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23 Jul 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 3
आपदा प्रबंधन
दिवस 33: अग्निकांड एक प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदा दोनों है। शहरी क्षेत्रों में अग्निकांड से सुरक्षा प्रबंधन के लिये भारत के संस्थागत और विधिक कार्यढाँचे की पर्याप्तता पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- अग्निकांड को एक प्राकृतिक खतरे और मानव निर्मित आपदा, दोनों के रूप में समझाइये।
- भारत के अग्निकांड सुरक्षा कार्यढाँचों और शहरी अग्निकांड सुरक्षा प्रबंधन को प्रभावित करने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
अग्निकांड सुरक्षा भारत में शहरी प्रबंधन का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है, क्योंकि अग्निकांड खतरे सार्वजनिक सुरक्षा और बुनियादी अवसंरचना के लिये गंभीर जोखिम उत्पन्न करते हैं। हालाँकि कई कार्यढाँचे मौजूद हैं, लेकिन प्रवर्तन एवं कार्यान्वयन में कमियों के कारण उनकी प्रभावशीलता बहस का विषय बनी हुई है।
मुख्य भाग:
- संस्थागत कार्यढाँचा: भारत के अग्निकांड सुरक्षा नियम मुख्य रूप से राष्ट्रीय भवन संहिता (NBC) द्वारा शासित होते हैं, जो भवनों में निर्माण, प्रबंधन और अग्निकांड निवारण के लिये दिशानिर्देश निर्धारित करता है।
- इसमें मॉडल भवन उपनियम 2016 शामिल हैं, जो राज्य सरकारों को स्थानीय अग्नि सुरक्षा नियम बनाने में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
- मुख्य दिशानिर्देश: NBC गैर-दहनशील सामग्रियों, अग्निरोधी विद्युत प्रणालियों और आपातकालीन निकासी मार्गों के उपयोग को अनिवार्य बनाता है।
- यह उच्च पैदल यातायात वाले भवनों में अग्नि सुरक्षा ऑडिट और पर्याप्त अग्निशमन उपकरणों की आवश्यकता पर भी ज़ोर देता है। यह इस बात पर बल देता है कि अधिक जनसंख्या आवागमन वाले भवनों में अग्नि सुरक्षा ऑडिट और पर्याप्त अग्निशमन उपकरणों की व्यवस्था अनिवार्य है।
- राज्य-स्तरीय कार्यान्वयन: इन नियमों के बावजूद, अग्नि सुरक्षा प्रवर्तन राज्यों में अलग-अलग है।
- राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों ने अभी तक व्यापक अग्नि सुरक्षा कानून नहीं अपनाया है, जिसके कारण सुरक्षा मानकों का असंगत अनुप्रयोग हो रहा है।
- चुनौतियाँ:
- संसाधनों की कमी: अग्निशमन केंद्रों और कर्मियों की भारी कमी है।
- वर्ष 2019 तक, भारत को 5,191 और अग्निशमन केंद्रों एवं 5,00,000 अतिरिक्त कर्मियों की आवश्यकता थी।
- अनुपालन न होना: राजकोट गेमिंग ज़ोन में लगी आग जैसी घटनाएँ दर्शाती हैं कि बिल्डर और मालिक प्रायः अग्नि सुरक्षा नियमों की अनदेखी करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप दुखद दुर्घटनाएँ होती हैं।
- उपहार सिनेमा और कुंभकोणम की आग लापरवाही के परिणामों की कड़ी याद दिलाती है।
- जागरूकता की कमी: स्थानीय अग्निशमन सेवाओं और आम जनता के लिये प्रशिक्षण अपर्याप्त है, जिसके कारण आपदा की तैयारी कमज़ोर है।
- संसाधनों की कमी: अग्निशमन केंद्रों और कर्मियों की भारी कमी है।
- मौजूदा पहल: भारत में अग्नि सुरक्षा के बुनियादी अवसंरचना को मज़बूत करने के लिये वर्ष 2023 में शुरू की गई अग्निशमन सेवाओं के विस्तार एवं आधुनिकीकरण की एक योजना है।
- इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) आवासीय और स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं में अग्नि सुरक्षा के लिये दिशानिर्देश प्रदान करता है।
निष्कर्ष:
भारत के शहरी क्षेत्रों में अग्नि सुरक्षा प्रबंधन में तत्काल सुधार की आवश्यकता है। हालाँकि NBC एवं मॉडल उपनियम जैसे विधिक कार्यढाँचे एक ठोस आधार प्रदान करते हैं, लेकिन प्रवर्तन में चुनौतियाँ, संसाधनों की कमी और जन जागरूकता प्रभावी कार्यान्वयन में बाधा डालती हैं। अग्नि सुरक्षा ऑडिट को मज़बूत करना, स्थानीय अग्निशमन सेवाओं को बेहतर बनाना तथा नियमित अभ्यास एवं प्रशिक्षण के माध्यम से जन जागरूकता को बढ़ावा देना एक सुरक्षित शहरी वातावरण की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम हैं।