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भारतीय अर्थव्यवस्था

देश देशांतर : फिनटेक 2018 (FinTech 2018)

  • 20 Nov 2018
  • 20 min read

संदर्भ

सिंगापुर फिनटेक फेस्टिवल वित्तीय टेक्नोलॉजी पर दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन है। साल 2016 में शुरू हुए फिनटेक फेस्टिवल को संबोधित करने वाले नरेंद्र मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिनटेक फेस्टिवल को संबोधित करते हुए कहा कि 2014 में उनकी सरकार के सत्ता में आने के बाद से अब तक भारत डिजिटल इनोवेशन के क्षेत्र में बहुत आगे बढ़ चुका है। आज भारत दुनिया भर की फिनटेक कंपनियों के लिये बहुत बड़े अवसर के तौर पर सामने है। उन्होंने फिनटेक कंपनियों को भारत में स्टार्ट-अप का न्यौता दिया और बताया कि केंद्र सरकार ने देश में कई अहम कदम उठाए हैं जिसके बाद भारत कारोबार के लिये दुनिया की सबसे बेहतर जगह है। इस मौके पर पीएम मोदी ने सिंगापुर में ऑनलाइन ग्लोबल फिनटेक मार्केटप्लेस (APIX) भी लॉन्च किया।

  • भारत में वित्तीय समावेशन 3 अरब भारतीयों के लिये हकीकत बन गया है। कुछ ही वर्षों में 1.2 अरब से अधिक बायोमीट्रिक पहचान- आधार या फाउंडेशन बनाए गए हैं। साल2016 में शुरू हुए फिनटेक फेस्टिवल को संबोधित करने वाले मोदी विश्व स्तर के पहले नेता हैं।
  • सिंगापुर फिनटेक फेस्टिवल (SFF) पहले से ही वित्तीय प्रौद्योगिकी या फिनटेक (financial technology) पर आधारित दुनिया का सबसे बड़ा कार्यक्रम है। 2017 में इसमें 100 से अधिक देशों के तकरीबन 30,000 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था।

पृष्ठभूमि

  • वर्षों पहले इसे बैंक एंड डेटा सेंटर प्रोसेसिंग प्लेटफॉर्म के रूप में माना जाता था लेकिन 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद फिनटेक एंड-टू-एंड लेन-देन प्रोसेसिंग प्रदाता का आधार बन गया जो इंटरनेट और क्लाउड सेवाओं का उपयोग करता है।
  • इसने बैंकिंग और निवेश, परिसंपत्ति प्रबंधन और बीमा, सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ ही मनी को भी परिवर्तित कर दिया है (बिटकोइन जैसे क्रिप्टोकरेंसी की क्रांति)।
  • कुछ साल बाद शीर्ष फिनटेक कंपनियाँ लगभग हर वित्तीय सेवा क्षेत्र के लिये दिशा और गति को परिभाषित करेंगी।

