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कृषि

विश्व व्यापार संगठन में सुधार

  • 11 Jan 2022
  • 12 min read

विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization- WTO) का 12वाँ मंत्रिस्तरीय सम्मेलन 30 नवंबर से 3 दिसंबर तक जिनेवा में संपन्न हुआ। विश्व व्यापार संगठन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार हेतु नियम बनाने का प्रमुख मंच है। पिछले ढाई दशकों से इसने वस्तुओं और सेवाओं दोनों में व्यापार में आने वाली बाधाओं को कम करने में मदद की है और एक विवाद समाधान प्रणाली बनाई है, जिससे व्यापार युद्ध यानी ट्रेड वार कम हुआ है।

  • हालाँकि कुछ असहमतियों के कारण व्यापक विकास एजेंडा पर बातचीत के साथ विश्व व्यापार संगठन पर सार्थक परिणाम प्राप्त करने के लिये काफी दबाव है। कृषि पर बनी समिति को अभी तक सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग के मुद्दे का समाधान नहीं मिला है। भारत ने चेतावनी दी है कि सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग पर विकासशील तथा अल्पविकसित देशों के बीच एक भेद पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है और एक ऐसे मुद्दे पर स्थायी समाधान की मांग की है जो भारतीय खाद्य निगम जैसी एजेंसियों द्वारा खरीद के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने भी कहा है कि विकसित देशों द्वारा विश्व व्यापार संगठन के सुधारों को गरीब और विकासशील देशों को प्रदान किये जा रहे विशेष एवं विभेदक उपचार से जोड़ना अनुचित है और व्यापार निकाय को अपने मामलों का संचालन करने के तरीके का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।

विश्व व्यापार संगठन द्वारा सामना की जाने वाली समस्याएँ

  • विवाद निपटान के मामले फिलहाल दर्ज किये जा रहे हैं और उन पर मुकदमा चलाया जा रहा है।  
  • 21वीं सदी में विश्व व्यापार संगठन की रणनीतिक प्रासंगिकता के लिये प्रमुख चुनौतियों का सामना करने हेतु तकनीकी कार्यप्रणाली अभी पूरी तरह से अपर्याप्त है। महत्त्वपूर्ण मसलों पर WTO ने न तो प्रतिक्रिया दी है और न ही तकनीकी प्रणाली में कोई अनुकूलन किया है।
  • वर्तमान में विश्व व्यापार संगठन की संरचना और कार्यात्मक विभाग दोनों ही कमज़ोर नज़र आ रहे हैं।
  • वाणिज्यिक गतिविधियों में संलग्न राज्य अप्रत्यक्ष रूप से WTO के कार्यों में बाधा पहुँचा रहे हैं एवं निजी क्षेत्र के ऑपरेटर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मुख्य रूप से एक बाज़ार आधारित अर्थव्यवस्था में आपूर्ति और मांग आधारित कीमत पर करना चाहते हैं।
  • विश्व व्यापार संगठन के कई सदस्य घरेलू सब्सिडी का गलत तरीके से प्रयोग करते हैं।  कृषि और औद्योगिक सब्सिडी ने इसकी प्रणाली में रुकावटें पैदा की हैं और विश्व व्यापार संगठन के कई सदस्यों में संरक्षणवादी प्रतिक्रियाओं को प्रेरित किया है।
  • विश्व व्यापार संगठन विवाद निपटान प्रणाली के अपीलीय निकाय चरण में रुकावट और गतिरोध ने वर्तमान संकट को जन्म दिया।
  • विश्व व्यापार संगठन ने एक ओर हानिकारक संरक्षणवाद का मुकाबला करने के लिये आर्थिक सुधार का समर्थन करने और उचित तरीके से व्यापार हेतु बाध्य करने के लिये स्थापित संस्था के रूप में बनाए हुए महत्त्वपूर्ण संतुलन को खो दिया तथा दूसरी ओर मुकदमेबाज़ी-आधारित विवाद निपटान के लिये एक संस्था के रूप में भी इसकी प्रासंगिकता काम हुई है।
  • वर्षों से व्यापार विवाद के निपटारे के लिये बहुपक्षीय प्रणाली गहन जाँच और निरंतर आलोचना के अधीन रही है। अमेरिका ने नए अपीलीय निकाय के सदस्यों ("न्यायाधीशों") की नियुक्ति को व्यवस्थित रूप से अवरुद्ध कर दिया है और वास्तव में विश्व व्यापार संगठन के अपीलीय तंत्र के काम में बाधा डाली है।

पृष्ठभूमि:

  • WTO को वर्ष 1947 में संपन्न हुए प्रशुल्क एवं व्यापार पर सामान्य समझौते (General Agreement on Tariffs and Trade- GATT) के स्थान पर अपनाया गया।
  • WTO के निर्माण की पृष्ठभूमि गैट के उरुग्वे दौर (वर्ष1986-94) की वार्ता में तैयार हुई तथा 1 जनवरी, 1995 को WTO द्वारा कार्य शुरू किया गया।
  • जिस समझौते के तहत WTO की स्थापना की गई उसे "मारकेश समझौते" के रूप में जाना जाता है। इसके लिये वर्ष 1994 में मोरक्को के मारकेश में हस्ताक्षर किये गए।

WTO के बारे में:

