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16 Jul 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 3
अर्थव्यवस्था
दिवस-27: “प्रौद्योगिकी-संचालित नवाचार भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को एक वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्द्धी और संधारणीय उद्योग के रूप में नया रूप दे रहा है।” खाद्य प्रसंस्करण में उद्योग 4.0 प्रौद्योगिकियों की परिवर्तनकारी भूमिका का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में उद्योग 4.0 प्रौद्योगिकियों की भूमिका का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
- उद्योग 4.0 प्रौद्योगिकियों की परिवर्तनकारी भूमिका का विश्लेषण कीजिये तथा सकारात्मक प्रभावों और चुनौतियों दोनों पर प्रकाश डालिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
उद्योग 4.0 अथवा इंडस्ट्री 4.0 प्रौद्योगिकियाँ भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रही हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), रोबोटिक्स और स्वचालन जैसी तकनीकों के माध्यम से परिचालन क्षमता, खाद्य सुरक्षा एवं आपूर्ति शृंखला में पारदर्शिता को मज़बूती मिल रही है। इन नवाचारों के साथ भारत वैश्विक स्तर पर इस क्षेत्र में एक उभरती हुई शक्ति के रूप में स्थापित हो रहा है।
मुख्य भाग:
खाद्य प्रसंस्करण पर उद्योग 4.0 के सकारात्मक प्रभाव:
- परिचालन दक्षता में वृद्धि: AI और IoT वास्तविक काल में डेटा संग्रह के माध्यम से खाद्य प्रसंस्करण आपूर्ति शृंखलाओं का अनुकूलन कर रहे हैं, संसाधन उपयोग में सुधार कर रहे हैं और परिचालन लागत को कम कर रहे हैं।
- AI-संचालित पूर्वानुमानित रखरखाव उपकरण विफलताओं का पूर्वानुमान लगाता है, डाउनटाइम को कम करता है और अधिक कुशल उत्पादन सुनिश्चित करता है।
- AI-संचालित पूर्वानुमानित रखरखाव उपकरण विफलताओं का पूर्वानुमान लगाता है, डाउनटाइम को कम करता है और अधिक कुशल उत्पादन सुनिश्चित करता है।
- खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता नियंत्रण में सुधार: ट्रेसिबिलिटी में ब्लॉकचेन तकनीक के एकीकरण ने खाद्य आपूर्ति शृंखला में पारदर्शिता को बढ़ाया है, जिससे खेत से लेकर खुदरा विक्रय तक खाद्य गुणवत्ता सुनिश्चित हुई है।
- छँटाई, पैकेजिंग और प्रसंस्करण में रोबोटिक्स एवं स्वचालन मानवीय त्रुटियों व संदूषण को कम करने में सहायता करते हैं, जिससे खाद्य उत्पाद सुरक्षित बनते हैं।
- खाद्य अपव्यय में कमी: AI और IoT सेंसर भंडारण और परिवहन के दौरान तापमान व आर्द्रता की निगरानी करते हैं ताकि खाद्य पदार्थों को खराब होने से बचाया जा सके एवं भारत में खाद्य अपव्यय की समस्या से निपटा जा सके।
- खाद्य रोबोटिक्स बाज़ार से प्रसंस्करण और पैकेजिंग के दौरान होने वाले अपव्यय में उल्लेखनीय कमी आने की उम्मीद है।
- लघु और मध्यम उद्यमों (SME) का सशक्तीकरण: स्वचालन और स्मार्ट कारखाने SME को बिना किसी बड़े पूंजी निवेश के आधुनिक तकनीकों तक पहुँच प्रदान करते हैं।
- यह मापनीयता को सक्षम करता है, उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार करता है और भारत के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाता है।
उद्योग 4.0 को लागू करने में चुनौतियाँ:
- उच्च प्रारंभिक लागत: रोबोटिक्स, AI और ब्लॉकचेन जैसी उन्नत तकनीकों के अंगीकरण में महत्त्वपूर्ण प्रारंभिक लागत शामिल होती है, जो भारत में छोटे व्यवसायों एवं किसानों (विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में) के लिये एक बड़ी बाधा हो सकती है।
- कुशल कार्यबल की कमी: उद्योग 4.0 तकनीकों के संचालन और रखरखाव में सक्षम प्रशिक्षित कर्मियों की कमी है।
- पर्याप्त प्रशिक्षण कार्यक्रमों के बिना, इन तकनीकों की क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो पाता है।
- बुनियादी अवसंरचना की चुनौतियाँ: उद्योग 4.0 प्रौद्योगिकियों के कार्यान्वयन के लिये विश्वसनीय बिजली, इंटरनेट कनेक्टिविटी और भंडारण सुविधाओं जैसे मज़बूत बुनियादी अवसंरचना की आवश्यकता होती है।
- कई ग्रामीण क्षेत्रों में आवश्यक बुनियादी ढाँचे का अभाव है, जिससे इन नवाचारों को व्यापक रूप से अंगीकरण में बाधा आ रही है।
- पर्यावरण संबंधी चिंताएँ: स्वचालन और रोबोटिक्स दक्षता में सुधार करते हैं, लेकिन ये कार्बन उत्सर्जन एवं ई-अपशिष्ट उत्पादन में भी योगदान करते हैं।
- संधारणीय पर्यावरणीय कल्याण के लिये इन प्रौद्योगिकियों के अंगीकरण में स्थायी प्रथाओं को सुनिश्चित करना आवश्यक है।
निष्कर्ष:
उद्योग 4.0 प्रौद्योगिकियाँ भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में परिवर्तन ला रही हैं, इसकी दक्षता, सुरक्षा और संवहनीयता को बढ़ा रही हैं। हालाँकि, लागत बाधाओं, कुशल श्रमिकों की कमी और बुनियादी अवसंरचना की कमी जैसी चुनौतियों का समाधान इस क्षेत्र की क्षमता को अधिकतम करने एवं समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।