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स्टेबलकॉइन

  • 21 Jul 2025
  • 15 min read

स्रोत : टाइम्स ऑफ इंडिया

संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने GENIUS अधिनियम (Guiding and Establishing National Innovation for US Stablecoins) पर हस्ताक्षर किये, जिससे भुगतान स्टेबलकॉइन्स के लिये एक औपचारिक विनियामक ढाँचा स्थापित हुआ है। यह डिजिटल परिसंपत्तियों के प्रति अमेरिकी सरकार की नीति-स्तरीय संलग्नता के एक नये चरण की शुरुआत को दर्शाता है।

  • यह कानून उपभोक्ता सुरक्षा उपायों के माध्यम से उपयोगकर्त्ताओं के विश्वास को बढ़ाता है और अमेरिका को वैश्विक क्रिप्टो नेता बनाने का लक्ष्य रखता है।
  • स्टेबलकॉइन (Stablecoins): स्टेबलकॉइन्स ऐसी क्रिप्टोकरेंसी हैं जिनका उद्देश्य अमेरिकी डॉलर या सोने जैसी पारंपरिक परिसंपत्तियों से जुड़कर स्थिर मूल्य बनाए रखना है।
    • इस परिभाषा में डिजिटल राष्ट्रीय मुद्राएँ, जमा राशियाँ (टोकनयुक्त जमा राशियों सहित) और प्रतिभूतियाँ शामिल नहीं हैं।
    • स्टेबलकॉइन रोज़मर्रा के प्रयोग के लिये डिज़ाइन किये गए हैं, जो बिटकॉइन जैसी अस्थिर क्रिप्टोकरेंसी के विपरीत मूल्य स्थिरता प्रदान करते हैं। ये आसान मूल्य हस्तांतरण को सक्षम बनाते हैं, वित्तीय सेवाओं का समर्थन करते हैं, तथा संपार्श्विक भंडार या एल्गोरिथम आपूर्ति नियंत्रण के माध्यम से स्थिरता बनाए रखते हैं।
    • टीथर और यूएसडी कॉइन जैसे लोकप्रिय स्टेबलकॉइन अमेरिकी डॉलर द्वारा समर्थित हैं।
  • भारत एवं स्टेबलकॉइन: भारत, वर्तमान में स्टेबलकॉइन को मान्यता नहीं देता है, सभी क्रिप्टोकरेंसी को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 2(47A) के तहत वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) के रूप में मानता है। वर्ष 2023 में, दुरुपयोग को रोकने और निगरानी बढ़ाने के लिये VDA को धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत लाया गया था।
    • सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) (डिजिटल रुपया) भारत में स्थिर मुद्राओं का आधिकारिक विकल्प है, जिसका उपयोग बढ़ रहा है और मार्च 2025 तक 1,016 करोड़ रुपए प्रचलन में हैं।
    • CBDC प्रोग्रामयोग्य भुगतान (जैसे, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण DBT योजनाओं) की अनुमति देता है, जो समाप्ति, स्थान या उद्देश्य के आधार पर उपयोग को ट्रैक करता है।

और पढ़ें : स्टेबलकॉइन्स 

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