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थर्स्ट वेव्स

  • 25 Jun 2025
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू

ग्लोबल वार्मिंग से वायु में थर्स्ट/शुष्कता में वृद्धि हो रही है, जिससे वाष्पीकरण की मांग बढ़ने से भूमि और पौधों में शुष्कता बढ़ रही है, इस घटना को थर्स्ट वेव्स कहा जाता है।

थर्स्ट वेव्स

  • परिचय: थर्स्टवेव शब्द को मीतपाल कुकल और माइक हॉबिन्स द्वारा दिया गया है। इसका आशय लगातार तीन या अधिक दिनों की अवधि तक वायुमंडलीय वाष्पीकरण की तीव्र मांग बढ़ने की प्रक्रिया है, जिससे यह प्रदर्शित होता है कि थर्स्ट वेव्स में वृद्धि हो गई है।
  • कारण: थर्स्ट वेव तापमान, आर्द्रता, सौर विकिरण और वायु की गति से प्रभावित होती हैं, जबकि हीटवेव मुख्य रूप से तापमान और वायु से प्रेरित होती हैं।
  • मापन: इसे लघु-फसल वाष्पीकरण (Short-Crop Evapotranspiration) के माध्यम से मापा जाता है, जिसके तहत अच्छी तरह से जल वाली 12-सेमी घास की सतह से जल की हानि को मापा जाता है।
  • वाष्पोत्सर्जन में वृद्धि उच्च तापमान, कम आर्द्रता, वायु गति में वृद्धि और सौर विकिरण का संकेतक है। 
  • प्रभाव: अधिक तीव्र थर्स्ट वेव्स के कारण मृदा की नमी तेज़ी से नष्ट होती है, सिंचाई की आवश्यकता बढ़ जाती है तथा फसल पर तनाव में वृद्धि से उपज में कमी का खतरा बढ़ जाता है। 
  • थर्स्ट वेव्स और भारत: अध्ययनों से पता चलता है कि उत्तरी भारत और पश्चिमी/पूर्वी हिमालय सहित भारत के कुछ हिस्सों में वाष्पीकरण में वृद्धि हो रही है, जो कृषि विस्तार और वनस्पति विकास से प्रेरित है।
    • अतीत में उच्च आर्द्रता ने बढ़ते तापमान के प्रभाव को संतुलित करने में मदद की थी लेकिन भविष्य में तापमान वृद्धि से वाष्पीकरण मांग में और वृद्धि होने का अनुमान है।


और पढ़ें: हीटवेव एक अधिसूचित आपदा के रूप में

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