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21 Jul 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 3
विज्ञान-प्रौद्योगिकी
दिवस 31: नवाचार को बढ़ावा देने और जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के उत्तरदायी प्रसार को सक्षम बनाने में बौद्धिक संपदा अधिकारों की भूमिका का विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- IPR और जनरेटिव AI को संक्षेप में परिभाषित कीजिये और उनके अंतर्संबंधों की व्याख्या कीजिये।
- उदाहरणों और विधिक अंतर्दृष्टि के साथ, विश्लेषण कीजिये कि IPR किस प्रकार नवाचार को बढ़ावा देते हैं तथा जनरेटिव AI के ज़िम्मेदार प्रसार को सुगम बनाते हैं।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) विधिक उपाय हैं जो मानसिक रचनाओं की रक्षा और नवाचार को प्रोत्साहित करते हुए सामाजिक लाभ सुनिश्चित करते हैं। जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GenAI) और इसी तरह की उभरती प्रौद्योगिकियों के संदर्भ में, IPR दोहरी भूमिका निभाता है, यह रचनात्मक सफलताओं को बढ़ावा देता है तथा नैतिक, विनियमित प्रसार सुनिश्चित करता है।
मुख्य भाग:
- नवाचार को प्रोत्साहित करना: IPR, विशेष रूप से पेटेंट और कॉपीराइट, व्यवसायों एवं व्यक्तियों को उनके रचनात्मक आउटपुट को अनधिकृत उपयोग से सुरक्षित रखकर नवाचार करने के लिये प्रोत्साहन प्रदान करते हैं।
- यह एक प्रतिस्पर्द्धी माहौल को बढ़ावा देता है, जो तकनीकी प्रगति के लिये आवश्यक है, जैसे कि जनरेटिव AI के मामले में, जो नए कंटेंट बनाने के लिये जटिल एल्गोरिदम पर निर्भर करता है।
- मौलिकता का संरक्षण: चूँकि जनरेटिव AI प्रौद्योगिकियाँ बड़े डेटासेट से सीखकर कंटेंट तैयार करती हैं, इसलिये AI-जनित कार्यों की सुरक्षा एक चुनौती है।
- AI प्रशिक्षण प्रक्रिया में प्रायः कॉपीराइट डेटा का उपयोग होता है, जिससे अनजाने में कॉपीराइट का उल्लंघन हो सकता है।
- यह मुद्दा बार्ट्ज़ बनाम एंथ्रोपिक जैसे विधिक मामलों में स्पष्ट है, जहाँ AI द्वारा कॉपीराइट कंटेंट के उपयोग ने उचित उपयोग और परिवर्तनकारी उपयोग के बारे में प्रश्न उठाए।
- AI और कॉपीराइट के लिये विधिक कार्यढाँचा: भारत का प्रतिलिप्यधिकार अधिनियम, 1957 गैर-मानवीय कर्तृत्व को मान्यता नहीं देता है।
- इस प्रकार, महत्त्वपूर्ण मानवीय योगदान के बिना AI-जनित कार्य संरक्षित नहीं हैं, जिससे विधिक कार्यढाँचे में एक अंतर उत्पन्न होता है।
- हालाँकि, AI-सहायता प्राप्त कार्य, जिनमें मानवीय रचनात्मकता शामिल है, मौजूदा कानून के तहत संरक्षित हैं, अनुसंधान और शिक्षा जैसे उचित उपयोग अपवादों के साथ, जो कुछ चुनौतियों को कम करते हैं।
- नवाचार और संरक्षण में संतुलन: जनरेटिव AI के ज़िम्मेदार प्रसार को बढ़ावा देने के लिये, नवाचार को प्रोत्साहित करने और रचनाकारों के अधिकारों की रक्षा के बीच संतुलन आवश्यक है।
- हालाँकि जनरेटिव AI डेटा के परिवर्तनकारी उपयोगों को बढ़ावा दे सकता है, फिर भी मूल रचनाकारों के लिये उचित मुआवज़ा मॉडल की आवश्यकता है, जैसा कि सिल्वरमैन बनाम मेटा मामले में उजागर हुआ है।
- सामूहिक लाइसेंसिंग जैसे नए लाइसेंसिंग मॉडल यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि रचनाकारों को मुआवज़ा मिले और साथ ही नवाचार को भी बढ़ावा मिले।
- वैश्विक तुलनाएँ और उभरती नीतियाँ: वैश्विक स्तर पर, अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे देश AI-जनित कंटेंट के मुद्दे से जूझ रहे हैं तथा अदालतें यह सवाल उठा रही हैं कि क्या विशुद्ध रूप से AI-जनित कार्यों को कॉपीराइट सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिये।
- भारत को अपनी नीति बनाने के लिये इन विकासों पर विचार करना चाहिये और संभवतः जनरेटिव AI जैसी उभरती तकनीकों को समायोजित करने के लिये कॉपीराइट अधिनियम को अद्यतन करना चाहिये।
निष्कर्ष:
बौद्धिक संपदा अधिकार यह सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण हैं कि जनरेटिव AI नवाचार रचनाकारों के अधिकारों की रक्षा करते हुए समाज में सकारात्मक योगदान दें। AI तकनीकों से जुड़ी विशिष्ट चुनौतियों को देखते हुए विधिक कार्यढाँचे को भी समयानुकूल विकसित करना आवश्यक है, क्योंकि नवाचार और नैतिक उत्तरदायित्व, दोनों के बीच संतुलन से ही आगे की राह सुनिश्चित होगी।