रैपिड फायर
सुबनसिरी लोअर जलविद्युत परियोजना
- 27 Dec 2025
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केंद्रीय विद्युत, आवास और शहरी मामलों के मंत्री ने सुबनसिरी लोअर जलविद्युत परियोजना की यूनिट-2 (250 मेगावाट) के वाणिज्यिक संचालन का उद्घाटन किया।
- यह असम-अरुणाचल प्रदेश सीमा पर गेरुकामुख में स्थित है और इसका कार्यान्वयन राष्ट्रीय जलविद्युत निगम (NHPC) लिमिटेड द्वारा किया जाता है।
- यह परियोजना 16 लाभार्थी राज्यों में विद्युत की आपूर्ति करेगी, अरुणाचल प्रदेश और असम को निशुल्क विद्युत प्रदान करेगी तथा उत्तर-पूर्व को 1,000 मेगावाट विद्युत आवंटित करेगी, जिससे क्षेत्रीय विद्युत की उपलब्धता बढ़ेगी।
- सुबनसिरी लोअर जलविद्युत परियोजना: वर्ष 2003 में स्वीकृत, यह रन-ऑफ-द-रिवर जलविद्युत परियोजना है जिसकी स्थापित क्षमता 2000 मेगावाट है और पूर्ण संचालन के बाद यह भारत की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना बन जाएगी।
- भौगोलिक महत्त्व: ब्रह्मपुत्र की सबसे बड़ी सहायक नदी सुबनसिरी नदी पर निर्मित यह परियोजना उत्तर-पूर्व में जल प्रबंधन, बाढ़ नियंत्रण और ऊर्जा सुरक्षा के लिये रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण है।
- बाँध और बाढ़ प्रबंधन: इस परियोजना के अंतर्गत 116 मीटर ऊँचा कंक्रीट गुरुत्वाकर्षण बाँध निर्मित किया गया है, जो उत्तर-पूर्वी भारत का सबसे बड़ा बाँध है। सुबनसिरी नदी पर बने पहले कैस्केडेड बाँध के रूप में, यह 442 मिलियन घन मीटर का बाढ़ नियंत्रण प्रदान करके नदी के निचले हिस्से में बाढ़ को कम करने में मदद करता है।
- इस बाँध की कुल जलाशय भंडारण क्षमता 1,365 मिलियन घन मीटर है और इस भंडारण का एक तिहाई हिस्सा बाढ़ के मौसम के दौरान अतिरिक्त जल को सुरक्षित रूप से अवशोषित करने एवं निचले इलाकों की रक्षार्थ हेतु रिक्त रखा जाता है।
- इंजीनियरिंग और तकनीकी महत्त्व: इस परियोजना में भारत के सबसे भारी हाइड्रो जनरेटर रोटर, सबसे बड़े स्टेटर और इनलेट वाल्व शामिल हैं तथा बाँध के कंक्रीटीकरण में रोटेक टॉवर बेल्ट प्रणाली का पहली बार उपयोग किया गया है, जो उच्च क्षमता वाली जलविद्युत इंजीनियरिंग में एक बड़ी प्रगति का प्रतीक है।
सुबनसिरी नदी
- सुबनसिरी नदी, जिसे तिब्बत में (चायुल चू) कहा जाता है, एक पार-हिमालयी नदी है तथा यह ब्रह्मपुत्र की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
- तिब्बत हिमालय से उद्गमित होकर, यह अरुणाचल प्रदेश के तकसिंग के पास भारत में प्रवेश करती है, मीरी पहाड़ियों से होकर प्रवाहित होती है और असम में जमुरीघाट पर ब्रह्मपुत्र नदी से मिल जाती है।
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