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Mains Marathon

  • 14 Jul 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    दिवस 25: केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSE) द्वारा आंतरिक और अतिरिक्त बजटीय संसाधनों (IEBR) के घटते उपयोग के कारणों का परीक्षण कीजिये। इससे भारत के बुनियादी अवसंरचना के वित्तपोषण लक्ष्यों के लिये क्या चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं? (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • IEBR का संक्षिप्त परिचय दीजिये तथा CPSE के पूंजीगत व्यय में इसके महत्त्व का वर्णन कीजिये। 
    • मुख्य भाग में, IEBR संग्रहण में गिरावट के प्रमुख कारणों की व्याख्या कीजिये तथा बुनियादी अवसंरचना के वित्तपोषण लक्ष्यों के लिये उत्पन्न चुनौतियों का वर्णन कीजिये। 
    • एक संतुलित भविष्य-दृष्टिकोण के साथ उचित निष्कर्ष दीजिये। 

    परिचय:

    आंतरिक और अतिरिक्त बजटीय संसाधन (IEBR) पारंपरिक रूप से केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSE) के लिये पूंजीगत व्यय का प्राथमिक स्रोत रहे हैं। IEBR संग्रहण में निरंतर गिरावट भारत की बुनियादी अवसंरचना-आधारित विकास रणनीति के लिये संरचनात्मक और वित्तीय चुनौतियाँ उत्पन्न करती है।

    मुख्य भाग:

    CPSE द्वारा IEBR संग्रहण में गिरावट के कारण:

    • CPSE के बढ़ते ऋण बोझ, विशेष रूप से सड़क और दूरसंचार जैसे बुनियादी अवसंरचना क्षेत्रों में, ने बाज़ार आधारित धन संग्रहण की उनकी क्षमता को बाधित किया है। 
      • उदाहरण के लिये, NHAI का ऋण वित्त वर्ष 2014 में 23,797 करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में 3.48 लाख करोड़ रुपए हो गया।
    • बजटीय सहायता पर अधिक निर्भरता ने IEBR का स्थान ले लिया है। 
      • CPSE को सरकारी इक्विटी और ऋण वित्त वर्ष 2020 में ₹2.1 लाख करोड़ से 150% बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में ₹5.48 लाख करोड़ (संशोधित अनुमान) हो गया।
    • सरकार से उच्च लाभांश भुगतान की उम्मीदों ने CPSE की पुनर्निवेश के लिये आय को बनाए रखने की क्षमता को सीमित कर दिया है।
    • सीमित वित्तीय स्वायत्तता और प्रमुख निवेश निर्णयों में सरकारी प्रभाव ने CPSE के परिचालन लचीलेपन को कम कर दिया है, जिससे कुशलतापूर्वक धन संग्रहण की उनकी क्षमता प्रभावित हुई है।
    • सड़क जैसे प्रमुख क्षेत्रों में निजी पूंजी संग्रह में कमी आई है।
      • राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP) में सड़क क्षेत्र के लिये 38% वित्तपोषण निजी क्षेत्र से प्राप्त करने की परिकल्पना की गई थी, लेकिन निवेशकों के जोखिम से बचने के कारण यह संभव नहीं हो पाया।
    • विलय और अधिग्रहण से नकदी क्षरण, जैसे: ONGC द्वारा HPCL का अधिग्रहण, ने CPSE के आंतरिक अधिशेष को और कम कर दिया है।

    भारत के बुनियादी अवसंरचना के वित्तपोषण लक्ष्यों के समक्ष चुनौतियाँ:

    • सार्वजनिक वित्त पर बोझ बढ़ रहा है, क्योंकि बुनियादी अवसंरचना का विकास आत्मनिर्भर CPSE वित्तपोषण के बजाय सकल बजटीय सहायता पर निर्भर करता है।
    • NIP लक्ष्यों के साथ असंगतता, जिसका उद्देश्य पर्याप्त निजी और CPSE-नेतृत्व वाले निवेश सहित विविध पूंजी स्रोतन पर केंद्रित था।
    • पुनर्निवेश और नवाचार क्षमता में गिरावट के कारण CPSE की दक्षता और प्रतिस्पर्द्धात्मकता में कमी आई है।
    • बजटीय सहायता से समर्थित CPSE के प्रभुत्व के कारण निजी भागीदारों का बाहर होना, जिससे बाज़ार की गतिशीलता विकृत हो सकती है।
    • वित्तीय स्थिरता के लिये जोखिम, क्योंकि सार्वजनिक निधियों पर अत्यधिक निर्भरता से भविष्य में राजकोषीय घाटे का दबाव बढ़ सकता है, यदि विकास लक्ष्य पूरे नहीं होते हैं।

    निष्कर्ष:

    IEBR संग्रहण में गिरावट CPSE के कामकाज़ में संरचनात्मक बाधाओं और नीतिगत विसंगतियों को दर्शाती है। बुनियादी अवसंरचना के वित्तपोषण लक्ष्यों को पूरा करने के लिये, भारत को CPSE की वित्तीय स्वायत्तता को पुनर्जीवित करना होगा, मुनाफे के पुनर्निवेश को प्रोत्साहित करना होगा, और नियामक एवं जोखिम-शमन सुधारों के माध्यम से निजी पूंजी भागीदारी को पुनर्जीवित करना होगा।

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