  • WTO एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो देशों के मध्य व्यापार के नियमों को  विनियमित करता है।
  • GATT और WTO में मुख्य अंतर यह है  कि GATT जहाँ ज़्यादातर वस्तुओं के व्यापार को विनियमित करता था, वहीँ WTO और इसके समझौतों में न केवल वस्तुओं को बल्कि सेवाओं और अन्य बौद्धिक संपदाओं जैसे- व्यापार चिन्हों, डिज़ाइनों व आविष्कारों से संबंधित व्यापार को भी शामिल किया जाता है।
  •  WTO का मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में स्थित है।
  • भारत वर्ष 1947 में GATT तथा WTO का संस्थापक सदस्य देश बना।

मंत्रिस्तरीय सम्मेलन:

  • WTO की संरचना में मंत्रिस्तरीय सम्मेलन सर्वोच्च प्राधिकरण है जिसका गठन   WTO के सभी सदस्यों देशों से मिलकर होता है, इसके सभी सदस्यों को कम-से-कम हर दो वर्ष में मिलना आवश्यक है। मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के सदस्य बहुपक्षीय व्यापार समझौतों के तहत सभी मामलों पर निर्णय लेने में सक्षम होते हैं।

सामान्य परिषद: 

  • इसका गठन WTO के सभी सदस्य देशों से मिलकर होता है जो मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के प्रति उत्तरदायी है।
  • विवाद समाधान निकाय और व्यापार नीति समीक्षा निकाय: 
  • सामान्य परिषद का आयोजन मुख्यत: दो विषयों को ध्यान में रखकर किया गया है:
    • विवाद समाधान निकाय: इसके माध्यम से विवादों के समाधान हेतु अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं का संचालन किया जाता है।
    • व्यापार नीति समीक्षा निकाय: इसके द्वारा WTO के प्रत्येक सदस्य की व्यापार नीतियों की नियमित समीक्षा की जाती है।

आवश्यक कदम

  • विश्व व्यापार संगठन बाज़ार बनाम राज्य के परस्पर विरोधी आर्थिक मॉडल को समायोजित नहीं कर सकता है। विश्व व्यापार संगठन के सभी सदस्यों को बाज़ार अर्थव्यवस्था, निजी क्षेत्र और प्रतिस्पर्द्धा द्वारा संचालित नियम-आधारित आदेश की परिचालन धारणा को स्वीकार करना होगा।
  • यह समझते हुए कि खाद्य सुरक्षा संबंधी चिंताएँ बिना बातचीत के हाल नहीं हो सकती, कृषि सब्सिडी और बाज़ार पहुँच के अंतर्संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के लिये बातचीत शुरू होनी चाहिये।
  • एक विश्वसनीय व्यापार प्रणाली के लिये एक विवाद निपटान प्रणाली की आवश्यकता होती है जो सभी द्वारा स्वीकृत होना चाहिये।
  • व्यापार संतुलन को बहाल करने के लिये बातचीत की गंभीरता से कोशिश शुरू करनी चाहिये और इसमें सभी पक्षों को शामिल करना चाहिये। 
  • कई क्षेत्रों में गैट/डब्ल्यूटीओ के नियम पुराने हैं। बाज़ार और तकनीक में बदलाव के साथ तालमेल बिठाने के लिये नए नियमों की जरूरत है।  व्यापार-विकृत औद्योगिक सब्सिडी से लेकर डिजिटल व्यापार तक के विषयों पर नियमों को बनाना व बदलना आवश्यक है।
  • हालाँकि मत्स्य पालन सब्सिडी पर चर्चा लंबे समय से अटकी हुई है, लेकिन इन सब्सिडी पर लगाम लगाने के लिये समझौते पर जल्द निष्कर्ष पर काफी जोर दिया जा रहा है।
  • हालाँकि इस मुद्दे पर मौजूदा मसौदा पूरी तरह से असंतुलित है क्योंकि वे बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक मछली पकड़ने पर लगाम लगाने के उपाय प्रदान नहीं करते हैं जो दुनिया भर में मछली के स्टॉक को कम कर रहे हैं और साथ ही छोटे मछुआरों की आजीविका को खतरे में डाल रहे हैं, जैसे-भारत।
  • हाल के महीनों में आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के सदस्यों और जी -20 सदस्यों द्वारा डिजिटल कंपनियों पर वैश्विक न्यूनतम करों को लागू करने के प्रस्ताव ने सुर्खियाँ बटोरीं।
  • लेकिन विश्व व्यापार संगठन में इनमें से अधिकांश देश ई-कॉमर्स फर्मों के विस्तार के लिये पूंजी का निवेश कर रहे हैं। वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य पर मंत्रिस्तरीय घोषणा को अपनाने के बाद वर्ष 1998 से विश्व व्यापार संगठन में ई-कॉमर्स पर चर्चा हो रही है, जिसमें विश्व व्यापार संगठन के सदस्य "इलेक्ट्रॉनिक प्रसारण पर सीमा शुल्क नहीं लगाने के अपने अभ्यास को जारी रखने" के लिये सहमत हुए।

निष्कर्ष:

इसके जवाब में विश्व व्यापार संगठन कह सकता है कि मुक्त व्यापार एशिया के विकासशील देशों के विकास का एक महत्वपूर्ण इंजन रहा है। हालाँकि कुछ अल्पकालिक समस्याएँ हो सकती है किंतु इससे दीर्घकालिक फायदे ही हुए हैं। इसके अलावा विश्व व्यापार संगठन को विकासशील देशों के लिये छूट देने की मांग को आगे बढ़ाना चाहिये साथ ही सैद्धांतिक रूप से विकासशील देशों को विकसित देशों की तुलना में आयात को सीमित करने की अनुमति दी जानी चाहिये।

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