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Mains Marathon

  • 14 Jul 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    दिवस 25: "भारत का बढ़ता विदेशी मुद्रा भंडार वैश्विक आर्थिक झटकों के विरुद्ध एक सुरक्षा कवच का कार्य करता है।" समष्टि आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने में विदेशी मुद्रा भंडार की भूमिका का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • विदेशी मुद्रा भंडार को परिभाषित करने और व्यापक आर्थिक स्थिरता में उनकी भूमिका की व्याख्या कीजिये। 
    • मुख्य रूप से, प्रासंगिक डेटा और उदाहरणों का उपयोग करके उनके लाभों के साथ-साथ संबंधित जोखिमों या सीमाओं का भी विश्लेषण कीजिये। 
    • उचित निष्कर्ष दीजिये। 

    परिचय:

    भारत का विदेशी मुद्रा भंडार सितंबर 2024 में 704.88 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुँच गया। अप्रैल 2025 तक, विदेशी मुद्रा आस्तियाँ, जो इसका एक प्रमुख घटक है, 892 मिलियन डॉलर बढ़कर 574.98 अरब डॉलर हो गईं, जो भारत के बढ़ते बाह्य भंडार को दर्शाता है। ये भंडार व्यापक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने में, विशेष रूप से बढ़ती वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच, महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

    मुख्य भाग:

    समष्टि आर्थिक स्थिरता में विदेशी मुद्रा भंडार की भूमिका: 

    • मुद्रा स्थिरता और निवेशक विश्वास सुनिश्चित करके वैश्विक अस्थिरता के दौरान आघात अवशोषक के रूप में कार्य करता है।
      • उदाहरण: कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान, भारत ने रुपए की अस्थिरता को प्रबंधित करने के लिये विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग किया।
    • यह बाह्य क्षेत्र की समुत्थान शक्ति को मज़बूत करता है, जिससे आयातों की पूर्ति तथा ऋण दायित्वों को पूरा करना संभव होता है।
      • भारत का भंडार 11 महीनों से अधिक के आयातों को कवर करता है तथा भुगतान संतुलन संकटों के विरुद्ध एक सुरक्षा कवच प्रदान करता है।
    • इससे सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग में सुधार होता है और विदेशी उधार की लागत कम होती है।
      • उच्च भंडार एक मज़बूत समष्टि आर्थिक स्थिति का संकेत देता है, जिससे वैश्विक निवेशकों और ऋण एजेंसियों के बीच विश्वसनीयता बढ़ती है।
    • विनिमय दर प्रबंधन को सुगम बनाता है तथा रुपए के अत्यधिक अवमूल्यन या अधिमूल्यन को नियंत्रित करता है।
      • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अव्यवस्थित मुद्रा प्रवाह को नियंत्रित करने के लिये भंडार का उपयोग करके विदेशी मुद्रा बाज़ारों में हस्तक्षेप करता है।
    • यह मौद्रिक तथा राजकोषीय नीति में विश्वास को समर्थन देता है, जिससे मुद्रास्फीति और ब्याज दरों का स्थायित्व संभव होता है।
      • आरक्षित निधियाँ अस्थिर अवधियों में पर्याप्त तरलता बनाए रखने और पूँजी प्रवाह को स्थिर करने में सहायता करती हैं।  

    बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार की सीमाएँ और चुनौतियाँ

    • घरेलू बुनियादी अवसंरचना में निवेश करने के बजाय विदेशों में निम्न-लाभकारी परिसंपत्तियों में विदेशी निवेश करने की अवसर लागत। 
      • अधिकांश भंडार कम रिटर्न वाले अमेरिकी ट्रेज़री बॉण्ड में रखे जाते हैं, न कि उत्पादक घरेलू परिसंपत्तियों में।
    • भंडार संचय की 'निष्क्रियता' (Sterilization) से राजकोषीय लागत बढ़ती है और मौद्रिक प्रबंधन जटिल हो जाता है।
      • अतिरिक्त तरलता के प्रबंधन के लिये बॉण्ड जारी करने की आवश्यकता होती है, जिससे सार्वजनिक ऋण बढ़ता है और ब्याज दर नियंत्रण प्रभावित होता है।
    • अत्यधिक भंडार उत्पादक आर्थिक रणनीति के बजाय रक्षात्मक रणनीति को प्रतिबिंबित कर सकता है।
      • आरक्षित निधि संचय पर अत्यधिक निर्भरता अंतर्निहित संरचनात्मक व्यापार या चालू खाते की कमज़ोरियों को छिपा सकती है।
    • वैश्विक पूंजी प्रवाह में अस्थिरता अभी भी भंडार पर तीव्र प्रभाव डाल सकती है।
      • उदाहरण के लिये, वर्ष 2022 में RBI ने पूँजी निकासी के समय रुपए की रक्षा के लिये 70 बिलियन डॉलर के भंडार का उपयोग किया।

    निष्कर्ष:

    हालाँकि भारत के बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार ने निस्संदेह इसकी व्यापक आर्थिक स्थिरता को बढ़ाया है, लेकिन यह कोई संपूर्ण समाधान नहीं है। दीर्घकालिक समुत्थानशीलन और सतत् आर्थिक विकास के लिये भंडार का विवेकपूर्ण प्रबंधन, निर्यात को बढ़ावा देने के लिये संरचनात्मक सुधार तथा आयात पर निर्भरता कम करना आवश्यक है।

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