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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 12 जनवरी, 2024

  • 12 Jan 2024
  • 6 min read

वन्य चमगादड़ों पर पवन टर्बाइनों का प्रभाव

जर्मनी के वैज्ञानिकों द्वारा किये गए एक हालिया अध्ययन में वन्य चमगादड़ों की गतिविधि पर पवन टरबाइनों के प्रभाव का पता चला है।

  • चमगादड़ प्रजातियों के तीन शिकार स्थानों का अध्ययन किया गया: संकीर्ण-स्थान, खुले-स्थान (कुछ बाधाओं वाले खुले क्षेत्रों में शिकार करने की विशेषता) और परिवर्तनशील हवा की स्थिति के अंतर्गत 80 से 450 मीटर के दायरे में सीमावर्ती/किनारों वाले-स्थान (पृष्ठभूमि/बैकग्राउंड वस्तुओं के निकट शिकार करने की विशेषता)। 
  • संकीर्ण स्थान पर शिकार ढूँढने वाले चमगादड़, जो विशेष रूप से वन्य निवास पर निर्भर हैं, की परिचालन पवन टरबाइनों में हवा की गति बढ़ने के कारण गतिविधि में 77% की गिरावट दर्ज की गई है।
    • सीमावर्ती/किनारों वाले-स्थान और खुले स्थान पर शिकार ढूँढने वाले चमगादड़ों में परिहार /परहेज व्यवहार नहीं देखा गया, जो निवास-विशिष्ट अनुक्रिया का संकेत देता है।
    • पवन टरबाइन रोटर्स द्वारा उत्सर्जित शोर को परिहार व्यवहार के एक महत्त्वपूर्ण कारण के रूप में पहचान की गई।
  • पवन टरबाइन, जो राष्ट्रीय जलवायु रणनीतियों में एक प्रमुख तत्त्व है, विश्व भर में वन स्थलों पर तेज़ी से स्थापित किये जा रहे हैं, जो चमगादड़ जीवसंख्या के लिये संभावित चुनौतियाँ उत्पन्न कर रहे हैं।
  • यह अध्ययन, प्रारंभिक अल्पकालिक प्रभावों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, परिचालन पवन टर्बाइनों के निकट क्षेत्रों में चमगादड़ गतिविधि पर संभावित दीर्घकालिक प्रभावों का संकेत देता है, विशेषकर अगर शोर उत्सर्जन इसका कारण है।

और पढ़ें: बाँस में रहने वाले चमगादड़

सिसल पत्तियाँ: मासिक धर्म स्वच्छता में एक हरित क्रांति

हाल ही में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अत्यधिक अवशोषक सामग्री बनाने के लिये सिसल के पत्तों का उपयोग करके एक अभिनव विधि तैयार की है, जो संभावित रूप से सैनिटरी नैपकिन में कपास, काष्ठ-गूदे और रासायनिक अवशोषक को प्रतिस्थापित कर सकती है।

  • यह पर्यावरण-अनुकूल दृष्टिकोण व्यावसायिक विकल्पों की तुलना में अधिक अवशोषण क्षमता का दावा करता है, क्योंकि सिसल की कृषि हेतु कपास की तुलना में काफी कम जल की आवश्यकता होती है।
  • सिसल एक ज़ेरोफाइटिक (मरुभूमियों या हिम क्षेत्रों जैसे शुष्क पारिस्थितिकी में पनपने के लिये अनुकूलित पौधों का एक समूह), अर्द्ध-वार्षिक पत्तों वाला रेशायुक्त (Semi-Perennial Leaf Fiber) उत्पादक पौधा है। इसके पत्ते मोटे, मांसल होते हैं और इनपर प्रायः मोमी परत का आवरण होता है।

और पढ़े: मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता पर चर्चा

राष्ट्रीय युवा दिवस, 2024 

  • स्वामी विवेकानन्द की जयंती के अवसर पर भारत प्रतिवर्ष 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाता है।
    • इस दिन को वर्ष 1984 में राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में नामित किया गया था। इसका उद्देश्य युवाओं को सार्वजनिक मुद्दों से जुड़ने, आम आदमी की बात को समझने, अपनी राय तैयार करने और इसे स्पष्ट तरीके से व्यक्त करने के लिये प्रोत्साहित करना है।
  • राष्ट्रीय युवा दिवस समारोह भारत में 12 से 16 जनवरी तक वार्षिक तौर पर राष्ट्रीय युवा महोत्सव का आयोजन करता है।
    • इस वर्ष के उत्सव का विषय "विकसित भारत@2047: युवा के लिये, युवा के द्वार" है।
  • स्वामी विवेकानन्द को उन महान भारतीय संतों में से एक माना जाता है जिन्होंने पश्चिमी दुनिया को हिंदू धर्म के बारे में बताया।
    • श्री रामकृष्ण परमहंस के शिष्य के रूप में उन्होंने औपनिवेशिक भारत में राष्ट्रीय एकीकरण पर बल दिया और उन्हें देश में हिंदू धर्म को पुनर्जीवित करने का श्रेय दिया जाता है।

और पढ़ें: स्वामी विवेकानन्द

रेलवे के लिये स्टार्टअप

हाल ही में भारतीय रेल ने स्टार्ट-अप तथा अन्य संस्थाओं की भागीदारी के माध्यम से नवाचार के क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण पहल की है।

  • रेल मंत्रालय द्वारा "रेलवे के लिये स्टार्टअप" पहल शुरू की गई थी तथा भारतीय रेल इनोवेशन पोर्टल इस पहल का एक हिस्सा है।
    • इसका उद्देश्य भारतीय रेल की परिचालन दक्षता तथा सुरक्षा में सुधार के लिये भारतीय स्टार्टअप/MSME/नवोन्मेषियों/उद्यमियों द्वारा विकसित नवीन प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाना है।
  • रेल मंत्रालय का लक्ष्य भारतीय रेल की गुणवत्ता, विश्वसनीयता तथा रखरखाव संबंधी मुद्दों का समाधान करना है।
  • नीति के तहत परियोजना के मद्देनजर बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights- IPR) का विशेष स्वामित्त्व स्टार्टअप/MSME/नवोन्मेषी/उद्यमी के पास होगा।

और पढ़ें…भारतीय रेल नवाचार नीति

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