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कोरोनावायरस का XE वेरिएंट

  • 07 Apr 2022
  • 6 min read

हाल ही में मुंबई में एक 50 वर्षीय महिला के कोरोनावायरस के नए खोजे गए 'XE' वेरिएंट (‘XE’ variant) से संक्रमित होने की संभावना है।

  • XE वेरिएंट ओमिक्रॉन का एक सब-वेरिएंट है। ओमिक्रॉन भारत में Covid-19 की तीसरी लहर के लिये ज़िम्मेदार है। हालाँकि अभी तक भारत में XE वेरिएंट नही पाया गया है।
  • अभी तक इस बात के कोई संकेत नहीं मिले हैं कि यह अन्य वेरिएंट से अधिक खतरनाक है।

प्रमुख बिंदु

कोरोनावायरस के XE वेरिएंट के बारे में:

  • ओमिक्रॉन वेरिएंट, जो वर्ष 2022 में पाए गए 90% से अधिक संक्रमणों के लिये ज़िम्मेदार है, के दो प्रमुख सब-वेरिएंट BA.1 और BA.2 हैं।
  • XE वैरिएंट को 'पुनः संयोजक' (Recombinant) कहा जाता है। इसका मतलब है कि इसमें ओमिक्रॉन BA.1 वेरिएंट के साथ-साथ BA.2 वेरिएंट में होने वाले उत्परिवर्तन (Mutations) भी शामिल हैं।
    • पुनः संयोजक वेरिएंट असामान्य नहीं हैं।
    • उदाहरण के लिये डेल्टा और ओमिक्रॉन के विशिष्ट उत्परिवर्तन वाले वेरिएंट की भी पहचान की गई है।
  • पहली बार इसे जनवरी 2022 में यूनाइटेड किंगडम में खोजा गया और अब तक विभिन्न देशों में XE के 600 से अधिक नमूने मिल चुके हैं।
  • वास्तव में डेल्टा और ओमिक्रॉन के विशिष्ट उत्परिवर्तन वाले वेरिएंट की भी पहचान की गई है।

XE वेरिएंट से खतरा:

  • अभी तक इस बात के कोई सबूत नहीं है कि XE वेरिएंट ओमिक्रॉन के अन्य वेरिएंट से काफी अलग है या नहीं।
  • हालाँकि इस वेरिएंट को प्रमुख ‘BA.2’ वेरिएंट की तुलना में लगभग 10% अधिक पारगम्य माना जाता है।
    • भारत में तीसरी लहर के दौरान ‘BA.2’ ही सबसे प्रभावशाली था।
  • फिर भी भारत में संक्रमण की एक नई लहर की संभावना को कभी भी खारिज नहीं किया जा सकता है, खासतौर पर यह देखते हुए कि वायरस अभी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है और उत्परिवर्तन अभी भी जारी है।

नए वेरिएंट कैसे बनते हैं?

  • जब कोई वायरस अपनी प्रतिकृति बनाता है तो वह हमेशा अपनी एक सटीक प्रतिकृति नहीं बना पाता है।
  • इसका तात्पर्य यह है कि समय के साथ वायरस अपने आनुवंशिक अनुक्रम के संदर्भ में थोड़ा भिन्न होना शुरू कर सकता है।

mutations

  • इस प्रक्रिया के दौरान वायरस के आनुवंशिक अनुक्रम में कोई भी परिवर्तन, उत्परिवर्तन यानी म्यूटेशन के रूप में जाना जाता है।
  • नए म्यूटेशन वाले वायरस को कभी-कभी वेरिएंट कहा जाता है। वेरिएंट एक या कई म्यूटेशन से भिन्न हो सकते हैं।
  • जब एक नए वेरिएंट में मूल वायरस की तुलना में अलग-अलग कार्यात्मक गुण होते हैं और यह जन आबादी के बीच अपना स्थान बना लेता है, तो इसे कभी-कभी वायरस के नए स्ट्रेन के रूप में जाना जाता है।
    • सभी स्ट्रेन, वेरिएंट होते हैं लेकिन सभी वेरिएंट स्ट्रेन नहीं होते।

विगत वर्षों के प्रश्न:

प्रश्न. ‘जैव सूचना विज्ञान’ के विकास के संदर्भ में कभी-कभी समाचारों में देखा जाने वाला शब्द 'ट्रांसक्रिप्टोम' संदर्भित करता है-

(a) जीनोम एडिटिंग में प्रयुक्त एंजाइमों की एक शृंखला
(b) एक जीव द्वारा व्यक्त mRNA अणुओं की पूरी शृंखला
(c) जीन अभिव्यक्ति के तंत्र का विवरण
(d) कोशिकाओं में होने वाले आनुवांशिक उत्परिवर्तन का एक तंत्र

उत्तर: (b)

  • ट्रांसक्रिप्टोम एक जीव द्वारा व्यक्त मैसेंजर आरएनए या एमआरएनए अणुओं की पूरी शृंखला है। 'ट्रांसक्रिप्टोम' शब्द का इस्तेमाल किसी विशेष सेल या ऊतक में उत्पादित एमआरएनए की व्यूह रचना का वर्णन करने के लिये भी किया जा सकता है।
  • जीनोम के विपरीत जो इसकी स्थिरता की विशेषता है, प्रतिलेख सक्रिय रूप से बदलता है। वास्तव में एक जीव का प्रतिलेख कई चरणों सहित कई कारकों से भिन्न होता है।

प्रश्न: निम्नलिखित पर विचार कीजिये:

  1. बैक्टीरिया
  2. कवक
  3. वायरस

उपर्युक्त में से किसे कृत्रिम/सिंथेटिक माध्यम में संवर्द्धित किया जा सकता है?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • बैक्टीरिया और कवक को कृत्रिम/सिंथेटिक माध्यम में संवर्द्धित किया जा सकता है। जबकि वायरस को प्रतिकृति हेतु एक जीवित मेज़बान कोशिका की आवश्यकता होती है।
  • संक्रमित मेज़बान कोशिकाओं (यूकेरियोटिक या प्रोकैरियोटिक) को सुसंस्कृत और विकसित किया जा सकता है तथा फिर विकसित हुए भाग को वायरस के स्रोत के रूप में काटा जा सकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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