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प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स: 27 सितंबर, 2021

  • 27 Sep 2021
  • 18 min read

जम्मू और कश्मीर में सुरंगें

Tunnels in Jammu & Kashmir

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highway- NH) परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे तथा केंद्रशासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर में जेड-मोड़ (Z-Morh) तथा जोजिला सुरंग (Zojila Tunnel) की समीक्षा एवं निरीक्षण करेंगे।

प्रमुख बिंदु

  • श्यामा प्रसाद मुखर्जी सुरंग: चेनानी-नाशरी सुरंग (Chenani-Nashri Tunnel) का नाम बदलकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी सुरंग (Shyama Prasad Mukherjee Tunnel) कर दिया गया है।
    • यह न केवल भारत की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग (9 किमी. लंबी) है बल्कि एशिया की सबसे लंबी द्वि-दिशात्मक राजमार्ग सुरंग (Bi-directional Highway Tunnel) भी है। 
    • यह जम्मू एवं कश्मीर में उधमपुर तथा रामबन के मध्य निम्न हिमालय पर्वत शृंखला में स्थित है।
  • बनिहाल काज़ीगुंड सुरंग: यह बनिहाल और काज़ीगुंड को जोड़ने वाले जम्मू एवं कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश में पीर पंजाल रेंज में 1,790 मीटर की ऊंँचाई पर स्थित 8.5 किमी. लंबी सड़क सुरंग (Road Tunnel) है।
  • जवाहर सुरंग: इसे बनिहाल सुरंग (Banihal Tunnel) या बनिहाल दर्रा (Banihal Pass) भी कहा जाता है। इस सुरंग की लंबाई 2.85 किमी. है।
    • यह बनिहाल और काज़ीगुंड के मध्य  NH 1A पर स्थित है जिसे NH 44 नाम दिया गया है।
    • यह सुरंग श्रीनगर और जम्मू के बीच वर्ष भर सड़क संपर्क की सुविधा प्रदान करती है।
  • नंदनी सुरंगें: ये सुरंगें उधमपुर ज़िले में जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर नंदनी वन्यजीव अभयारण्य  (Nandni Wildlife Sanctuary) के तहत निर्मित चार राजमार्ग सुरंगों की शृंखला है।
    • इस चारोंसुरंगों की कुल लंबाई 1.4किलोमीटर है जिन्होंने जम्मू-श्रीनगर के बीच की दूरी और यात्रा के समय को कम कर दिया है।
  • पीर पंजाल रेलवे सुरंग: यह भारत की सबसे लंबी रेलवे सुरंग है जिसकी लंबाई 11.2 किमी. है।
    • यह टनल लिंक, जो कि भारत में एकमात्र ब्रॉड गेज पर्वतीय रेलवे है, काज़ीगुंड और बारामूला के मध्य पीर पंजाल पर्वत शृंखला के माध्यम फैला हुआ है। 
    • सुरंग का यह भाग उत्तर रेलवे द्वारा शुरू की गई 202 किमी. लंबी उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना का एक हिस्सा है। 
  • जेड-मोड़ सुरंग: यह श्रीनगर-कारगिल-लेह राजमार्ग पर ज़ोजिला दर्रे से 20 किमी. दूर एक निर्माणाधीन सुरंग है।
    • 6.5 किमी. लंबी यह सुरंग गगनगीर को सीधे कश्मीर के सोनमर्ग से जोड़ेगी।
  • ज़ोजिला सुरंग: यह एक निर्माणाधीन सुरंग है जो श्रीनगर के उत्तर-पूर्व में NH 1 के श्रीनगर-लेह खंड पर स्थित है। 
    • यह बालतल और मीनामार्ग के बीच 14.2 किलोमीटर लंबी सड़क सुरंग है।
    • ज़ोजिला सुरंग एशिया की सबसे लंबी सड़क सुरंग होगी, जिसे समुद्र तल से 11,578 मीटर की ऊंँचाई पर बनाया जाएगा।
    • यह लेह, कारगिल और श्रीनगर के मध्य पूरे वर्ष सभी मौसमों में सुरक्षित संपर्क सुनिश्चित करेगी।
  • नीलग्रार सुरंगें
    • नीलग्रार-I एक ट्विन ट्यूब सुरंग (Twin Tube Tunnel) है जिसकी लंबाई 433 मीटर है।  
    • नीलग्रार ट्विन ट्यूब सुरंग-II की लंबाई 1.95 किलोमीटर है।
    •  नीलग्रार-I और नीलग्रार-II सुरंगें ज़ोजिला पश्चिम पोर्टल तक 18.0 किलोमीटर लंबी सड़क का हिस्सा हैं। 
      • ज़ोजिला सुरंग लद्दाख क्षेत्र कारगिल, द्रास और लेह को कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। 
  • चटर्जला सुरंग: यह जम्मू एवं कश्मीर में एक निर्माणाधीन सड़क सुरंग है।
    • यह सुरंग 6.8 किमी. लंबी होगी जो जम्मू-कश्मीर के कठुआ और डोडा ज़िलों को बसोहली-बनी (Basohli-Bani) के मध्य से चटर्जला से जोड़ेगी।

सांस्कृतिक मानचित्रण पर राष्ट्रीय मिशन

National Mission on Cultural Mapping

हाल ही में सांस्कृतिक मानचित्रण पर राष्ट्रीय मिशन (NMCM) को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) को सौंप दिया गया है, जो अक्तूबर 2021 में 75 गाँवों में ट्रायल रन शुरू करेगा।

  • IGNCA की स्थापना 1987 में संस्कृति मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान के रूप में कला के क्षेत्र में अनुसंधान, अकादमिक खोज और प्रसार के लिये एक केंद्र के रूप में की गई थी।
  • IGNCA का लक्ष्य वित्तीय वर्ष 2021-2022 के अंत तक 5,000 गाँवों में मानचित्रण का काम पूरा करना है।

