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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 17 जनवरी, 2022

  • 17 Jan 2022
  • 8 min read

तिरुवल्लुवर दिवस

प्रधानमंत्री ने 15 जनवरी, 2022 को तमिल कवि और दार्शनिक तिरुवल्लुवर को उनकी जयंती ‘तिरुवल्लुवर दिवस’ (Thiruvalluvar Day ) के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित की। यह पहली बार 17-18 मई को वर्ष 1935 में मनाया गया था। वर्तमान समय में इसे आमतौर पर तमिलनाडु में 15 या 16 जनवरी को मनाया जाता है और यह पोंगल समारोह का एक हिस्सा है। तिरुवल्लुवर जिन्हें वल्लुवर भी कहा जाता है, एक तमिल कवि-संत थे। धार्मिक पहचान के कारण उनकी कालावधि के संबंध में विरोधाभास है सामान्यतः उन्हें तीसरी-चौथी या आठवीं-नौवीं शताब्दी का माना जाता है। सामान्यतः उन्हें जैन धर्म से संबंधित माना जाता है। हालाँकि हिंदुओं का दावा है कि तिरुवल्लुवर हिंदू धर्म से संबंधित थे। द्रविड़ समूहों (Dravidian Groups) ने उन्हें एक संत माना क्योंकि वे जाति व्यवस्था में विश्वास नहीं रखते थे। उनके द्वारा संगम साहित्य में तिरुक्कुरल या 'कुराल' (Tirukkural or ‘Kural') की रचना की गई थी। वर्ष 2009 में बंगलूरू के पास उलसूर में प्रसिद्ध तमिल कवि की एक प्रतिमा का अनावरण किया गया। लंदन के रसेल स्क्वायर में स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज़ के बाहर भी वल्लुवर की एक प्रतिमा  लगाई गई है। तिरुवल्लुवर की 133 फुट ऊँची प्रतिमा कन्याकुमारी में भी है। अक्तूबर 2002 में तमिलनाडु के वेल्लोर ज़िले में तमिलनाडु सरकार द्वारा तिरुवल्लुवर विश्वविद्यालय की स्थापना की गई। वर्ष 1976 में वल्लुवर कोटम नामक एक मंदिर-स्मारक चेन्नई में बनाया गया जो एशिया में सबसे बड़े सभागारों में से एक है। 16वीं शताब्दी की शुरुआत में चेन्नई के मायलापुर में एकमबेश्वरेश्वर मंदिर परिसर में तिरुवल्लुवर को समर्पित एक मंदिर बनाया गया था।

इब्राहिम बाउबकर केस्टा

माली के अपदस्थ राष्ट्रपति इब्राहिम बाउबकर केस्टा का 76 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। केस्टा ने माली का वर्ष 2020 (सात साल) तक नेतृत्व किया, जिहादी अशांति से निपटने के लिये सरकार विरोधी भारी आंदोलन के बाद उन्हें तख्तापलट में हटा दिया गया था। आर्थिक संकट और विवादित चुनावों ने भी उनके शासन के खिलाफ प्रदर्शनों को बढ़ावा दिया। केस्टा तीन दशकों से अधिक समय तक राजनीति में शामिल रहे, उन्होंने  वर्ष 1994 से 2000 तक समाजवादी प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। उनका जन्म कौटियाला में हुआ, उनके पिता एक सिविल सेवक थे, उन्होंने पेरिस में साहित्य, इतिहास और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का अध्ययन किया। वह वर्ष 1980 में माली लौटने से पूर्व वे यूरोपीय विकास कोष के सलाहकार के रूप में पहली बार काम करने से पहले पेरिस विश्वविद्यालय में अध्यापन सहित दशकों तक फ्राँस में रहे और काम किया। वर्ष 2012 में आज़ादी और जिहादी विद्रोहों के फैलने के बाद से माली सुरक्षा एवं राजनीतिक संकट की चपेट में है। राष्ट्रपति केस्टा वर्ष 2013 में "शांति और सुरक्षा लाने" के वादे पर चुने गए, लेकिन फिर भी उनकी सरकार माली की गंभीर सुरक्षा चुनौतियों को समाप्त करने में विफल रही, और उन्हें अगस्त 2020 में सेना द्वारा हटा दिया गया।

