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17 Jul 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 3
अर्थव्यवस्था
दिवस 28: भारत की विमानपत्तन अवसंरचना तीव्र गति से विकसित हो रही है, किंतु क्या यह सुरक्षा, संधारणीयता और क्षेत्रीय संपर्क जैसी आवश्यकताओं की समुचित रूप से आपूर्ति कर पा रही है? नागरिक उड्डयन क्षेत्र में हालिया परिवर्तनों के संदर्भ में इसका समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत के नागरिक उड्डयन क्षेत्र के तेज़ी से विस्तार पर प्रकाश डालते हुए शुरुआत कीजिये।
- समालोचनात्मक रूप से आकलन कीजिये कि यह क्षेत्र सुरक्षा, पर्यावरणीय संधारणीयता और क्षेत्रीय संपर्क जैसी प्रमुख चिंताओं का कितनी अच्छी तरह समाधान करता है।
- हाल के उदाहरणों और विकासों से विश्लेषण की पुष्ट कीजिये।
- आगे की राह बताते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
भारत का नागर विमानन क्षेत्र हाल के वर्षों में उल्लेखनीय रूप से विकसित हुआ है। वर्तमान में देश में 140 से अधिक सक्रिय हवाई अड्डे संचालित हो रहे हैं तथा वर्ष 2027 तक यात्री आवागमन 520 मिलियन को पार कर जाने का अनुमान है। सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP), ग्रीनफील्ड परियोजनाओं तथा 'उड़ान' (UDAN) जैसी क्षेत्रीय पहलों के माध्यम से बुनियादी अवसंरचना का विस्तार, भारत के विमानन परिदृश्य को तीव्र गति से रूपांतरित कर रहा है।
हालाँकि, इस तीव्र विकास की गति के बीच यह प्रश्न उठता है कि क्या यात्री सुरक्षा, पर्यावरणीय स्थायित्व तथा संतुलित क्षेत्रीय संपर्क जैसे पहलुओं को पर्याप्त प्राथमिकता दी जा रही है।
मुख्य भाग:
सुरक्षा: सुधार और कमियाँ
- प्रगति:
- DGCA के आधुनिकीकरण, विमानन ऑडिट और कड़े सुरक्षा प्रोटोकॉल ने निगरानी में सुधार किया है।
- GAGAN (GPS-सहायता प्राप्त GEO संवर्द्धित नेविगेशन) और आधुनिक वायु यातायात नियंत्रण प्रणालियों की शुरुआत ने उड़ान सुरक्षा एवं सटीकता में सुधार किया है।
- ISRO और AAI के बीच उपग्रह-आधारित नेविगेशन के लिये सहयोग प्रगति पर है।
- चिंताएँ:
- जून 2025 में अहमदाबाद के पास एयर इंडिया की उड़ान संख्या 171 की दुर्घटना ने तकनीकी विश्वसनीयता, आपातकालीन प्रतिक्रिया और हवाई अड्डे पर भीड़भाड़ जैसी प्रणालीगत समस्याओं को उजागर किया।
- उदाहरण: पायलटों की थकान, रनवे पर अतिक्रमण और बाल-बाल बचे होने की घटनाओं (जैसे: दिल्ली हवाई अड्डे की घटना, 2024) की बढ़ती घटनाएँ।
- प्रशिक्षित ग्राउंड स्टाफ और प्रमाणित तकनीशियनों की कमी।
- मेट्रो हवाई अड्डों पर बढ़ते हवाई यातायात से भीड़भाड़ संबंधी जोखिम उत्पन्न होते हैं।
संवहनीयता: महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य, असमान क्रियान्वयन
- पहल:
- कोचीन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा: पूरी तरह से सौर ऊर्जा से चलने वाला विश्व का पहला हवाई अड्डा।
- भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) ने प्रमुख हवाई अड्डों के लिये वर्ष 2030 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन के लिये प्रतिबद्धता जताई है।
- नए टर्मिनलों में हरित भवन संहिता का उपयोग (जैसे: नोएडा में जेवर हवाई अड्डे को शुद्ध-शून्य सुविधा के रूप में योजनाबद्ध किया गया है)।
- चुनौतियाँ:
- विमानन क्षेत्र वैश्विक CO₂ उत्सर्जन का 2-3% हिस्सा है और भारत के बढ़ते बेड़े के आकार से इसके कार्बन फुटप्रिंट में वृद्धि का खतरा है।
- इलेक्ट्रिक ग्राउंड वाहनों, जैव ईंधन और कार्बन ऑफसेटिंग प्रथाओं को व्यापक रूप से अपनाने का अभाव।
क्षेत्रीय संपर्क: UDAN का मिश्रित रिकॉर्ड
- उपलब्धियाँ:
- UDAN (उड़े देश का आम नागरिक) योजना 475 से अधिक मार्गों और 74 असेवित/अल्पसेवित हवाई अड्डों पर संचालित हुई।
- पूर्वोत्तर, उत्तराखंड जैसे क्षेत्रों और महाराष्ट्र एवं गुजरात के छोटे शहरों में हवाई यात्रा की सुगमता में वृद्धि हुई।
- सीमाएँ:
- कई UDAN मार्गों पर यात्री भार कारक (PLF) कम हैं और वित्तीय व्यवहार्यता के साथ संघर्ष करते हैं।
- कुछ चालू हवाई अड्डे सहायक बुनियादी अवसंरचना (जैसे: अंतिम-बिंदु संपर्क) की कमी के कारण कम उपयोग में हैं।
निष्कर्ष:
जैसा कि भारतीय विमानन के जनक जे.आर.डी. टाटा ने ज़ोर दिया था, "दक्षता और सुरक्षा विमानन के दो स्तंभ होने चाहिये।" भारत के विमानन विकास को जिम्मेदार और लचीला बनाने के लिये हरित विमानन, मज़बूत विनियमन और व्यवहार्य क्षेत्रीय हवाई नेटवर्क पर केंद्रित दीर्घकालिक रणनीति आवश्यक है।