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21 Jul 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 3
विज्ञान-प्रौद्योगिकी
दिवस 31: परीक्षण कीजिये कि एक्ज़िऑम-4 मिशन में भारत की भागीदारी किस प्रकार अंतरिक्ष में प्रक्षेपण-सेवा प्रदाता से ज्ञान भागीदार के रूप में परिवर्तन का प्रतीक है। यह परिवर्तन विज्ञान कूटनीति और अग्रणी प्रौद्योगिकी में भारत के व्यापक लक्ष्यों के साथ किस प्रकार संरेखित है? (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- अंतरिक्ष में भारत की ऐतिहासिक भूमिका और एक्ज़िऑम-4 मिशन के महत्त्व का संक्षिप्त विवरण दीजिये।
- परीक्षण कीजिये कि एक्ज़िऑम-4 मिशन किस प्रकार प्रक्षेपण-सेवाओं की भूमिका से ज्ञान योगदान की ओर एक परिवर्तन का प्रतीक है।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
उपग्रह प्रक्षेपण सेवाओं से लेकर चंद्रयान-3 जैसे मिशनों तक भारत की अंतरिक्ष यात्रा, इसकी अभियांत्रिक दक्षता की मिसाल कायम कर रही है। लेकिन एक्ज़िऑम-4 मिशन भारत की भूमिका को केवल सेवा प्रदाता से ज्ञान साझेदार की ओर बदलने वाला एक रणनीतिक मोड़ है, जो विज्ञान-कूटनीति एवं उभरती प्रौद्योगिकियों में भारत की महत्त्वाकांक्षाओं से सीधा संबद्ध है।
मुख्य भाग:
प्रक्षेपण सेवाओं से ज्ञान योगदान की ओर
- भारत की प्रारंभिक भूमिका मुख्यतः PSLV और GSLV जैसे यानों के माध्यम से प्रक्षेपण सेवाएँ प्रदान करने तक सीमित थी, जिससे उसे 'ग्लोबल साउथ का सैटेलाइट बस' कहा जाने लगा था।
- अब एक्ज़िऑम-4 मिशन में शुभांशु शुक्ला के अंतरिक्ष यात्री के रूप में चयन से भारत केवल प्रक्षेपण में सहायता नहीं कर रहा, बल्कि मिशन के निर्णय और परिणामों को प्रभावित कर रहा है।
- ISS पर उनके प्रवास से गगनयान जैसे आगामी मिशनों और वर्ष 2035 तक भारत के नियोजित अंतरिक्ष स्टेशन के लिये परिचालन संबंधी महत्त्वपूर्ण अनुभव एवं ज्ञान प्राप्त होगा।
मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम में रणनीतिक योगदान
- शुक्ला का यह मिशन अंतरिक्ष में नेविगेशन, निर्णय-निर्धारण और स्वचालित प्रणालियों की निगरानी में वास्तविक काल का अनुभव प्रदान करती है, जो गगनयान को जोखिम मुक्त बनाने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- वह NASA के अंतरिक्ष यात्री कैडर मेंटरिंग सिस्टम जैसे अंतर्राष्ट्रीय मॉडलों की तर्ज पर, भविष्य के भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अपने अनुभव प्रदान करेंगे।
वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रयोगों में प्रगति
- ISRO द्वारा एक्ज़िऑम-4 मिशन पर में शून्य गुरुत्वाकर्षण की स्थिति में मांसपेशियों के क्षरण, मूँग के अंकुरण और सूक्ष्म शैवाल वृद्धि पर प्रयोग किये जा रहे हैं।
- ये लक्षित प्रयोग भारत के पहले कस्टमाइज़्ड माइक्रोग्रैविटी (अनुकूलित सूक्ष्मगुरुत्व) अध्ययन हैं, जो दीर्घकालिक मिशनों के लिये महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।
- इन निष्कर्षों से भारत के अपने अंतरिक्ष स्टेशन के लिये जैव-पुनर्जनन जीवन रक्षक प्रणालियों और पोषण रणनीतियों को विकसित करने में सहायता मिलेगी।
विज्ञान कूटनीति और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा
- एक्ज़िऑम-4 मिशन, भारत-अमेरिका iCET के अंतर्गत दोनों देशों के बीच अग्रिम अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी सहयोग का उदाहरण है।
- भारत की ISS आधारित मिशनों में भागीदारी (विशेष रूप से एक्ज़िऑम Space जैसे निजी साझेदारों के माध्यम से) वैश्विक अंतरिक्ष शासन तंत्र में भारत की उपस्थिति को मज़बूत करती है।
- यह कदम भारत के सॉफ्ट पावर लक्ष्यों का समर्थन करता है, जिससे यह ग्लोबल साउथ के लिये अंतरिक्ष ज्ञान साझेदार के रूप में उभर सकेगा।
अग्रणी प्रौद्योगिकियों और निजी क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देना
- भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक अपनी अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को वैश्विक हिस्सेदारी के 2% से बढ़ाकर 10% करना है, जिसमें सार्वजनिक-निजी सहयोग की सहायता शामिल है।
- एक्ज़िऑम-4 में भागीदारी नवाचार को प्रोत्साहित करती है, युवा STEM प्रतिभाओं को पोषित करती है और मानव अंतरिक्ष उड़ान जैसे उच्च-मूल्य वाले क्षेत्रों में निजी क्षेत्र के प्रवेश को उत्प्रेरित करती है।
- इस तरह के मिशन उन्नत तकनीकी क्षेत्रों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति (STIP-2020) तथा आत्मनिर्भर भारत के तहत भारत के लक्ष्यों के अनुरूप हैं।
निष्कर्ष:
एक्ज़िओम-4 मिशन में भारत की भूमिका अंतरिक्ष क्षमता में एक गुणात्मक परिवर्तन का प्रतीक है, जो इसे एक ज्ञान उत्पादक और वैज्ञानिक सहयोगी के रूप में परिवर्तित करती है। यह न केवल गगनयान जैसे स्वदेशी मिशनों को गति प्रदान करता है, बल्कि एक ज़िम्मेदार अंतरिक्ष शक्ति बनने के भारत के दृष्टिकोण को भी आगे बढ़ाता है, जिससे अग्रणी प्रौद्योगिकी एवं वैश्विक वैज्ञानिक कूटनीति, दोनों को बढ़ावा मिलता है।