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  • 08 Aug 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाज

    दिवस 29: चर्चा कीजिये कि किस प्रकार प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था और राजनीति भारतीय समाज में परिवर्तन लाए हैं? (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • सामाजिक परिवर्तन की अवधारणा और सामाजिक परिवर्तन की का परिचय दीजिये।
    • प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था और राजनीति जैसे कारकों द्वारा सामाजिक परिवर्तन (सकारात्मक और नकारात्मक) पर चर्चा कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    सामाजिक परिवर्तन वे परिवर्तन हैं जो किसी वस्तु या स्थिति की अंतर्निहित संरचना को बदलते हैं।

    सामाजिक परिवर्तन के रूप में अर्हता प्राप्त करने के लिये तथा समाज के एक बड़े क्षेत्र पर व्यापक प्रभाव डालने हेतु परिवर्तन अंतर्वेधी और बहिर्वेधी दोनों होना चाहिये।

    उदा. सती प्रथा का उन्मूलन या देवदासी प्रथा का उन्मूलन।

    कई आंतरिक (समाज से ही परिवर्तन की शक्ति) और बाहरी (समाज के बाहर से परिवर्तन की शक्ति) कारक हैं जो भारतीय समाज में परिवर्तन लाने के लिये उत्तरदायी हैं।

    प्रौद्योगिकी, आर्थिक और राजनीतिक कारक भारतीय समाज में परिवर्तन लाने के लिये उत्तरदायी हैं।

    प्रौद्योगिकी ने मनुष्य के जीवन को काफी हद तक प्रभावित किया है और प्रकृति तथा मानव समाज के साथ मनुष्य की गतिविधि के संदर्भ में धारणा को नियतिवाद से संभावनावाद में बदल दिया है।

    प्रौद्योगिकी ने समाज में विभिन्न सामाजिक परिवर्तन किये जैसे:

    • बड़ी समुद्री परिवहन क्षमता वाले बड़े कोयले से चलने वाले जहाज़ों के उद्भव ने देशों के बीच व्यापार में क्रांति ला दी और माल के उत्पादन में वृद्धिं के साथ खपत और मांग भी बढ़ गई।
    • अधिक व्यापार की यह भावना व्यापारिकता और पूंजीवाद जैसी अवधारणाओं को लेकर आई और अंततः उपनिवेशवाद में परिणत हुई जिसने औपनिवेशिक समाजों को अपरिवर्तनीय तरीकों से बदल दिया।
    • आग और भाप की शक्ति का उपयोग करने की प्रौद्योगिकी ने यूरोपीय देशों में औद्योगिक क्रांति ला दी और बाद में समाज के पूरे समूह को बदल दिया।
    • आज की प्रौद्योगिकी ने युद्ध, परिवहन से लेकर संचार तक की अधिकांश चीजों को बदल दिया है। और इससे परिवार और समाज दोनों में श्रम विभाजन में परिवर्तन होता है। उदा: यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि महिला चालक दल एक युद्धपोत की कमान संभाल रहे हैं जिसमें हथियार या घर और होटलों में रसोई के रूप में काम करने वाले पुरुष शामिल हैं।
    • सोशल मीडिया का उदाहरण लीजिये, आज यह न केवल क्रान्तिकारियों को संचार, ज्ञान विकेन्द्रीकरण का मार्ग दिखाता है, बल्कि समाज में अधिक लोकतंत्रीकरण भी लाता है क्योंकि इसकी समतावादी प्रकृति और संचार की निर्बाध स्वतंत्रता है।

    प्रौद्योगिकी की तरह, अर्थव्यवस्था ने भी समाज को कई तरह से बदल दिया जैसे:

