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रेगिस्तानी लोमड़ी और ‘मेंजे’ रोग

  • 30 Mar 2022
  • 4 min read

हाल ही में राजस्थान के जैसलमेर ज़िले के झाड़ियों के जंगलों में कुछ रेगिस्तानी लोमड़ियों को देखा गया था, जो ‘मेंजे’ त्वचा रोग के कारण बाल संबंधी नुकसान से पीड़ित थीं।

  • राजस्थान की वर्ष 2019 की वन्यजीव जनगणना के अनुसार, राज्य में 8,331 लोमड़ियों में भारतीय और रेगिस्तानी दोनों प्रकार की लोमड़ियाँ थीं। 

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रेगिस्तानी लोमड़ी:

  • सामान्य नाम: सफेद पैर वाली लोमड़ी। 
  • वैज्ञानिक नाम: वल्प्स वल्प्स पुसिला (Vulpes Vulpes Pusilla)
  • परिचय:
    • रेगिस्तानी लोमड़ी भारत में लाल लोमड़ी की तीसरी उप-प्रजाति है।
      • अन्य दो उप-प्रजातियाँ हैं: तिब्बती रेड फॉक्स और कश्मीरी रेड फॉक्स।
    • उन्हें अन्य लोमड़ी प्रजातियों से उनकी सफेद पूँछ द्वारा अलग किया जा सकता है। बिंदीदार आँखें और एक छोटा सा थूथन उन्हें एक प्यारा और लगभग मनमोहक रूप देता है।
    • इसकी सीमा अन्य लाल लोमड़ी उप-प्रजातियों के साथ ओवरलैप नहीं होती है।
  • परिवेश:
    • रेगिस्तानी लोमड़ी पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी भारत के शुष्क एवं अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में निवास करती है।
    • रेगिस्तानी लोमड़ियाँ भारत में अपने संभावित आवासों के आधे से भी कम हिस्से में पाई जाती हैं।
    • रेगिस्तानी लोमड़ियों को रेत के टीलों और अर्द्ध-शुष्क नदी घाटियों में घूमते हुए पाया जा सकता है, जहाँ वे अपनी माँद बनाती हैं।
    • ये सर्वाहारी होती हैं जो जामुन और पौधों से लेकर रेगिस्तानी कृन्तकों, कीड़े, मकड़ियों, छोटे पक्षियों व छिपकलियों तक का सेवन करती हैं।
  • खतरा:
    • उन्हें निवास स्थान की क्षति, सड़क से संबंधित मृत्यु दर और आवारा/घरेलू कुत्तों के साथ संघर्ष का खतरा बना हुआ है।
  • संरक्षण स्थिति:
    • IUCN रेड लिस्ट: कम चिंताजनक 
    • CITES लिस्टिंग: अनुसूची II
    • भारत का वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम: अनुसूची II

 मेंजे रोग के बारे में: 

  • मेंजे जानवरों का एक त्वचा रोग है जो घुन (Mites) के संक्रमण के कारण होता है, जिसमें सूजन, खुजली, त्वचा का मोटा होना और बालों का झड़ना शामिल होता है।
  • मेंजे  का सबसे गंभीर रूप घुन की विभिन्न किस्मों सरकोप्टस स्कैबीई (Sarcoptes Scabiei) के कारण होता है, जो मानव खुजली का भी कारण बनता है। 
  • मेंजे के किसी-न-किसी रूप को सभी घरेलू जानवरों में देखा जाता है, हालांँकि कई प्रकार के मेंजे घुन केवल एक प्रजाति को संक्रमित करते हैं।
  • वे जानवरों के बीच सीधे संपर्क से और संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने वाली वस्तुओं द्वारा संचरित होते हैं।
  • मेंजे के अधिकांश रूप उपचार योग्य हैं।
  • जब संक्रमित जानवर खजुली करता है और त्वचा फट जाती है तो यह वह अंडे देकर अपनी संख्या में वृद्धि करता है। प्रभावित क्षेत्र पपड़ीदार हो जाता है और वहांँ बाल नहीं उगते हैं।

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

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