रैपिड फायर
शरणार्थियों के लिये संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त
- 25 Aug 2025
- 17 min read
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) ने श्रीलंका में वापस लौटने वाले तमिल शरणार्थियों की गिरफ्तारी के बाद भारत से श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों की स्वैच्छिक वापसी को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है।
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR)
- परिचय: UNHCR संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी है, जिसकी स्थापना वर्ष 1950 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विस्थापित लोगों की सहायता के लिये की गई थी।
- इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विटज़रलैंड में है तथा इसका परिचालन 137 देशों में है।
- कानूनी आधार: वर्ष 1951 के शरणार्थी सम्मेलन एवं वर्ष 1967 के प्रोटोकॉल द्वारा निर्देशित, जो शरणार्थियों को परिभाषित करता है और उनके अधिकारों एवं सुरक्षा के लिये वैश्विक मानक निर्धारित करता है।
- कार्य: यह शरणार्थियों को सुरक्षा, मानवीय सहायता, स्थायी समाधानों (शरण, प्रत्यावर्तन, एकीकरण, पुनर्वास) को बढ़ावा देता है तथा अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत शरणार्थी नीतियों को तैयार करने में राज्यों को सहायता प्रदान करता है।
वर्ष 1951 के शरणार्थी सम्मेलन एवं वर्ष 1967 के प्रोटोकॉल
- परिचय: यह अंतर्राष्ट्रीय शरणार्थी कानून की नींव रखता है, शरणार्थी को अपने देश से बाहर के व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है, जो उत्पीड़न (जाति, धर्म, राष्ट्रीयता, राजनीतिक राय या सामाजिक समूह के आधार पर) के डर के कारण वापस लौटने में असमर्थ/अनिच्छुक है।
- अधिदेश: यह गैर-वापसी के मूल सिद्धांत को कायम रखता है, यह सुनिश्चित करता है कि शरणार्थियों को खतरे में न लौटाया जाए, साथ ही आवास, शिक्षा, काम और कानूनी सुरक्षा के अधिकार प्रदान करता है।
- शरणार्थियों को मेजबान देश के कानूनों का सम्मान करना चाहिये, हालाँकि युद्ध अपराध या गंभीर अपराध के दोषियों को संरक्षण से बाहर रखा जाता है।
- भारत एवं UNHCR: भारत ने वर्ष 1951 के शरणार्थी सम्मेलन या वर्ष 1967 के प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं। शरणार्थियों का प्रबंधन सामान्य आव्रजन कानूनों के तहत किया जाता है।
- इसके बावजूद, भारत ने प्रमुख शरणार्थी समूहों - श्रीलंकाई तमिलों, तिब्बतियों, अफगानों, रोहिंग्याओं की मेजबानी की है तथा मानवीय आधार पर UNHCR के साथ सहयोग करता है।
और पढ़ें: शरणार्थी और नैतिकता |