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23 Jul 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 3
आपदा प्रबंधन
दिवस 33: जनसमूह आयोजनों के दौरान भगदड़ की घटनाएँ 'पूर्वानुमान-आधारित शासन' (Anticipatory Governance) की कमियों को उजागर करती हैं। एक राष्ट्रीय भीड़ प्रबंधन नीति की आवश्यकता तथा इस क्षेत्र में प्रौद्योगिकी एवं व्यवहारगत अंतर्दृष्टियों की भूमिका का परीक्षण कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- सामूहिक समारोहों में भगदड़ की घटनाएँ, उनके कारणों और पूर्वानुमानित शासन की आवश्यकता के परिचय के साथ उत्तर लेखन की शुरुआत कीजिये।
- मुख्य भाग में, पूर्वानुमान, जागरूकता और प्रतिक्रिया में चुनौतियों का उल्लेख कीजिये तथा प्रभावी भीड़ प्रबंधन के लिये तकनीक एवं व्यवहार संबंधी अंतर्दृष्टि के साथ एक राष्ट्रीय नीति की आवश्यकता पर प्रकाश डालिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
भारत में त्योहारों या धार्मिक आयोजनों जैसे सामूहिक समारोहों में भगदड़ के परिणामस्वरूप कई मौतें हुई हैं। उदाहरण के लिये बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में हाल ही में हुई घटना, जिसमें 11 लोगों की जान चली गई और 71 घायल हुए, प्रभावी भीड़ प्रबंधन की तत्काल आवश्यकता को उजागर करती है।
मुख्य भाग:
- पूर्वानुमानित शासन में चुनौतियाँ:
- मानव व्यवहार की अप्रत्याशितता: भगदड़ प्रायः घबराहट, अफवाहों या अनियंत्रित भीड़ की आवाजाही के कारण होती है, जिसका पूर्वानुमान लगाना मुश्किल होता है।
- बुनियादी अवसंरचना का अभाव: अपर्याप्त निकास मार्ग, भीड़ नियंत्रण के अकुशल उपाय और कार्यक्रम आयोजकों की स्पष्ट भूमिकाओं एवं जिम्मेदारियों का अभाव अराजकता का कारण बनता है, जैसा कि विभिन्न भगदड़ की घटनाओं में देखा गया है।
- अपर्याप्त प्रतिक्रिया तंत्र: आपातकालीन सेवाएँ और भीड़ प्रबंधन रणनीतियाँ प्रायः पूर्वानुमानित होने के बजाय प्रतिक्रियात्मक होती हैं, जिससे आपदाओं को रोकने के लिये बहुत कम समय बचता है।
- राष्ट्रीय भीड़ प्रबंधन नीति की आवश्यकता:
- एक केंद्रीकृत नीति राज्यों में सामूहिक समारोहों के लिये सुरक्षा प्रोटोकॉल, प्रशिक्षण और योजना में एकरूपता सुनिश्चित कर सकती है।
- नीति में क्षमता नियोजन पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये, जिसमें भीड़ के आकार को नियंत्रित करना और सभी स्थानों पर चिकित्सा दल, सुरक्षा एवं संचार नेटवर्क जैसी पर्याप्त सुविधाएँ सुनिश्चित करना शामिल है।
- अंतर-एजेंसी समन्वय: आयोजकों, स्थानीय अधिकारियों और आपातकालीन सेवाओं के बीच स्पष्ट संचार महत्त्वपूर्ण है।
- यह संकट के दौरान त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करता है, जैसा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के दिशानिर्देशों में बताया गया है।
- रोकथाम में प्रौद्योगिकी की भूमिका:
- भीड़ निगरानी: CCTV और ड्रोन जैसी तकनीकों का उपयोग करके वास्तविक काल की निगरानी भीड़ के घनत्व को ट्रैक करने, बाधाओं का अभिनिर्धारण करने तथा भगदड़ को रोकने के लिये कार्रवाई योग्य डेटा प्रदान करने में सहायता कर सकती है।
- पूर्व चेतावनी प्रणाली: SACHET मोबाइल ऐप जैसे उपकरण लोगों को खतरनाक स्थितियों के बारे में पहले से सचेत कर सकते हैं।
- मौसम संबंधी आँकड़ों और भीड़ के व्यवहार विश्लेषण का उपयोग करके पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण उच्च-जोखिम वाले परिदृश्यों का पूर्वानुमान लगा सकता है।
- व्यवहार संबंधी अंतर्दृष्टि: मनोवैज्ञानिक अध्ययनों का लाभ उठाने से उन कारकों को समझने में सहायता मिल सकती है जो दहशत या भगदड़ का कारण बनते हैं।
- व्यवहार संबंधी हस्तक्षेप, जैसे आपात स्थितियों के दौरान शांति बनाए रखने को प्रोत्साहित करना, मृत्यु दर को काफी कम कर सकता है।
- जोखिम कम करने के उपाय:
- क्राउड फ्लो डिज़ाइन को सुदृढ़ करना: बेहतर स्थानिक डिज़ाइन लागू करना, पर्याप्त निकास, भीड़ अवरोधक और व्यवस्थित आवाजाही के लिये स्पष्ट संकेत सुनिश्चित करना।
- जागरूकता और प्रशिक्षण: जन जागरूकता अभियान और कार्यक्रम आयोजकों और प्रतिभागियों के लिये भीड़ सुरक्षा प्रशिक्षण, लोगों को समारोहों के दौरान सुरक्षित व्यवहार के बारे में शिक्षित कर सकते हैं।
- अनुकरण अभ्यास: नियमित भीड़ नियंत्रण अभ्यास और निकासी अभ्यास, अधिकारियों एवं जनता को आपातकालीन स्थितियों के लिये तैयार कर सकते हैं।
- विनियमन और प्रवर्तन: भीड़ सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन और गैर-अनुपालन के लिये दंड एक निवारक के रूप में कार्य कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
उन्नत तकनीक और व्यवहार संबंधी अंतर्दृष्टि के साथ एक राष्ट्रीय भीड़ प्रबंधन नीति, भगदड़ के जोखिम को काफी कम कर सकती है। आपदा तैयारियों के प्रति सक्रिय दृष्टिकोण अपनाकर, भारत बड़े पैमाने पर होने वाले आयोजनों के दौरान सुरक्षित सामूहिक समारोहों एवं जीवन की रक्षा सुनिश्चित कर सकता है। प्रभावी समन्वय, जागरूकता और प्रशिक्षण भविष्य में होने वाली त्रासदियों को रोकने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।