दृष्टि आईएएस अब इंदौर में भी! अधिक जानकारी के लिये संपर्क करें |   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 11 अप्रैल, 2022

  • 11 Apr 2022
  • 6 min read

विश्व पार्किंसन दिवस

विश्व भर में प्रत्येक वर्ष 11 अप्रैल को विश्व पार्किंसन दिवस मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य आम लोगों को पार्किंसन रोग के बारे में जागरूक करना है। पार्किंसन एक ऐसी बीमारी है, जिसमें तंत्रिका तंत्र लगातार कमज़ोर होता जाता है। इस बीमारी का कोई इलाज़ उपलब्ध नहीं है। पार्किंसन के कारण चलने-फिरने की गति धीमी पड़ जाती है और मासपेशियाँ सख्त हो जाती हैं तथा शरीर में कंपन की समस्या पैदा हो जाती है। सामान्यतः 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में पार्किंसन रोग के लक्षण दिखते हैं किंतु यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता है। शरीर में कंपन, जकड़न, शिथिल गतिशीलता, झुककर चलना, याद्दाश्त संबंधी समस्याएँ और व्यवहार में बदलाव आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं। यह मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाता है, जिससे डोपामाइन के स्तर में कमी आती है। डोपामाइन एक रसायन है, जो मस्तिष्क से शरीर में व्यवहार संबंधी संकेत भेजता है। यद्यपि दवा से रोग के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है, किंतु इस रोग को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है। आँकड़ों की मानें तो दुनिया भर में, लगभग 10 मिलियन लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं।

 विश्‍व होम्‍योपैथी दिवस

होम्योपैथी के महत्त्व और चिकित्सा जगत में इसके योगदान को उजागर करने के लिये प्रत्येक वर्ष 10  अप्रैल को विश्‍व होम्‍योपैथी दिवस का आयोजन किया जाता है। यह दिवस होम्योपैथी के संस्थापक डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन की जयंती को भी संदर्भित करता है। होम्योपैथी के संस्थापक और विभिन्न चिकित्सीय पद्धतियों के जन्‍मदाता डॉ. क्रिश्चियन हैनीमैन का जन्म 10 अप्रैल, 1775 को जर्मनी में हुआ था। डॉ. क्रिश्चियन हैनीमैन द्वारा होम्‍योपैथी की खोज अठारहवीं सदी के अंत के दशक में की गई थी। 'होम्योपैथी' शब्द की उत्पत्ति दो ग्रीक शब्दों से हुई है, जिसमें ‘होमोइस’ का अर्थ ‘समान’ से तथा ‘पैथोस’ का अर्थ ‘दुख’ से है। यह ‘सम: समम् शमयति’ या ‘समरूपता’ दवा सिद्धांत पर आधारित एक चिकित्सीय प्रणाली है। यह प्रणाली दवाओं द्वारा रोगी का उपचार करने की एक ऐसी विधि है, जिसमें किसी स्वस्थ व्यक्ति में प्राकृतिक रोग का अनुरूपण करके समान लक्षण उत्पन्न किये जाते हैं जिससे रोगग्रस्त व्यक्ति का उपचार किया जा सकता है।

‘HD1’ आकाशगंगा की खोज

हाल ही में जापान के शोधकर्त्ताओं ने ‘HD1’ नामक एक नई आकाशगंगा की खोज की है, जिसे अब तक का सबसे दूर स्थित खगोलीय निकाय माना जा रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इसकी आश्चर्यजनक चमक को समझाना वर्तमान में काफी मुश्किल है और यह इसके केंद्र में एक विशाल ब्लैक होल या अत्यंत विशाल आदिम सितारों के निर्माण के कारण हो सकती है। विश्लेषकों के अवलोकन से पता चला है कि ‘HD1’ लगभग 33.4 बिलियन प्रकाश वर्ष दूर स्थित है, जो कि अब तक देखे गए पिछले सबसे दूर के निकाय यानी ‘GN-z11’ नामक एक आकाशगंगा से एक अरब प्रकाश वर्ष दूर है। यह आकाशगंगा पराबैंगनी तरंगदैर्ध्य के कारण असाधारण रूप से चमक रही है, जिसका अर्थ है कि जो कुछ भी इसका प्रकाश उत्पन्न कर रहा है वह शायद अत्यंत गर्म है। शोधकर्त्ताओं का मत है कि ‘HD1’ अब अस्तित्त्व में नहीं है, लेकिन इसका प्रकाश अभी भी हमारी दिशा में यात्रा कर रहा है, जिसके माध्यम से इसका अध्ययन किया जा रहा है। 

‘मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस’ परियोजना

विश्व बैंक और ‘एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक’ (AIIB) गुजरात सरकार की ‘मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस परियोजना’ के लिये 7,500 करोड़ रुपए का ऋण प्रदान करेंगे, जिसका उद्देश्य राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है। ‘मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस’ परियोजना के तहत राज्य सरकार अगले पाँच वर्षों में 10,000 करोड़ रुपए खर्च करेगी और राज्य के सभी 35,133 सरकारी और 5,847 अनुदान प्राप्त स्कूलों को कवर करेगी। राज्य भर के 41,000 सरकारी और अनुदान प्राप्त स्कूलों में 50,000 नई कक्षाओं के निर्माण, 1.5 लाख स्मार्ट क्लासरूम, 20,000 नई कंप्यूटर लैब और 5,000 टिंकरिंग लैब बनाने पर धन खर्च किया जाएगा। अनुमान के मुताबिक, आगामी पाँच वर्षों में लगभग एक करोड़ स्कूली छात्रों को इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना से सीधे लाभ होगा।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow