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10 Jul 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 2
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
दिवस 22: “प्रवासी संबंधों पर जब दबाव पड़ता है, तो केवल अर्थव्यवस्थाएँ ही नहीं, बल्कि संस्कृति और पहचान भी संकट में आ जाते हैं।” हाल ही में भारतीय प्रवासी समुदायों को जिन प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, उन पर चर्चा कीजिये तथा इनका भारत प्रभावी ढंग से किस प्रकार प्रतिक्रिया दे सकता है, यह भी सुझाव दीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- रणनीतिक परिसंपत्ति और सांस्कृतिक सेतु के रूप में भारतीय प्रवासियों की दोहरी भूमिका की व्याख्या कीजिये।
- हाल ही में प्रवासी भारतीयों के समक्ष आई प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
- प्रवासी भारतीयों के लिये चुनौतियों पर भारत प्रभावी ढंग से किस प्रकार प्रतिक्रिया दे सकता है, सुझाव दीजिये।
- आगे की राह बताते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
भारत का प्रवासी समुदाय, जो विदेशों में 32 मिलियन से अधिक लोगों (MEA, 2022) का व्यापक नेटवर्क है और 200 से अधिक देशों में फैला हुआ है, प्रायः आर्थिक, सांस्कृतिक तथा रणनीतिक कूटनीति की एक महत्त्वपूर्ण परिसंपत्ति के रूप में देखा जाता है। हालाँकि, वैश्विक परिदृश्य में तेज़ी से आ रहे बदलाव, जैसे: भू-राजनीतिक तनाव, आर्थिक अस्थिरता तथा पहचान आधारित राजनीति इन प्रवासी संबंधों को तनावपूर्ण बना रहे हैं।
मुख्य भाग:
प्रवासी भारतीयों के समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौतियाँ
- भू-राजनीतिक तनाव और सुरक्षा चिंताएँ:
- वर्ष 2023 में भारत-कनाडा कूटनीतिक तनाव, जो खालिस्तानी उग्रवाद से जुड़े आरोपों के चलते उत्पन्न हुआ, ने भारतीय मूल के कनाडाई नागरिकों में असहजता उत्पन्न की, जिससे वीज़ा प्रक्रिया में विलंब हुआ।
- हाल के वर्षों में अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में नस्लीय हमलों की घटनाओं में वृद्धि हुई है।
- विदेश मंत्रालय (MEA, 2025) के अनुसार, विगत पाँच वर्षों में भारतीय छात्रों पर विदेशों में कम से कम 91 हमले दर्ज किये गये, जिनमें से 30 मामलों में मृत्यु हुई, जिससे छात्रों की सुरक्षा और प्रवासी समुदाय की समग्र सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता उत्पन्न हुई है।
- आर्थिक एवं रोज़गार संबंधित दबाव:
- अमेरिका में वर्ष 2022–23 के दौरान तकनीकी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हुई छँटनी के कारण वहाँ कार्यरत भारतीय पेशेवरों को भारी संख्या में अपनी नौकरियाँ खोनी पड़ीं, जिससे वे अस्थायी वीज़ा (H-1B) पर रहते हुए संकट में पड़ गये। उनके पास वैकल्पिक रोज़गार खोजने या फिर निर्वासन (deportation) का सामना करने के लिये सीमित समय ही उपलब्ध था।
- ब्रेक्ज़िट के बाद ब्रिटेन की आव्रजन नीति में आये बदलावों के कारण भारतीय छात्र और श्रमिक समुदाय प्रभावित हुआ है, जहाँ वीज़ा मानदंड अधिक कठोर हुए हैं तथा प्रवासी-विरोधी भावनाएँ बढ़ी हैं।
