोजिला दर्रा से जोड़ेगी।
  • इस परियोजना को 5-6 वर्ष में पूरा किया जाएगा।

महत्त्व:

  • समुद्र तल से 11,500 फीट से अधिक ऊँचाई पर स्थित, ऑल-वेदर ज़ोजिला टनल 14.15 किमी. लंबी होगी और सर्दियों के दौरान भी सड़क संपर्क सुनिश्चित करेगी।
  • यह NH-1 के 434 किलोमीटर लंबे श्रीनगर-कारगिल-लेह सेक्शन (Srinagar-Kargil-Leh Section) को हिमस्खलन से मुक्त बनाएगी और सुरक्षा बढ़ाएगी तथा यात्रा के समय को 3 घंटे से घटाकर 30-15 मिनट कर देगी।
  • ज़ोजिला सुरंग न केवल श्रीनगर, द्रास, कारगिल और लेह के बीच सभी मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी बल्कि यह दोनों केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) के आर्थिक- सामाजिक-सांस्कृतिक एकीकरण को भी मज़बूत करेगी।
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