इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


प्रारंभिक परीक्षा

तमिलनाडु का नमक्कल ज़िला जल प्रबंधन में उत्कृष्ट

  • 05 Jul 2023
  • 3 min read

हाल ही में भारत के तमिलनाडु में नमक्कल ज़िले, जिसकी आबादी 1.7 मिलियन है, ने जल की कमी से निपटने में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है।

  • इस ज़िले ने जल संरक्षण और प्रबंधन के लिये रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाकर भू-जल उपलब्धता में महत्त्वपूर्ण सुधार किया है, जिससे यह केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की वार्षिक रैंकिंग के अनुसार, वर्ष 2022 के लिये संरक्षण और प्रबंधन श्रेणी में भारत का दूसरा सबसे उत्कृष्ट ज़िला घोषित किया गया है।

नमक्कल ज़िले के जल प्रबंधन की सफलता का कारण: 

  • व्यापक दृष्टिकोण: नमक्कल ने सामुदायिक भागीदारी, वर्षा जल संचयन, नदी कायाकल्प और नहर से गाद निकालने सहित एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया।
  • बुनियादी ढाँचे का आधुनिकीकरण: ज़िले ने जल आपूर्ति नेटवर्क की निगरानी व नियंत्रण एवं रिसाव को कम करने के साथ ही जल वितरण को अनुकूलित करने के लिये उन्नत तकनीकों को शामिल करते हुए जल बुनियादी ढाँचे को उन्नत किया है।
    • ज़िले ने चेक डैम के साथ-साथ तालाबों का निर्माण करके अपनी छोटी नदी का कायाकल्प किया, जिससे सतही जल की उपलब्धता में सुधार हुआ, साथ ही सतही जल की गुणवत्ता में सुधर कर इसे पीने योग्य बनाया।
  • कृत्रिम पुनर्भरण संरचनाएँ: नमक्कल ने भू-जल के पुनर्भरण के लिये कई कृत्रिम पुनर्भरण संरचनाओं, जैसे- तालाब, पुनर्भरण शाफ्ट तथा चेक डैम का निर्माण किया है।
  • सामुदायिक भागीदारी और जागरूकता: जागरूकता अभियानों और शैक्षिक कार्यक्रमों के साथ-साथ निवासियों की सक्रिय भागीदारी ने जल संरक्षण संस्कृति को बढ़ावा दिया।

नमक्कल जल प्रबंधन प्रयासों के परिणाम: 

  • नमक्कल ज़िले ने अपनी भूजल उपलब्धता और गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार किया है। 116 खोदे गए कुओं में औसत जल स्तर जनवरी 2019 के 11.48 mbgl से सुधरकर जनवरी 2022 में 6 mbgl हो गया।
  • नमक्कल ज़िले में जल की खपत और बर्बादी को भी कम किया गया है। इस ज़िले ने बागवानी तथा औद्योगिक उद्देश्यों के लिये घरेलू और औद्योगिक अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग सुनिश्चित किया है।

नमक्कल जल प्रबंधन की सफलता का महत्त्व:

  • जल संरक्षण के लिये कुशल वर्षा जल संचयन प्रणाली लागू करना।
  • प्राकृतिक जल निकायों की बहाली तथा प्रदूषण एवं अतिक्रमण से निपटने को प्राथमिकता देना।
  • निगरानी, रिसाव का पता लगाने और जल के कुशल वितरण के लिये उन्नत तकनीकों का उपयोग करना।
  • शिक्षा और सहयोगात्मक पहलों के माध्यम से सामुदायिक जागरूकता तथा भागीदारी को बढ़ावा देना।

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2