- सांस्कृतिक एवं पहचान संबंधी संघर्ष:
- दूसरे और तीसरे पीढ़ी के प्रवासी समुदाय प्रायः अपनी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं स्थानीय समाज में समाहित होने के द्वैत दबावों का सामना करते हैं।
- मेज़बान देशों में जातीय-राष्ट्रवादी राजनीति के उदय ने सांस्कृतिक अल्पसंख्यकों को अधिक सुभेद्य बना दिया है, जिससे भारतीय समुदायों में पहचान की असुरक्षा उत्पन्न हो गई है।
- कानूनी और राजनीतिक भेद्यता:
- भारत द्वारा दोहरी नागरिकता की अनुमति न देने के कारण प्रवासी समुदाय की राजनीतिक भागीदारी तथा संपत्ति अधिकार सीमित रहते हैं। यद्यपि ओवरसीज़ सिटिज़न्स ऑफ़ इंडिया (OCI) कार्ड कुछ सीमित सुविधाएँ प्रदान करता है, किंतु हाल की न्यायिक व्याख्याओं ने इसकी सीमा को और सीमित कर दिया है।
- अनौपचारिक रोज़गार व्यवस्था के कारण निर्वासन और वीज़ा अवधि से अधिक प्रवास संबंधित दंड के मामले (विशेष रूप से खाड़ी क्षेत्र एवं दक्षिण-पूर्व एशिया में) चिंता का विषय बने हुए हैं।
भारत की अब तक की प्रतिक्रिया:
- विदेश मंत्रालय के प्रवासी भारतीय मामलों (OIA) प्रभाग द्वारा 'मदद' (MADAD) तथा 'ई-माइग्रेट' (e-Migrate) जैसे पोर्टलों के माध्यम से शिकायत निवारण की व्यवस्था की गई है।
- संकटग्रस्त क्षेत्रों से प्रवासी नागरिकों की सुरक्षित वापसी हेतु 'ऑपरेशन गंगा' (यूक्रेन, 2022) तथा 'ऑपरेशन कावेरी' (सूडान, 2023) जैसे मानवीय प्रयास भारत की संकट-प्रबंधन क्षमता को दर्शाते हैं।
- प्रवासी भारतीय दिवस, भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार तथा विदेशों में मंदिरों के पुनरुद्धार जैसे सांस्कृतिक उपक्रमों के माध्यम से विरासत का संरक्षण सुनिश्चित किया गया है।
- खाड़ी देशों में श्रमिक कल्याण से जुड़े मुद्दों के समाधान हेतु भारत द्वारा द्विपक्षीय समझौतों की पहल की गई है।
आगे की राह:
- प्रवासी सुरक्षा हेतु एक समग्र नीति कार्यढाँचा तैयार किया जाना चाहिये जिसमें वाणिज्य दूतावास स्तर पर विधिक सहायता, द्विपक्षीय संधियों में भेदभाव-विरोधी प्रावधान तथा संकट-प्रबंधन की रूपरेखा सम्मिलित हो।
- प्रवासी समुदाय, विशेषकर सुभेद्य वर्गों (छात्रों, श्रमिकों) की पहचान एवं संपर्क के लिये व्यापक डाटाबेस और एक्सेस कार्यक्रम विकसित किये जाने चाहिये।
- OCI धारकों को अधिक नागरिक एवं आर्थिक अधिकार प्रदान करने की दिशा में विस्तार किया जाना चाहिये।
- नवप्रवासी युवा पीढ़ियों में सांस्कृतिक जुड़ाव और पहचान की भावना सुदृढ़ करने के लिये शैक्षणिक तथा सांस्कृतिक विनिमय कार्यक्रमों को सशक्त किया जाना चाहिये।
निष्कर्ष:
जैसा कि शशि थरूर ने कहा है, "भारत को अपने प्रवासी समुदाय को एक दायित्व के रूप में नहीं, बल्कि एक परिसंपत्ति के रूप में देखना चाहिये जिसे सक्रिय रूप से उपयोग में लाया जा सके।" एक अस्थिर वैश्विक परिदृश्य में भारतीय प्रवासी समुदाय भारत की सॉफ्ट पॉवर और आर्थिक शक्ति का प्रमुख स्रोत है। अतः भारत को चाहिये कि यह एक सक्रिय, समावेशी और दीर्घकालिक प्रवासी नीति अपनाकर इन संबंधों को मज़बूती प्रदान करे तथा अपनी वैश्विक स्थिति को और सुदृढ़ बनाये।