फिनटेक तथा इसका महत्त्व

  • फिनटेक (fintech) यानी financial technology जिसका अर्थ यह है कि जब आप अपने वित्तीय कार्य  को टेक्नोलॉजी की मदद से पूरा करते है तो उसे फिनटेक कहा जा सकता है और इस कार्य को पूरा करने वाली कंपनी को फिनटेक कंपनी कहा जाता है।
  • दूसरे शब्दों में यह पारंपरिक वित्तीय सेवाओं और विभिन्न कंपनियों तथा व्यापार में वित्तीय पहलुओं के प्रबंधन में आधुनिक तकनीक का कार्यान्वयन है।
  • पहले के समय में बैंक से पैसा निकालने के लिये रजिस्टर मेन्टेन करना होता था जिसमें काफी समय भी लगता था। लेकिन अब बैंकिंग सिस्टम में भी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होने से कोर बैंकिंग सिस्टम प्रचलन में आ गया है और पैसे का लेन-देन आसान हो गया है, इसे भी हम फिनटेक कह सकते हैंI
  • उदाहरण के तौर पर UPI या भीम एप जो कि वित्तीय तकनीक का एक हिस्सा है, पैसा भेजने की समस्या को तुरंत हल कर देता है।
  • फिनटेक कंपनियाँ अपने इनोवेशन की वज़ह से देश के कोने-कोने में बैंकिंग सर्विस पहुँचाने में मददगार रही हैं। यही वज़ह है कि अब बैंक इन्हें अपना प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि पार्टनर मानने लगे हैं।
  • अगर आप रेडियो टैक्सी का किराया चुकाने या रेस्टोरेंट का बिल चुकाने के लिये पेमेंट नकद में नहीं बल्कि पेटीएम से करते हैं तो आप देश में फिनटेक रिवोल्यूशन का हिस्सा बन चुके हैं।
  • इस रिवोल्यूशन ने न सिर्फ हमारे और आपके लिये अपने पास कैश रखने की ज़रूरत खत्म कर दी है बल्कि बैंकिंग सर्विस का रूप भी बदल कर रख दिया है।
  • अगर एक के बाद एक, बैंक अपनी मोबाइल वॉलेट सर्विस लॉन्च कर रहे हैं तो यह इन्हीं फिनटेक कंपनियों की वजह से है। यही कारण है कि अब बैंक इन फिनटेक कंपनियों को अपने साथ ला रहे हैं।
  • ये फिनटेक स्टार्ट-अप बैंकों के लिये पेमेंट, कैश ट्रांसफर जैसी सर्विसेज़ में काफी मददगार साबित हो रहे हैं। साथ ही ये देश के दूर-दराज़ के इलाकों तक बैंकिंग सर्विसेज़ को उपलब्ध करा रहे हैं।
  • फिनटेक प्रदाता अब बचत, उधार, बीमा और अन्य वित्तीय उत्पादों तथा सलाहकार सेवाओं की पेशकश शुरू कर रहे हैं।
  • देश में आज पेटीएम, मोबीविक और फ्री रिचार्ज जैसी कंपनियाँ तेज़ी से आगे बढ़ रही हैं और बैंकों का साथ समन्वय से छोटी कंपनियों को भी अपने नए आइडिया पर काम करने का मौका मिल रहा है।
  • केपीएमजी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस वक्त देश में फिनटेक सेक्टर का कारोबार 33 अरब डॉलर का है जो 2020 तक 73 अरब डॉलर तक पहुँच सकता है।
  • सरकार की कोशिश भी देश की इकोनॉमी को कैशलेस बनाने की है, ऐसे में फिनटेक कंपनियों की भूमिका आने वाले दिनों में और भी बड़ी होने जा रही है।

सिंगापुर फिनटेक फेस्टिवल (SFF) में भारत के प्रतिनिधित्व के मायने

  • पिछले एक दशक में वित्तीय तंत्र, बैंकिंग ट्रांजेक्शन आदि बहुत सारे क्रांतिकारी बदलाव आए हैं। बहुत सारे प्लेटफॉर्म विकसित हुए हैं जिनसे वित्तीय लेन-देन किया जा रहा है। उदहारण के लिये पेटीएम आदि के आ जाने से अब बैंक जाने की ज़रुरत नहीं पड़ती है और छोटे-बड़े सभी तरह के वित्तीय लेन-देन किये जा सकते हैं।
  • एक बहुत बड़ा बदलाव यह आया है कि अब वित्तीय तंत्र बैंक के ऊपर निर्भर नहीं रह गया है। इस सिस्टम में छोटे तबके का व्यक्ति भी शामिल हो सकता है। इस सिस्टम में 5 रुपए, 10 रुपए से लेकर 10000 रुपए ट्रांसफर करने वाला व्यक्ति भी आ रहा है।
  • इस व्यवस्था में छोटे तबके के लोग भी शामिल हो रहे हैं तथा पारदर्शिता भी बढ़ रही है। इस प्रकार देखा जाए तो भारत में इस क्षेत्र में काफी काम हो रहा है और बदलाव भी दिखाई दे रहा है।
  • फिनटेक कंपनियों का मानना है कि वर्तमान समय में जो वित्तीय व्यवस्था है, वित्तीय लेन-देन हो रहा है उसे नए रूप में तथा नए तरीके से देखने की ज़रूरत है।

