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  • 14 Jul 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    दिवस 25: भारत की विनिर्माण और निर्यात अर्थव्यवस्था की आधारशिला होने के बावजूद, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को नियामक एवं तकनीकी बाधाओं के कारण विस्तार करने में संघर्ष करना पड़ रहा है। प्रमुख बाधाओं पर चर्चा कीजिये तथा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) के परिवर्तन एवं विकास को सुगम बनाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा हाल ही में की गई पहलों का मूल्यांकन कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • MSME क्षेत्र के आर्थिक महत्त्व का संक्षेप में परिचय दीजिये। 
    • MSME के लिये प्रमुख बाधाओं पर चर्चा कीजिये तथा MSME के परिवर्तन और विस्तार को सुविधाजनक बनाने वाली प्रमुख सरकारी पहलों का मूल्यांकन कीजिये। 
    • आगे की राह बताते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) भारत के विनिर्माण और निर्यात पारिस्थितिकी तंत्र की रीढ़ हैं, जो सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 30% और निर्यात में 45% का योगदान करते हैं। हालाँकि, बड़ी कंपनियों में विस्तार करने की उनकी सीमित क्षमता भारत की विकास महत्त्वाकांक्षाओं के लिये एक संरचनात्मक चुनौती प्रस्तुत करती है।

    मुख्य भाग:

    MSME विकास में बाधा डालने वाली प्रमुख बाधाएँ:

    • असंगत विनियामक बोझ MSME के विकास में बाधा डालता है, क्योंकि बड़ी कंपनियों के विपरीत परामर्शदाताओं तक उनकी पहुँच सीमित है।
    • प्रौद्योगिकी का अप्रचलन प्रतिस्पर्द्धात्मकता को सीमित कर देता है, जिसके कारण कई उद्यम आधुनिक उपकरण और डिजिटल समाधान वहन करने में असमर्थ हो जाते हैं।
    • कम निवेश और कर्मचारियों के लिये संरचित प्रशिक्षण कार्यढाँचे की कमी के कारण कौशल विकास और अनुसंधान एवं विकास संबंधी बाधाएँ बनी हुई हैं।
    • जटिल प्रमाणन प्रक्रियाएँ निर्यात की तैयारी में विलंब का कारण हैं, विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों पर ध्यान केंद्रित करने वाले मध्यम आकार के उद्यमों के लिये।
    • सत्र 2023-24 तक, केवल 1,835 सूक्ष्म एवं 15,918 लघु उद्यम ही मध्यम फर्मों में परिवर्तित हुए, जो ऊर्ध्व गतिशीलता की कमी को उजागर करता है।
    • NITI आयोग के CEO के अनुसार, भारत में मध्यम आकार की कंपनियों की तुलना में बड़ी कंपनियाँ अधिक हैं, जो मध्य वर्ग के अभाव को दर्शाती है।
    • उद्यम पोर्टल के आँकड़ों के अनुसार, सहायता प्रणालियों की खंडित अभिगम 6.18 करोड़ से अधिक MSME को सेवा प्रदान करने की क्षमता को सीमित करती है।

    चुनौतियों से निपटने के लिये हालिया सरकारी पहल

    • संशोधित MSME वर्गीकरण (बजट 2025-26) ने निवेश और टर्नओवर की सीमा बढ़ा दी, जिससे अधिक फर्मों को लाभ खोए बिना विकास करने में सहायता मिली।
    • Dx-EDGE पहल (CII-NITI-AICTE) स्थानीय तकनीकी मार्गदर्शन और वास्तविक जीवन के छात्र जुड़ाव प्रदान करने के लिये सार्वजनिक-निजी-अकादमिक भागीदारी (PPAP) का उपयोग करती है।
    • PM विश्वकर्मा योजना, ZED  प्रमाणन योजना और MSME चैंपियंस पोर्टल लक्षित ऋण, डिजिटल कौशल एवं शिकायत निवारण प्रदान करते हैं।
    • कैबिनेट सचिवालय विनियमन कार्यबल भूमि, जल और बिजली मंजूरी मानदंडों को सरल बना रहा है।
    • सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) और TReDS प्लेटफॉर्म छोटी फर्मों के लिये बाज़ार अभिगम एवं कार्यशील पूंजी तरलता को बढ़ाते हैं।
    • RAMP, SAMARTH और PMEGP जैसी योजनाएँ उत्पादकता से जुड़ी सहायता, क्लस्टर विकास एवं उन्नयन के लिये वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती हैं।

    निष्कर्ष:

    भारत को अपने विकसित भारत विजन- 2047 को साकार करने के लिये, MSME का विस्तार एक केंद्रीय नीतिगत प्राथमिकता होनी चाहिये। संस्थागत कमियों को दूर करना, व्यापार-सुगमता  सुनिश्चित करना और तकनीक-संचालित, कौशल-आधारित पारिस्थितिकी तंत्र में निवेश करना यह सुनिश्चित करेगा कि MSME मात्र जीविका चलाने वाली इकाइयों से विकसित होकर समावेशी आर्थिक रूपांतरण के इंजन बन सकें।

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