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21 Jul 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 3
विज्ञान-प्रौद्योगिकी
दिवस 31: भारत की कम्प्यूटेशनल क्षमता को बढ़ाने में राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM) के महत्त्व का मूल्यांकन कीजिये। विज्ञान, प्रौद्योगिकी और रक्षा में इसके संभावित अनुप्रयोग क्या हैं? (150 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन के संक्षिप्त परिचय के साथ उत्तर लेखन की शुरुआत कीजिये।
- मुख्य भाग में, कम्प्यूटेशनल अवसंरचना पर NSM के प्रभाव का मूल्यांकन कीजिये, क्षेत्रवार अनुप्रयोग (विज्ञान, तकनीक, रक्षा) को बताते हुए और प्रमुख उपलब्धियों को रेखांकित कीजिये।
- इसके रणनीतिक महत्त्व के साथ उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
वर्ष 2015 में प्रारंभ किया गया राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM), भारत में उच्च निष्पादन संगणन (HPC) प्रणाली को स्वदेशी रूप से विकसित करने की एक रणनीतिक पहल है। इसका उद्देश्य तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना तथा विज्ञान, प्रौद्योगिकी और रक्षा जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में राष्ट्रीय क्षमताओं को सशक्त करना है।
मुख्य भाग:
भारत की संगणन क्षमता को सशक्त करना
- NSM के तहत मार्च 2025 तक देशभर में कुल 34 सुपरकंप्यूटर स्थापित किये जा चुके हैं, जिनकी कुल क्षमता 35 पेटाफ्लॉप्स (PF) है। इन प्रणालियों का उपयोग 85% से अधिक स्तर पर हो रहा है, विशेषकर अकादमिक और अनुसंधान संस्थानों में।
- यह मिशन ‘PARAM रुद्र’ जैसे सुपरकंप्यूटर के निर्माण के माध्यम से स्वदेशी डिज़ाइन व संयोजन को बढ़ावा देता है, जिसमें ‘Rudra’ सर्वर और भारतीय सॉफ्टवेयर स्टैक का प्रयोग हुआ है।
- राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (NKN) के माध्यम से देश के टियर-2 और टियर-3 संस्थानों को भी HPC संसाधनों तक अभिगम सुनिश्चित कराया जा रहा है।
- मिशन के तीन चरणों (Phase I–III) के माध्यम से हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और प्रमुख घटकों के निर्माण में क्रमिक स्वदेशीकरण सुनिश्चित किया जा रहा है।
- IIT और प्रमुख अनुसंधान संस्थानों में प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना की गयी है, जहाँ 22,000 से अधिक व्यक्तियों को HPC और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में प्रशिक्षण दिया गया है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अनुप्रयोग
- सुपरकंप्यूटरों का उपयोग जलवायु मॉडलिंग, औषधि अन्वेषण, खगोल-विज्ञान अनुसंधान और ऊर्जा प्रणालियों में किया जा रहा है, जिससे महीनों लगने वाला शोध कार्य कुछ घंटों में संपन्न हो रहे हैं।
- IISc बेंगलुरु में स्थापित ‘PARAM प्रवेग’ जैसे केंद्रों ने तरल-गतिकी, पदार्थ अनुसंधान और जीनोमिक्स में उन्नत अनुकरण (Simulation) को तीव्र किया है।
- 200 पेटाफ्लॉप्स क्षमता वाला AIRAWAT प्लेटफॉर्म कृत्रिम बुद्धिमत्ता नवाचार को बढ़ावा दे रहा है और यह ISC- 2023 की वैश्विक सूची में 75वें स्थान पर है।
- अब तक NSM के तहत 1 करोड़ से अधिक संगणन कार्य संपन्न हो चुके हैं, जिससे 1,500 से अधिक शोध प्रकाशन हुए हैं, जो इसकी वैज्ञानिक उत्पादकता को दर्शाता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा में भूमिका
- NSM, DRDO एवं अन्य रणनीतिक संस्थाओं के लिये बैलिस्टिक अनुकरण, क्रिप्टोग्राफी तथा निगरानी प्रणालियों को संगणन सहयोग प्रदान करता है।
- यह आपदा प्रबंधन और खतरों के अभिनिर्धारण हेतु कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित रियल टाइम मॉडलिंग को भी संभव बनाता है।
- स्वदेशी प्रणालियाँ विदेशी तकनीक पर निर्भरता को कम करती हैं तथा डेटा और सॉवरेनिटी रणनीतिक स्वायत्तता को सुनिश्चित करती हैं।
भविष्य की दिशा में प्रेरक शक्ति
- इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के साथ समन्वय करके भारत, HPC के लिये आवश्यक प्रमुख घटकों का घरेलू निर्माण करने की दिशा में बढ़ रहा है।
- यह मिशन नवाचार, स्टार्टअप, MSME और शैक्षणिक संस्थानों को प्रेरित करता है, जिससे शोध, विकास तथा औद्योगिक क्षेत्रों में डिजिटल परिवर्तन को बढ़ावा मिलता है।
निष्कर्ष:
NSM भारत को तकनीकी रूप से सशक्त, अनुसंधान-केंद्रित और आत्मनिर्भर राष्ट्र में रूपांतरित करने की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी और रक्षा क्षेत्रों में इसके गहन अनुप्रयोग भारत को वैश्विक स्तर पर सुपरकंप्यूटिंग एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता नवाचार का अग्रणी देश बनाने की दिशा में सशक्त आधार प्रदान करते हैं।