    • हमने अतीत की वस्तु विनिमय प्रणाली से आज की क्रिप्टो दुनिया की यात्रा की और इस क्रांतिकारी परिवर्तन ने न केवल वित्तीय लेनदेन और मौद्रिक प्रबंधन के संदर्भ में आर्थिक दुनिया को बदल दिया है, बल्कि आर्थिक क्षेत्र में विकेंद्रीकरण धन भंडारण, समतावाद जैसे परिवर्तन समाज में लाए हैं, जिसने भारत की पारंपरिक संस्थाओं जैसे ज़मींदार, साहूकारों को काफी हद तक चुनौती दी है।
    • आधुनिक अर्थव्यवस्था के औद्योगिक उत्पादन में फोर्डिज्म के विकास ने कॉर्पोरेट दुनिया के कौशल और योग्यता की मान्यता के कारण श्रम कृषि और पारंपरिक भारतीय समाज के जाति आधारित विभाजन की प्रणाली को चुनौती दी।
    • भारतीय समाज में परिवारिक स्तर पर, पितृसत्ता की धारणा और रोटी कमाने वाले के रूप में पुरुष का दर्जा, दोनों मानसिकताएँ अब दूर हुई हैं तथा आर्थिक क्षेत्रों के उद्भव के कारण श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है।
    • आर्थिक विकास ने अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र को बदल दिया है जैसे कृषि से लेकर नकदी फसल तक, वन से लेकर वृक्षारोपण आदि तक जिसने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बड़े पैमाने पर बदल दिया। उदा. भारत में दुग्ध सहकारी समितियों के उदय ने विभिन्न तरीकों से मवेशियों, दूध की किफायत की और ग्रामीण-कृषि-अर्थव्यवस्था का एक नया क्षेत्र बनाया। इसने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में कृषि वस्तुओं का आनुपातिक समान मूल्य प्रदान किया।

    यह स्पष्ट है कि भारतीय समाज को बदलने में प्रौद्योगिकी और आर्थिक करक दोनों का बहुत बड़ा योगदान है। आइये हम भारतीय समाज में परिवर्तन लाने में राजनीतिक कारक की भूमिका की जाँच करें।

    • तीन तलाक, सती प्रथा और देवदासी प्रथा जैसी धार्मिक प्रथाओं में सुधार भारत में राजनीतिक बल द्वारा लाया गया। इसने न केवल पीढ़ियों के बीच प्रतिस्पर्धा को बदला बल्कि समाज से दमनकारी संस्थाओं को भी समाप्त किया और पारिवारिक स्तर पर बड़े परिवर्तन किये।
    • राजनीतिक शक्ति के कारण पंचायती राज संस्थान के उद्भव ने भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में सीधे उदार लोकतंत्र को जन्म दिया और भारतीय ग्रामीण अभिजात वर्ग की जाति आधारित और वंशानुगत शक्ति प्रणाली को चुनौती दी। इसने न केवल सभी को समान मूल्य प्रदान किया बल्कि एससी, एसटी और महिलाओं के पक्ष में सकारात्मक कार्यों द्वारा सत्ता में भागीदारी में समानता भी प्रदान की। इसका नकारात्मक प्रभाव यह है कि इसने सत्ता की एकाग्रता को जाति पदानुक्रम के आधार पर बदलकर यूपी, बिहार में यादव और आंध्र में रेड्डी जैसी प्रमुख जातियों के आधार पर कर दिया।

    युद्ध जैसी राजनीतिक ताकतों ने भी समाजों में परिवर्तन लाए जैसे:

    • जापान पर अमेरिका के कब्जे ने जापान में उदार लोकतंत्र ला दिया और इसे एक महान औद्योगिक बनने में सक्षम बनाया
    • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान महिलाओं को सेना में शामिल होने, उद्योग चलाने और भारी मशीनरी के साथ काम करने के लिये मज़बूर किया गया था। यद्यपि इसने यूरोपीय समाज में समान अधिकारों, प्रतिनिधित्व और संसाधनों पर दावे के लिये महिलाओं की आवाज उठाई, जिसने अंततः सभी और हर समाज में एक गति लाई।

    आज का समाज विभिन्न रंगों के विभिन्न धागों की पच्चीकारी की तरह है। पच्चीकारी के धागे या धागे के रंग में बदलाव ने समाज के पूरे ताने-बाने में देर-सबेर बदलाव लाए। तो, यहाँ अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी और राजनीति समाज के धागे की तरह हैं और सभी में समग्र रूप से समाज की सामाजिक व्यवस्था में परिवर्तन लाने की एक बड़ी क्षमता है।

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