नई दिल्ली में योनेक्स-सनराइज़ इंडिया ओपन बैडमिंटन

भारत की दो बार की ओलंपिक पदक विजेता पीवी सिंधू को शनिवार को यहां योनेक्स-सनराइज़ इंडिया ओपन के सेमीफाइनल में हार का सामना करना पड़ा जबकि विश्व चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता लक्ष्य सेन ने अपने पहले विश्व टूर सुपर 500 टूर्नामेंट के फाइनल में जगह बनाई। उत्तराखंड के 20 साल के खिलाड़ी लक्ष्य ने विश्व रैंकिंग में 60वें स्थान पर काबिज मलेशिया के नग त्जे योंग को पुरूष एकल के अंतिम चार मुकाबले में पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए 19-2, 21-16, 21-12 से हराया। शीर्ष वरीय और घरेलू प्रबल दावेदार सिंधू को महिला एकल के सेमीफाइनल में थाइलैंड की छठी वरीय सुपानिडा काटेथोंग से 14-21, 21-13, 10-21 से पराजय झेलनी पड़ी। पुरूष युगल में चिराग शेट्टी और सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी की दुनिया की 10वें नंबर की जोड़ी ने फ्राँस के विलियम विलेगर और फैबियन डेलरू की जोड़ी को 21-10 21-18 से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। 

इब्राहिम अश्क

मशहूर गीतकार इब्राहिम अश्क (Ibrahim Ashq) का रविवार को निधन हो गया। वह कोरोना वायरस से संक्रमित थे और साथ ही निमोनिया के भी मरीज़ थे।  इब्राहिम अश्क मूल रूप से मध्य प्रदेश के रहने वाले थे और उनकी पहचान एक गीतकार के साथ शायर की भी थी। उन्होंने करियर की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में की थी और कई अखबार एवं मैग्ज़ीन के लिये काम किया था। इब्राहिम अश्क की शुरुआती पढ़ाई उज्जैन के बंदनगर से हुई। इंदौर विश्वविद्यालय से उन्होंने ग्रेजुएशन और मास्टर्स की डिग्री ली। बॉलीवुड में उन्होंने ‘कहो ना प्यार है’, ‘कोई मिल गया’, ‘जानशीन’, ‘ऐतबार’, ‘आप मुझे अच्छे लगने लगे’, ‘कोई मेरे दिल से पूछे’ और ‘धुंध’ जैसी फिल्मों के लिये गाने लिखे। ‘कहो ना प्यार है’ का टाइटल ट्रैक, गाना ‘ना तुम जानो ना हम’ उन्होंने ही लिखा था।

बिरजू महाराज 

हाल ही में प्रसिद्ध कथक नर्तक पंडित बिरजू महाराज का निधन हो गया। वे 83 साल के थे। पंडित बिरजू महाराज लखनऊ घराने से ताल्लुक रखते थे। उनका जन्‍म 4 फरवरी 1938 को लखनऊ में हुआ था। उनका असली नाम पंडित बृजमोहन मिश्र था। वे कथक नर्तक होने के साथ साथ शास्त्रीय गायक भी थे। बिरजू महाराज के पिता और गुरु अच्छन महाराज, चाचा शंभु महाराज और लच्छू महाराज भी प्रसिद्ध कथक नर्तक थे। पंडित बिरजू महाराज ने डेढ़ इश्किया, देवदास, उमराव जान और बाजी राव मस्तानी जैसी कामयाब और हिंदी सिनेमा में मील का पत्‍थर मानी जाने वाली फिल्मों के लिये डांस कोरियोग्राफ की। उन्हें वर्ष 1986 में भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

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