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'चिल्लाई कलां'

  • 22 Dec 2021
  • 2 min read

40 दिनों की सबसे कठोर सर्दियों की अवधि में से एक, जिसे ‘चिल्ले/चिल्लाई कलां' (Chillai Kalan) कहा जाता है, कश्मीर में शुरू हो गई है।

प्रमुख बिंदु 

  • चिल्लाई कलां के बारे में:
    • यह हर साल 21 दिसंबर से 29 जनवरी तक कश्मीर में सबसे कठोर सर्दियों की अवधि होती है।
    • ‘चिल्लाई कलां' एक फारसी शब्द है जिसका अर्थ है 'बड़ी सर्दी'।
    • चिल्लाई  कलां के बाद 20 दिन की लंबी चिल्लाई खुर्द (छोटी सर्दी) होती है जो 30 जनवरी से 18 (Chillai Baccha) तक होती है और इसके बाद 10 दिनों तक चलने वाली  चिल्लाई बच्चा (बेबी कोल्ड) अवधि जो 19 फरवरी से 28 फरवरी तक होती है।
    • 40 दिनों की अवधि कश्मीरियों के लिये बहुत कठिनाइयाँ लेकर आती है क्योंकि इस दौरान तापमान में भारी गिरावट आती है, जिससे यहाँ की प्रसिद्ध डल झील सहित जलाशय जम जाते हैं।
    • इन 40 दिनों के दौरान बर्फबारी की संभावना सबसे अधिक होती है और तापमान में काफी गिरावट आती है। घाटी में न्यूनतम तापमान हिमांक बिंदु से नीचे बना होता है।
  • कश्मीरियों के दैनिक जीवन पर प्रभाव:
    • फेरन (कश्मीरी पोशाक) और कांगेर (Kanger) नामक पारंपरिक फायरिंग पॉट का उपयोग बढ़ जाता है।
    • तापमान शून्य से नीचे होने के कारण इस दौरान नल की पाइपलाइन में पानी आंशिक रूप से जम जाता है और विश्व प्रसिद्ध डल झील भी जम जाती है।
    • कश्मीरी हरिसा (Harissa) के साथ जश्न मनाते हैं जो चावल में मिश्रित सौंफ, इलायची, लौंग एवं नमक जैसे मसालों के स्वाद के साथ पतले मटन से बना पकवान होता है।
    • इसके अलावा वे अक्सर सूखी सब्जियों का सेवन करते हैं क्योंकि भारी बर्फबारी के बाद सड़कों के अवरुद्ध होने के कारण ताज़ा सब्जियों की आपूर्ति में कमी आती है।

स्रोत: द हिंदू

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