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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 25 अगस्त, 2021

  • 25 Aug 2021
  • 5 min read

अंतर्राष्ट्रीय दास व्यापार और उसका उन्मूलन स्मरण दिवस

प्रतिवर्ष 23 अगस्त को विश्व भर में ‘अंतर्राष्ट्रीय दास व्यापार और उसका उन्मूलन स्मरण दिवस’ का आयोजन किया जाता है। यूनेस्को के मुताबिक, यह दिवस अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दास व्यापार की त्रासदी से पीड़ित लोगों की याद में आयोजित किया जाता है। विदित हो कि पश्चिमी यूरोप के औपनिवेशिक साम्राज्यों को ट्रान्साटलांटिक दास व्यापार के कारण सबसे अधिक लाभ हुआ था। इस व्यवस्था के तहत दुनिया भर के तमाम हिस्सों, विशेष तौर पर अफ्रीकी देशों से प्राप्त दासों को हैती, कैरिबियाई देशों और विश्व के अन्य हिस्सों में मौजूद औपनिवेशों में अमानवीय परिस्थितियों में कार्य करने के लिये ले जाया गया। हालाँकि यह व्यवस्था लंबे समय तक न चल सकी और जल्द ही लोगों में असंतोष पैदा हो गया। 22-23 अगस्त, 1791 की रात आधुनिक हैती और डोमिनिकन गणराज्य के ‘सैंटो डोमिंगो’ में इसके विरुद्ध पहले विद्रोह की शुरुआत हुई। इस विद्रोह ने ट्रान्साटलांटिक दास व्यापार के उन्मूलन में एक प्रमुख भूमिका निभाई। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस दिवस को ‘अंतर्राष्ट्रीय दास व्यापार और उसका उन्मूलन स्मरण दिवस’ के रूप में आयोजित किया जाता है। यह दिवस हमें दास व्यापार जैसी त्रासदी के ऐतिहासिक कारणों, परिणामों और तरीकों पर सामूहिक रूप से पुनर्विचार करने का अवसर प्रदान करता है।

‘चंद्रयान-2’ के डेटा विश्लेषण हेतु प्रस्ताव आमंत्रित

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने ‘चंद्रयान-2’ ऑर्बिटर प्रयोगों से प्राप्त डेटा के वैज्ञानिक विश्लेषण हेतु प्रस्ताव आमंत्रित किये हैं। गौरतलब है कि इससे पूर्व भी शोधकर्त्ताओं द्वारा चंद्रमा की सतह पर जल की उपस्थिति का पता लगाने के लिये ‘चंद्रयान-1’ मिशन के माध्यम से चंद्रमा की आकृति, चंद्रमा की सतह संरचना, सतह की आयु का निर्धारण और मैग्मैटिक डेटा का व्यापक पैमाने पर उपयोग किया गया था। इसरो के मुताबिक, इस प्रकार के अध्ययन चंद्रमा की विकास प्रक्रियाओं को बेहतर तरीके से समझने में मदद करते हैं और चंद्रयान-1 के अध्ययन ने भारतीय वैज्ञानिक समुदाय का काफी विस्तार किया है। चंद्रयान-2 ऑर्बिटर वर्तमान में चंद्रमा के चारों ओर 10,000 वर्ग किलोमीटर में एक गोलाकार ध्रुवीय कक्षा में मौजूद है। यह ऑर्बिटर, चंद्रमा की सतह के भूविज्ञान और बहिर्मंडल की संरचना जैसे पहलुओं का अध्ययन करने के लिये अलग-अलग प्रकार के कुल आठ प्रयोग कर रहा है। इसरो का मानना है कि ये अध्ययन पिछले मिशनों की समझ को और अधिक विकसित करने में मददगार साबित हो सकते हैं। यह भारत का चंद्रमा पर दूसरा मिशन है। चंद्रयान-2 भारत द्वारा चंद्रमा की सतह पर उतरने का पहला प्रयास था। सितंबर 2019 में लैंडर विक्रम ने चंद्रमा की सतह पर ‘हार्ड लैंडिंग’ की। इसका ऑर्बिटर अभी भी चंद्रमा की कक्षा में है और इस मिशन की अवधि सात वर्ष है।

अभय कुमार सिंह

हाल ही में आईएएस अधिकारी अभय कुमार सिंह को देश में सहकारिता आंदोलन को मज़बूत करने के उद्देश्य से गठित ‘सहकारिता मंत्रालय’ में संयुक्त सचिव के पद पर नियुक्त किया गया है। बिहार कैडर के वर्ष 2004 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अभय कुमार सिंह को इस नवनिर्मित पद पर कुल सात वर्ष के कार्यकाल के लिये नियुक्त किया गया है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा जुलाई 2021 में 'सहकार से समृद्धि' (सहकारिता के माध्यम से समृद्धि) के दृष्टिकोण को साकार करने और सहकारिता आंदोलन को नई दिशा देने के लिये एक अलग 'सहकारिता मंत्रालय' का गठन किया गया था। इसका उद्देश्य देश में सहकारिता आंदोलन को मज़बूत करने के लिये एक अलग प्रशासनिक, कानूनी और नीतिगत ढाँचा प्रदान करना था। यह मंत्रालय ज़मीनी स्तर तक पहुँच वाले सहकारी समितियों को एक जन आधारित आंदोलन के रूप में मज़बूत करने में मदद करेगा।

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