भारत की क्षमता और संभावनाएँ

  • भारत में काफी पहले से जिस टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता रहा है, उसे किस तरह से और बेहतर तरीके से उपयोग किया जा सकता है और उसे लागू करके उत्पादकता को किस प्रकार बढ़ाया जा सकता है तथा गरीब तबके तक पहुँचाया जा सकता है, यही है फिनटेक का उद्देश्य।
  • जहाँ तक इसे लागू करने की बात है तो चाहे जनधन हो, मुद्रा स्कीम हो, डायरेक्ट पेमेंट हो और चाहे वह बैंकिंग फ्रेमवर्क के लिये हो या नॉन बैंकिंग फ्रेमवर्क के लिये हो फिनटेक टेक्नोलॉजी लोगों को सक्षम बनाती है तथा इसका लक्ष्य अंतिम उपभोक्ता तक पहुँचना है।
  • जहाँ तक भारत की बात है वर्ल्ड बैंक की पिछले वर्ष की रिपोर्ट और इस साल की रिपोर्ट में 3 प्रतिशत वृद्धि दर की बात की गई है। भारत में एक आम आदमी भी अमीर है, हर व्यक्ति के पास खर्च करने की क्षमता है, परचेजिंग पॉवर काफी अधिक है।
  • भारत एक काफी बड़ा बाज़ार है जो कि सिर्फ सामान खरीदने के लिये नहीं बल्कि फिनटेक ट्रांजेक्ट तथा व्यवसाय करने के लिये भी काफी शक्तिशाली है। यह पिछले 10-15 सालों से देखने में आ रहा है।
  • अब छोटी-छोटी वस्तुएँ भी क्रेडिट कार्ड के ज़रिये खरीदी जाने लगी हैं। पहले लोग अपने ही धन पर निर्भर रहते थे। इस तरह भारत की कैश रिच इकॉनमी को देखते हुए इस पहल के माध्यम से देश को आगे लाया जा रहा है और इसकी अपनी एक अलग पहचान बन रही है।
  • भारत की जनसंख्या न सिर्फ विश्व की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या है बल्कि इसमें क्षमता भी है। यह कंजम्पशन फैक्टर, प्रोडक्शन फैक्टर बन सकती है और आगे बढ़ सकती है।
  • जिस प्रकार आईटी सेक्टर में भारत ने काफी सफलता हासिल की है। हमें फिनटेक के माध्यम से आम आदमी के जीवन स्तर में सुधार लाने की दिशा में काम करने की ज़रूरत है। केवल विलासितापूर्ण लाइफ स्टाइल ही महत्त्वपूर्ण नहीं है बल्कि इसके कुछ मीन्स तथा बेसिक्स भी होने ज़रूरी हैं। भोजन और पानी कहीं से भी खरीदा जा सके ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न किये जाने की ज़रूरत है।
  • हमें ऐसी टेक्नोलॉजी विकसित करने की ज़रूरत है जो मोबाइल या इंटरनेट के माध्यम से ही नहीं बल्कि आधार, बायोमेट्रिक के माध्यम से भी पैसा ट्रान्सफर कर सके। इस दिशा में सार्थक कदम उठाए जा रहे हैं तथा इसके लाभ भी दिखाई दे रहे हैं।
  • वित्तीय समावेशन में टेक्नोलॉजी के योगदान के माध्यम से आम आदमी के जीवन स्तर को उठाने की कोशिश की जा रही है, यह मंच इस तथ्य को मान्यता देता है।

क्या किये जाने की ज़रूरत है?

