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Mains Marathon

  • 10 Jul 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध

    दिवस 22: BIMSTEC को प्रायः ‘दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच एक सेतु’ के रूप में देखा जाता है। भारत की एक्ट ईस्ट और नेबरहुड फर्स्ट नीतियों के लिये इसके रणनीतिक महत्त्व का मूल्यांकन कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण: 

    • दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच एक सेतु के रूप में BIMSTEC की संक्षेप में व्याख्या कीजिये।
    • भारत की एक्ट ईस्ट और नेबरहुड फर्स्ट नीतियों के लिये इसके रणनीतिक महत्त्व का मूल्यांकन कीजिये।
    • आगे की राह बताते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल (BIMSTEC), जिसमें भारत, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्याँमार, थाईलैंड और श्रीलंका शामिल हैं, दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया को जोड़ने वाले एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय मंच के रूप में कार्य करता है। इसकी विशिष्ट भौगोलिक स्थिति और साझा हित, भारत की एक्ट ईस्ट नीति तथा नेबरहुड फर्स्ट (पड़ोसी प्रथम) नीति के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़े हैं, जिससे यह क्षेत्रीय सहयोग के लिये एक स्वाभाविक सेतु बन जाता है।

    मुख्य भाग: 

    एक्ट ईस्ट नीति के लिये रणनीतिक महत्त्व:

    • बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में विश्व की 22% जनसंख्या निवास करती है, जो एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक और समुद्री क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है। 
    • BIMSTEC दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (SAARC) की भूराजनीतिक बाधाओं (विशेष रूप से पाकिस्तान की अड़चनों) को दरकिनार करते हुए अधिक सुचारू उप-क्षेत्रीय एकीकरण को सुगम बनाता है।
    • यह मंच भारत को म्याँमार और थाईलैंड (जो ASEAN के प्रमुख सदस्य हैं) से जोड़ता है, जिससे एक्ट ईस्ट नीति के तहत दक्षिण-पूर्व एशियाई एकीकरण के लक्ष्य को आगे बढ़ाया जा रहा है।
    • यह भारत की नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक की परिकल्पना को भी सशक्त करता है।
    • भारत-म्याँमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग और कलादान मल्टीमॉडल ट्रांज़िट ट्रांसपोर्ट परियोजना जैसी परियोजनाएँ भूमि एवं समुद्री संपर्क के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
    • BIMSTEC परिवहन संपर्क हेतु मास्टर प्लान (2022) में 200 से अधिक प्राथमिकता वाले बुनियादी अवसंरचना परियोजनाओं की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है, जिनमें से अनेक का नेतृत्व भारत कर रहा है।

    पड़ोसी प्रथम नीति के क्रियान्वयन में BIMSTEC की भूमिका:

    • भारत-बांग्लादेश ऊर्जा ग्रिड इंटरकनेक्शन तथा भूटान एवं नेपाल के साथ जलविद्युत सहयोग BIMSTEC के ऊर्जा स्तंभ के अंतर्गत प्रोत्साहित किये गये हैं।
    • भारत द्वारा BODHI कार्यक्रम (BIMSTEC for Organized Development of Human Resource Infrastructure) की शुरुआत की गई है, जिसके अंतर्गत कौशल विकास, प्रशिक्षण, छात्रवृत्तियाँ और क्षमता निर्माण की पहल की जा रही है।
    • नोएडा में BIMSTEC मौसम एवं जलवायु केंद्र की स्थापना, आपदा प्रबंधन तथा क्षेत्रीय सहयोग को सशक्त करती है।
    • भारत के राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) द्वारा आयोजित BIMSTEC आपदा प्रबंधन अभ्यास (2020) ने मानवीय प्रतिक्रिया के लिये क्षेत्रीय तत्परता का प्रदर्शन किया।
    • भारत के नेतृत्व में आतंकवाद-निरोध तथा साइबर सुरक्षा जैसे साझा क्षेत्रों में सहयोग बढ़ रहा है।
    • भारत ने BIMSTEC एथलेटिक्स मीट (2025), प्रथम BIMSTEC खेल (2027), संगठन की 30वीं वर्षगाँठ, BIMSTEC पारंपरिक संगीत महोत्सव, युवा नेताओं का शिखर सम्मेलन और युवा समन्वय के लिये हैकथॉन तथा युवा पेशेवर आगंतुक कार्यक्रम जैसी सांस्कृतिक एवं जन-संपर्क आधारित पहलों की घोषणा की है।

    चुनौतियाँ:

    • BIMSTEC सचिवालय (ढाका) की संस्थागत संरचना कमज़ोर है तथा कार्मिकों की भारी कमी है।
    • म्याँमार जैसे देशों में राजनीतिक अस्थिरता तथा वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण अवसंरचना परियोजनाओं के क्रियान्वयन में विलंब हो रहा है।
    • क्षेत्रीय मंचों के आपस में ओवरलैप (जैसे: IORA, ASEAN आदि) होने के कारण संसाधनों और ध्यान का विखंडन हो रहा है।

    निष्कर्ष: 

    छठे BIMSTEC शिखर सम्मेलन ने बैंकॉक विज़न 2030 का अंगीकरण एक महत्त्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया, जो क्षेत्रीय समृद्धि के लिये एक स्पष्ट रोडमैप प्रस्तुत करता है। यह आर्थिक एकीकरण, बुनियादी अवसंरचना के विकास, तकनीकी सहयोग और वैश्विक चुनौतियों के प्रति समुत्थानशक्ति पर ज़ोर देता है। निरंतर राजनीतिक इच्छाशक्ति, संस्थागत सुदृढ़ीकरण और समय पर कार्यान्वयन के साथ, BIMSTEC बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में क्षेत्रीय स्थिरता, निर्बाध संपर्क एवं सतत् आर्थिक विकास के एक प्रमुख स्तंभ के रूप में उभर सकता है।

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