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विश्व एथलेटिक्स ने ट्रांसजेंडर महिलाओं पर लगाया प्रतिबंध

  • 27 Mar 2023
  • 3 min read

एथलेटिक्स के लिये शासी निकाय- विश्व एथलेटिक्स ने पौरुषीय यौवन (male puberty) से गुज़र चुकी ट्रांसजेंडर महिलाओं के कुलीन महिला प्रतियोगिताओं में प्रतिस्पर्द्धा करने पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है।

  • संबद्ध परिषद ने सेक्स डेवलपमेंट में अंतर (DSD) के माध्यम से एथलीटों के लिये प्लाज़्मा टेस्टोस्टेरोन की अधिकतम मात्रा को आधे से घटाकर 5 से 2.5 नैनोमोल प्रति लीटर करके एथलीटों पर और भी सख्त नियम लागू कर दिया है।

प्रमुख बिंदु

  • विश्व एथलेटिक्स के अनुसार, ट्रांसजेंडर महिलाओं को शीर्ष महिला प्रतियोगिताओं में भाग लेने से प्रतिबंधित करने का निर्णय महिला वर्ग की रक्षा करने की आवश्यकता पर आधारित है।
  • सख्त नियम DSD एथलीटों जैसे कि कास्टर सेमेन्या, क्रिस्टीन एमबोमा और फ्राँसिन नियोनसाबा को प्रभावित करेंगे।
    • वर्ष 2020 के ओलंपिक में सेमेन्या और नियोनसाबा दोनों को 800 मीटर की दौड़ में प्रतिबंधित कर दिया गया था, हालाँकि उन्होंने 5,000 मीटर की दौड़ में भाग लिया, जबकि क्रिस्टीन एमबोमा ने 200 मीटर की दौड़ में रजत पदक जीता।
  • तैराकी के विश्व शासी निकाय, वर्ल्ड एक्वेटिक्स ने भी ट्रांसजेंडर महिलाओं को, अगर उन्होंने पुरुष यौवन के किसी भी हिस्से का अनुभव किया है, कुलीन प्रतियोगिता से प्रतिबंधित कर दिया है।

यौन विकास में अंतर (DSD):

  • यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें किसी व्यक्ति की शारीरिक यौन विशेषताएँ विशिष्ट पुरुष या महिला विकास के साथ संरेखित नहीं होती हैं।
    • इसमें विभिन्न आनुवंशिक, हार्मोनल या शारीरिक अंतर शामिल हो सकते हैं, जिससे मध्यलिंगी या अस्पष्ट जननांग जैसी स्थितियाँ हो सकती हैं।
  • एथलेटिक्स के संदर्भ में DSD एथलीटों में स्वाभाविक रूप से टेस्टोस्टेरोन का उच्च स्तर हो सकता है, जो खेल में विवाद और नियमन का विषय रहा है।
    • उदाहरण के लिये DSD एथलीटों के पास पुरुष वृषण होते हैं किंतु वे पर्याप्त मात्रा में हार्मोन डायहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन (DHT) का उत्पादन नहीं करते हैं जो पुरुष बाह्य जननांग के गठन के लिये आवश्यक है।

स्रोत: द हिंदू

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