  • हालाँकि गैप काफी है फिर भी फिनटेक का इस्तेमाल कर हम इस गैप को कवर कर सकते हैं। क्योंकि फिनटेक का सबसे बड़ा लाभ यह है कि गाँव-गाँव जाकर बैंक ब्रांचेज़ खोलने की ज़रूरत नहीं है और न ही बैंकिंग प्रतिनिधियों की ज़रूरत है।
  • स्मार्ट फ़ोन के माध्यम से एयरटेल मनी एप या अलग-अलग तरह के एप का उपयोग गाँवों में भी होने लगा है और लोग इनके ज़रिये पैसे ट्रांसफर करने लगे हैं।
  • अगर गाँवों से शहर में किसी व्यक्ति को ऐसी जगह पर पैसे ट्रांसफर करने हों जहाँ पर बैंक नहीं हैं, पोस्ट ऑफिस भी नहीं है उस स्थिति में भी फ़ोन के ज़रिये मिनटों में पैसा भेजा जा सकता है।
  • इन सभी तकनीकों को अपनाया जा रहा है, साथ ही अन्य देशों में भी इसे अपनाया जा रहा है। लेकिन इसका क्या खतरा हो सकता है इसका पता लगाना अभी बाकी है।
  • हमें उस हिसाब से अपने रिस्क मैनेजमेंट द्वारा कवर अप करने की ज़रूरत है। टेक्नोलॉजी के लिहाज़ से हम दुनिया के देशों के साथ प्रतिस्पर्द्धा कर रहे हैं लेकिन इसके भविष्य के जो खतरे हो सकते हैं उनसे भी हमें जूझना है।
  • कोई भी टेक्नोलॉजी जब शुरू होती है तो उसके कुछ-न-कुछ रिस्क फैक्टर भी होते हैं। उदाहरण के लिये तीसरी औद्योगिक क्रांति जब हुई थी उसका रिस्क फैक्टर यह आया था कि इससे बेरोज़गारी बढ़ गई थी।
  • डिजिटल क्रांति के साथ जो सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर सामने आ रहा है वह है डेटा सिक्यूरिटी को किस तरह सुनिश्चित किया जाए। डेटा सिक्यूरिटी अभी भी सबसे बड़ी चुनौती है।
  • इसके अलावा स्टेबल ब्रॉडबैंड भी एक बड़ी चुनौती है। ट्रांजेक्शन के लिये सिग्नल का होना बहुत ज़रूरी है। सिग्नल में फ़्लक्चुएशन नहीं होना चाहिये।
  • इसके अलावा, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस में काम आने वाली अल्गोरिथम का आउट ऑफ़ कंट्रोल नहीं होना चाहिये।

भारत में निवेशकों और स्टार्ट-अप को लेकर कितनी उम्मीद दिखती है?

  • विश्व की कंपनियाँ यह जानती हैं कि अगर उन्हें एक स्थिर वृद्धि और स्थिर राजस्व वृद्धि चाहिये तो भारत उनकी इस आकांक्षा को पूरा कर सकता है। क्योंकि यहाँ लोकतंत्र तथा विधिक तंत्र प्रबल है। वहीँ, कई देशों में इन सबका स्तर गिर रहा है।
  • यही कारण है कि विदेशी निवेशक, विदेशी कंपनियाँ, उत्पादन केंद्र आदि का भारत के प्रति निवेश की इच्छा और मज़बूत हो रही है।
  • GST, जनधन आदि लागू होने से कर राजस्व में वृद्धि हुई है। इससे बाहर के देशों को यहाँ आने में आसानी हुई है।
  • विदेशी प्रत्यक्ष निवेश प्रति वर्ष बढ़ता जा रहा है। वर्तमान में प्रतिमाह 5 बिलियन डॉलर का FDI भारत में आ रहा है, इसका कारण यह है कि अलग-अलग देशों से निवेशक अलग-अलग प्रदेशों में आ रहे हैं।
  • न सिर्फ आईटी कंपनियाँ, मोबाइल कंपनियाँ भारत में आकर निवेश करना चाहती हैं बल्कि मैन्युफैक्चरिंग कंपनियाँ भी यहाँ निवेश करना चाहती हैं तथा टेक्नोलॉजी का लाभ लेना चाहती हैं।
  • भारत का मार्केट बहुत बड़ा है और विश्व में सबसे आकर्षक मार्केट है, क्योंकि इसकी जनसंख्या काफी अधिक है, परचेजिंग पॉवर अधिक है तथा नई टेक्नोलॉजी की स्वीकार्यता भी काफी अधिक है।
  • हम मोबाइल और इंटरनेट के बिना भी काम कर सकें इसके लिये दक्षता लाने की ज़रूरत है। भारत में यह क्षमता है, कंपनियों में भी है और लोगों के अंदर इसके प्रति जिज्ञासा भी है।
  • हमें नहीं भूलना चाहिये कि देश की 65 प्रतिशत आबादी युवा है। यह नई टेक्नोलॉजी को अपनाने की काफी इच्छुक है।
  • पिछले दो सालों में जो उत्पादकता निकल कर सामने आई है वह इसका स्पष्ट प्रमाण है कि जो चीजें सरकार अपना रही है, नई-नई टेक्नोलॉजी लागू करने का प्रयास कर रही है उससे आम आदमी को लाभ हो रहा है और अंततः सरकार को भी इसका फायदा हो रहा है।

ऑनलाइन ग्लोबल फिनटेक मार्केटप्लेस (APIX) क्या है?

