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प्रारंभिक परीक्षा

T+0 निपटान चक्र

  • 01 Apr 2024
  • 6 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

हाल ही में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने वैकल्पिक आधार पर इक्विटी सेगमेंट में निपटान चक्र के T+0 बीटा संस्करण में कारोबार शुरू किया।

नोट

शब्द "बीटा संस्करण" सॉफ्टवेयर या उत्पाद के पूर्व-रिलीज़ संस्करण को संदर्भित करता है जो अभी भी परीक्षण चरण में है।

  • बीटा संस्करणों में कुछ विशेषताएँ शामिल हो सकती हैं जो अभी भी विकास में हैं या अभी तक पूरी तरह कार्यात्मक नहीं हो सकती हैं और वे प्रायः अंतिम रिलीज़ से पहले उपयोगकर्त्ता की प्रतिक्रिया के आधार पर और अधिक परिशोधन के अधीन होते हैं।

T+0 ट्रेडिंग निपटान चक्र क्या है?

  • परिचय:
    • दिसंबर 2023 में, SEBI ने मौजूदा T+1 निपटान चक्र के अलावा, वैकल्पिक आधार पर T+0 (उसी दिन) पर धन और प्रतिभूतियों के समाशोधन तथा निपटान के लिये एक सुविधा शुरू करने का प्रस्ताव रखा।
    • T+0 व्यापार चक्र के अंर्तगत, ट्रेडों का निपटान T+0 बाज़ार बंद होने के बाद उसी दिन होगा।
      • इसका अर्थ यह है कि अगर निवेशक कोई शेयर बेचते हैं, तो उन्हें उसी दिन उनके खाते में पैसा जमा हो जाएगा और साथ ही खरीदार को भी लेन-देन के दिन ही उनके डीमैट खाते में शेयर मिल जाएंगे।
    • यह विश्व की सबसे तेज़ स्टॉक सेटलमेंट प्रणाली है।
      • इसकी तुलना में, वर्तमान टी+1 प्रणाली में व्यापार निष्पादन तिथि एवं निपटान तिथि के बीच एक कार्यदिवस की देरी शामिल है।
        • इस प्रणाली में, विक्रेताओं को बिक्री के दिन केवल 80% नकदी प्राप्त होती है, शेष 20% अगले दिन उपलब्ध होती है।
        • हालाँकि, नई T+0 निपटान प्रणाली की शुरुआत के साथ विक्रेताओं को लेन-देन के दिन अपनी 100% नकदी तक तुरंत पहुँच प्राप्त होगी, जिससे शेष राशि के लिये अगले दिन की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी।
  • लाभ:
    • एक छोटा निपटान चक्र निवेशकों के लिये लागत एवं समय दक्षता, शुल्क में पारदर्शिता के साथ ही समाशोधन निगमों तथा समग्र प्रतिभूति बाज़ार पारिस्थितिकी तंत्र में जोखिम प्रबंधन को मज़बूत करेगा।
    • T+0  व्यापार चक्र से विक्रेताओं को प्रतिभूतियों के विरुद्ध निधियों के तेज़ी से भुगतान एवं खरीदारों को निधियों के विरुद्ध प्रतिभूतियों के तीव्र भुगतान के मामले में अधिक लचीलापन प्रदान करने की आशा है।
    • इससे निवेशकों को धन और प्रतिभूतियों पर बेहतर नियंत्रण मिलेगा।
    • प्रतिभूति बाज़ार पारिस्थितिकी तंत्र के लिये एक छोटा निपटान चक्र प्रतिभूति बाज़ार में पूंजी को और मुक्त कर देगा, जिससे समग्र बाज़ार दक्षता में वृद्धि होगी।
    • यह क्लियरिंग कॉरपोरेशन (Clearing Corporation- CC) के समग्र जोखिम प्रबंधन को बढ़ाएगा क्योंकि ट्रेडों को अग्रिम निधि और प्रतिभूतियों द्वारा समर्थित किया जाता है।
  • निपटान के चरण:
    • T+0 निपटान चक्र के दो चरण होंगे।
    • दोपहर 1:30 बजे तक किये गए चरण 1 के सौदों को निपटान हेतु ध्यान में रखा जाएगा, जिसे शाम 4:30 बजे तक समाप्त करना होगा।
    • दूसरे चरण में ट्रेडिंग दोपहर 1:30 बजे शुरू होकर 3:30 बजे तक चलेगी और पहला चरण बंद कर दिया जाएगा।
      • SEBI ने बाज़ार पूंजीकरण के आधार पर शीर्ष 500 सूचीबद्ध इक्विटी शेयरों के लिये तीन किश्तों (200, 200,100) में T+0 निपटान के प्रारंभिक रोलआउट का प्रस्ताव दिया है।
        • यह पहल बदलते भारतीय प्रतिभूति बाज़ार के अनुरूप है, जो बढ़ती मात्रा, मूल्यों और प्रतिभागियों द्वारा चिह्नित है।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत के संदर्भ में, निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2010)

  1. बैंकों का राष्ट्रीयकरण 
  2. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का गठन 
  3. बैंक शाखाओं द्वारा गाँव का अभिग्रहण 

उपयुक्त में से किसे भारत में "वित्तीय समावेशन" प्राप्त करने के लिये उठाया गया कदम माना जा सकता है?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


मेन्स:

प्रश्न. भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में एफ.डी.आई. की आवश्यकता की पुष्टि कीजिये। हस्ताक्षरित समझौता-ज्ञापनों तथा वास्तविक एफ.डी.आई. के बीच अंतर क्यों है? भारत में वास्तविक एफ.डी.आई. को बढ़ाने के लिये सुधारात्मक कदमों सुझाइये। (2016)

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