रैपिड फायर
तारागिरी
- 01 Dec 2025
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भारतीय नौसेना को मझगॉंव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) द्वारा निर्मित चौथा नीलगिरि श्रेणी (प्रोजेक्ट 17ए) फ्रिगेट तारागिरी (यार्ड 12653) और तीसरा P17A जहाज़ प्राप्त हुआ।
नीलगिरि श्रेणी (प्रोजेक्ट 17A) का चौथा और मझगाँव डॉक शिपबिल्डिंग लिमिटेड (MDL) द्वारा निर्मित तीसरा जहाज़, तारागिरि (यार्ड 12653) भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया।
- तारागिरी: तारागिरी, पूर्व आईएनएस तारागिरी का एक नया रूप है, जो एक लियेंडर-श्रेणी का युद्धपोत तथा भारतीय नौसेना के बेड़े का हिस्सा रहा, जिसने राष्ट्र को 33 वर्षों की शानदार सेवा प्रदान की।
- इसे युद्धपोत डिज़ाइन ब्यूरो (WDB) द्वारा डिज़ाइन किया गया था और समय पर डिलीवरी के लिये एकीकृत निर्माण दृष्टिकोण का उपयोग करके बनाया गया था।
- इससे पहले INS नीलगिरि, INS उदयगिरि और हिमगिरि को प्रोजेक्ट 17A के तहत भारतीय नौसेना को सौंपा गया था।
- परियोजना 17A: यह भारत का कार्यक्रम है जिसके तहत शिवालिक श्रेणी के उन्नत उत्तराधिकारी के रूप में सात नीलगिरि श्रेणी के स्टील्थ फ्रिगेट का निर्माण किया जाएगा।
- सात युद्धपोतों में से चार (नीलगिरि, उदयगिरि, तारागिरि, महेंद्रगिरि) का निर्माण MDL द्वारा किया जा रहा है तथा तीन (हिमगिरि, दूनागिरि, विंध्यगिरि) का निर्माण GRSE द्वारा किया जा रहा है।
- जहाज़ों का निर्माण एकीकृत निर्माण पद्धति का उपयोग करके किया जाता है, जो ब्लॉक चरणों में पूर्व-उपकरण के माध्यम से निर्माण समय को कम करता है।
- नीलगिरि श्रेणी की लगभग 75% प्रणालियाँ स्वदेशी हैं। समुद्री अभियानों के लिये निर्मित, ये फ्रिगेट कई तरह के खतरों से निपट सकते हैं तथा सतह-रोधी, वायु-रोधी और पनडुब्बी-रोधी युद्ध में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं, जिससे ये अत्यधिक बहुमुखी अग्रिम पंक्ति बन जाते हैं।
- जहाज़ों का निर्माण एकीकृत निर्माण पद्धति का उपयोग करके किया जाता है। इस तकनीक में जहाज़ के हिस्सों (ब्लॉकों) को पहले से तैयार (पूर्व-उपकरण) किया जाता है, जिससे जहाज़ बनाने का कुल समय कम हो जाता है।
- P17A जहाज़ संयुक्त डीजल या गैस (CODOG) प्रणोदन संयंत्रों का उपयोग करते हैं, जिनमें डीजल इंजन और गैस टर्बाइनों का संयोजन होता है तथा प्रत्येक टर्बाइन एक नियंत्रणीय पिच प्रोपेलर (CPP) को चलाता है।
- इनमें ऑनबोर्ड प्रणालियों के कुशल नियंत्रण और निगरानी के लिये आधुनिक एकीकृत प्लेटफार्म प्रबंधन प्रणाली (IPMS) भी शामिल है।
- ये जहाज़ कई खतरनाक हथियार ले जाने में सक्षम हैं। इनमें लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें (LRSAM), ब्रह्मोस मिसाइलें, बराक-8 मिसाइलें, हल्के पनडुब्बी रोधी टॉरपीडो और स्वदेशी रॉकेट लांचर (IRL) शामिल हैं।
- इनमें मल्टी-मिशन रडार, शक्ति इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट, एयरबोर्न अर्ली-वॉर्निंग रडार, सरफेस-सर्विलांस रडार और हम्सा-NG सोनार जैसे एडवांस्ड सेंसर लगे होते हैं।
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