  • यह एक कनेक्शन है। दुनिया के सारे देश एक समझौते पर हस्ताक्षर कर रहे हैं। वित्तीय सुरक्षा, वित्तीय आतंकवाद के विरुद्ध सभी देश मिलकर काम करना चाह रहे हैं ताकि किसी एक देश में वित्तीय लेन-देन को ज़रूरत पड़ने पर किसी अन्य देश में आपराधिक जाँच या फॉरेंसिक जाँच के लिये संबंधित सूचना को शेयर किया जा सके।
  • यह एक एक्सचेंज सिस्टम है जिससे कि ट्रांजेक्शन सीमलेस हो सके, ट्रांजेक्शन कास्ट कम हो सके तथा ट्रांजेक्शन टाइम कम हो सके। यह इसी दिशा में उठाया गया एक कदम है।
  • सही अर्थों में कहा जाए तो यह डिजिटल ट्रांजेक्शन का स्विफ्ट है। जिस प्रकार बैंकिंग का स्विफ्ट होता है, उसी प्रकार यह डिजिटल ट्रांजेक्शन का स्विफ्ट है।
  • यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जिसमें जितने भी डिजिटल ट्रांजेक्शन होते हैं उनकी इनफार्मेशन को शेयर किया जाता है जो कि एक सुरक्षित तरीके से होता है। जैसे स्विफ्ट में आप पैसा ट्रांसफर करते हैं। इसमें भी डिजिटल कम्युनिकेशन से इनफार्मेशन को शेयर किया जा सकता है।
  • एक डिजिटल प्लेटफॉर्म से दूसरे डिजिटल प्लेटफॉर्म में किसी अन्य भौगोलिक स्थान पर अगर आप पैसा भेजना चाहते हैं या फाइनेंसियल ट्रांजेक्शन करना चाहते हैं तो उसके लिये इस प्लेटफॉर्म को विकसित किया गया है।

फिनटेक से जुड़ी चिंताएँ

  • फिनटेक को कुछ क्षेत्रों में हल्के ढंग से विनियमित या अविनियमित किया जाता है और इसमें स्थिरता से संबंधित चिंताएँ होती हैं।
  • भुगतान और ई-मनी ऑपरेटर अनिवार्य रूप से निजी धन का उपयोग करते हैं, जिसमें क्रेडिट और निपटारे के जोखिम होते हैं।
  • वित्तीय स्थिरता को लेकर सवाल खड़े होते हैं क्योंकि फिनटेक छोटे आधार से वृद्धि करता है और बैंकों के साथ संबंध बढ़ते हैं।
  • डेटा गोपनीयता, डेटा सुरक्षा और मनी लॉडरिंग से जुड़ी चिंताएँ भी हैं।
  • फिनटेक कंपनियाँ नए स्टार्ट-अप जैसी छोटी कंपनियाँ होती हैं इन्हें वित्तीय रूप से ऊपर उठाना मुश्किल होता है।

निष्कर्ष

हाल ही में साइबर सुरक्षा रिपोर्ट और ख़बरों में यह बात सामने आई थी कि किस प्रकार बिटकॉइन को हैक किया गया। यद्यपि ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म हमारी दुनिया का भविष्य है, फिर भी इसमें बड़े पैमाने पर सुधार की ज़रूरत है। किसी को भी ऐसा नहीं मानना ​​चाहिये कि कोई टेक्नोलॉजी 100 प्रतिशत सुरक्षित है। कुछ कमज़ोरियों की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है। फिनटेक भी इसका अपवाद नहीं है।

फिनटेक के क्षेत्र में उठाए गए नए कदम का असर दिखने लगा है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की बड़ी संस्थाएँ भारत को मान्यता देने लगी हैं। भारत का दबदबा बढ़ाने के लिये भारत को अपनी इच्छाशक्ति और मज़बूत करनी पड़ेगी ताकि हमारा जो लक्ष्य है उसे हासिल किया जा सके और साथ ही हम उसमें लीड भी कर पाएँ।

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