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Mains Marathon

  • 11 Jul 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध

    दिवस 23: संरचनात्मक आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे देशों को सहायता प्रदान करने में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की विस्तारित निधि सुविधा (EFF) की भूमिका का मूल्यांकन कीजिये। ऋण लेने वाले देशों में दीर्घकालिक राजकोषीय स्थिरता को बढ़ावा देने में EFF कितना प्रभावी है? (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • IMF की विस्तारित निधि सुविधा (EFF) और इसके उद्देश्य का संक्षिप्त परिचय दीजिये। 
    • विवेचना कीजिये कि EFF संरचनात्मक आर्थिक चुनौतियों वाले देशों को किस प्रकार सहायता प्रदान करता है तथा दीर्घकालिक राजकोषीय स्थिरता को बढ़ावा देने में इसकी प्रभावशीलता का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। 
    • उचित निष्कर्ष दीजिये। 

    परिचय: 

    विस्तारित निधि सुविधा (EFF) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का एक मध्यम से दीर्घकालिक ऋण साधन है, जिसका उद्देश्य लगातार राजकोषीय घाटे, मुद्रास्फीति और वित्तीय क्षेत्र की कमज़ोरियों जैसी गहन संरचनात्मक आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे देशों को सहायता प्रदान करना है।

    मुख्य भाग:

    संरचनात्मक चुनौतियों वाले देशों को सहायता प्रदान करने में EFF की भूमिका:

    • EFF मानक IMF सुविधाओं की तुलना में अधिक धनराशि की उपलब्धता और पुनर्भुगतान के लिये लंबी अवधि के साथ विस्तारित अवधि (3-4 वर्ष) का वित्तपोषण प्रदान करता है।
    • इसका उद्देश्य कर-व्यवस्था का सरलीकरण, सब्सिडी का पुनर्गठन, सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन तथा शासन प्रणाली में सुधार जैसे संरचनात्मक परिवर्तनों को प्रोत्साहित करना है।  
    • EFF के अंतर्गत दी जानेवाली सहायता एक समग्र नीति-पैकेज के साथ जुड़ी होती है, जिसमें समर्थित कार्यक्रमों में राजकोषीय समेकन, मौद्रिक स्थिरता और संस्थागत सुदृढ़ीकरण शामिल होते हैं।
    • उदाहरणस्वरूप मिस्र (2016) को मुद्रा अवमूल्यन, ऊर्जा सब्सिडी में कटौती और मुद्रास्फीति लक्षित करने की रणनीति हेतु EFF सहायता दी गयी थी। हालाँकि शुरुआत में मुद्रास्फीति स्थिर हो गई, लेकिन नीतिगत उलटफेर के कारण दीर्घकालिक परिणाम मिश्रित रहे। 
    • पाकिस्तान (वर्ष 2019, 2023, 2024 तथा 2025) ने EFF का उपयोग वित्तीय समायोजन, ऊर्जा मूल्य निर्धारण में सुधार तथा ऋण की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये किया। हालाँकि, राजनीतिक अस्थिरता और कार्यान्वयन की कमज़ोरी के कारण अपेक्षित प्रगति नहीं हो सकी।
      • हालाँकि, राजनीतिक अस्थिरता और कार्यान्वयन की कमज़ोरी के कारण अपेक्षित प्रगति नहीं हो सकी। 
    • श्रीलंका (वर्ष 2023) ने गंभीर भुगतान संतुलन संकट के समय EFF के अंतर्गत कर-संग्रह बढ़ाने, बाह्य ऋण का प्रबंधन करने और शासन में सुधार करने की दिशा में सहायता प्राप्त की।
    • EFF व्यापक आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देता है, विदेशी मुद्रा भंडार का निर्माण करता है, तथा संरचनात्मक रूप से कमज़ोर अर्थव्यवस्थाओं में निवेशकों का विश्वास पुनर्स्थापित करने में सहायता करता है।

    दीर्घकालिक राजकोषीय स्थिरता को प्रोत्साहित करने में EFF की प्रभावशीलता:

    • EFF की सफलता मुख्यतः इस बात पर निर्भर करती है कि देशों में सुधारों के प्रति आंतरिक प्रतिबद्धता हो, शासन में निरंतरता बनी रहे और नीतियों को पारदर्शी ढंग से लागू किया जाये।
    • ग्रीस (वर्ष 2012) में EFF के तहत राजकोषीय संतुलन की दिशा में कड़े कदम उठाये गये, परंतु सख्त मितव्ययिता (Austerity) उपायों ने आर्थिक संकुचन को जन्म दिया और जनता के भीतर भारी असंतोष उत्पन्न किया।
    • आलोचकों का तर्क है कि EFF की शर्तें, जिनमें प्रायः राजकोषीय मितव्ययिता के उपाय (जैसे: बजट घाटे को कम करना) शामिल होते हैं, संभावित रूप से सामाजिक खर्च में कमी ला सकती हैं, जिससे समायोजन अवधि के दौरान असमानता और गरीबी बढ़ सकती है।
    • IMF की वर्ष 2021 की आंतरिक समीक्षा में कहा गया है कि EFF देशों ने ऋण और मुद्रास्फीति के मैट्रिक्स में सुधार किया है, लेकिन समावेशी विकास और रोज़गार सृजन प्रायः पिछड़ गए हैं।
    • प्रभावी EFF कार्यक्रम वे होते हैं जिनमें लचीलापन, लक्षित सामाजिक सुरक्षा और स्थानीय संस्थागत क्षमताओं का निर्माण सम्मिलित हो, ताकि सुधार स्थायी हो सकें। 

    निष्कर्ष: 

    EFF उन अर्थव्यवस्थाओं के लिये एक महत्त्वपूर्ण साधन बना हुआ है जिनमें संरचनात्मक कमज़ोरियाँ होती हैं। लेकिन इसका दीर्घकालिक प्रभाव इस पर निर्भर करता है कि सुधारों को कितनी विश्वसनीयता के साथ लागू किया जाता है, घरेलू संस्थाएँ कितनी मज़बूत हैं और क्या नीतिगत शर्तों में सामाजिक न्याय एवं वित्तीय अनुशासन के बीच संतुलन बना रहता है।

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