प्रमुख बिंदु:

  • NMCM के बारे में:
    • मंत्रालय के तहत विभिन्न संगठनों से कलाकारों, कला रूपों और अन्य संसाधनों का एक व्यापक डेटाबेस बनाने के लिये वर्ष 2017 में संस्कृति मंत्रालय ने NMCM को मंज़ूरी दी थी।
    • इसका उद्देश्य समृद्ध भारतीय कला और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की आवश्यकताओं को संबोधित करना, भारत के विशाल एवं व्यापक सांस्कृतिक कैनवास को एक उद्देश्यपूर्ण सांस्कृतिक मानचित्रण में परिवर्तित करने के साथ ही पूरे देश में एक मज़बूत "सांस्कृतिक जीवंतता" का निर्माण करना है।
    • इसमें डेटा मानचित्रण, जनसांख्यिकी निर्माण, प्रक्रियाओं को औपचारिक रूप देना और बेहतर परिणामों के लिये सभी सांस्कृतिक गतिविधियों को एक छत्र के नीचे लाना शामिल है।
    • लोक कलाओं का एक डेटाबेस बनाने और गाँवों की विरासत के मानचित्रण का काम पाँच वर्षों में (2017 से) किया जाएगा।
    • गाँवों से इस तरह के आँकड़े एकत्र करने के लिये नेहरू युवा केंद्र संगठन, राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों और समाजशास्त्र तथा सामाजिक कार्य के छात्रों को प्रतिनियुक्त किया जाएगा।
  • कला और संस्कृति से संबंधित अन्य योजनाएँ:

राजाजी टाइगर रिज़र्व: उत्तराखंड

Rajaji Tiger Reserve: Uttarakhand

हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त एक समिति ने राजाजी टाइगर रिज़र्व के बफर ज़ोन में 4.7 किलोमीटर की सड़क (लालढांग-चिल्लरखाल रोड) के उन्नयन के लिये दी गई छूट पर सवाल उठाया है और केंद्र तथा उत्तराखंड सरकार से इस पर जवाब मांगा है।

  • सड़कों की माप में छूट को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (National Board for Wildlife- NBWL) द्वारा मंज़ूरी दी गई थी जो कि संरक्षित क्षेत्रों के अंतर्गत तथा उनके आस-पास परियोजनाओं को मंज़ूरी देने वाली शीर्ष एजेंसी है।

प्रमुख बिंदु

  • टाइगर रिज़र्व का कोर तथा बफर क्षेत्र:
    • वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम 2006 के  के अनुसार, एक बाघ अभयारण्य में एक कोर या महत्त्वपूर्ण आवास क्षेत्र तथा इसके परिधीय क्षेत्र में एक बफर ज़ोन अवश्य होना चाहिये।
    • जहाँ संरक्षण की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण आवास (Critical Habitat) को संरक्षित रखा जाना आवश्यक है वहीं बाघों के प्रसार के लिये पर्याप्त स्थान के साथ आवास की अखंडता सुनिश्चित करने हेतु एक बफर ज़ोन का होना भी आवश्यक है। इसका उद्देश्य वन्य जीवन और मानव गतिविधि के बीच सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना है।
  • राजाजी टाइगर रिज़र्व के विषय में: 
    • अवस्थिति: हरिद्वार (उत्तराखंड), शिवालिक श्रेणी की तलहटी में। यह राजाजी नेशनल पार्क का हिस्सा है।
    • पृष्ठभूमि: राजाजी राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1983 में उत्तराखंड में तीन अभयारण्यों यानी राजाजी, मोतीचूर और चीला को मिलाकर की गई थी।
      • इसका नाम प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी सी. राजगोपालाचारी के नाम पर रखा गया था; जो कि "राजाजी" के नाम से प्रसिद्ध थे। 
      • वर्ष 2015 में इसे टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया तथा यह देश का 48वाँ टाइगर रिज़र्व बना।
    • प्रमुख विशेषताएँ:
      • वनस्पति: चौड़ी पत्ती वाले पर्णपाती वन, नदी तटीय वनस्पति, झाड़ियाँ, घास के मैदान और देवदार के वन इस पार्क में वनस्पतियों की एक श्रेणी बनाते हैं।
        • साल (Shorea robusta) यहाँ पाई जाने वाली प्रमुख वृक्ष प्रजाति है।
      • जीवजगत: यह रिज़र्व बाघ, हाथी, तेंदुआ, हिमालयी काला भालू, सुस्त भालू/स्लॉथ बियर, सियार, लकड़बग्घा, चित्तीदार हिरण, सांभर, बार्किंग डिअर, नीलगाय, बंदर और पक्षियों की 300 से अधिक प्रजातियों सहित स्तनधारियों की 50 से अधिक प्रजातियों का निवास स्थान है।
      • नदियाँ: गंगा और सोंग नदियाँ इससे होकर गुज़रती हैं।
  • उत्तराखंड में अन्य संरक्षित क्षेत्र:
    • जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क (भारत का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान)
    • फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान और नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान जो एक साथ यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल हैं। 
    • गोविंद पशु विहार राष्ट्रीय उद्यान तथा अभयारण्य
    • गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान
    • नंधौर वन्यजीव अभयारण्य

Uttarakhand


असम की जुडिमा वाइन राइस को जीआई टैग

GI Tag to Assam’s Judima Wine Rice 

  • हाल ही में असम की जुडिमा (Judima) वाइन राइस, भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग हासिल करने वाली पूर्वोत्तर में पहली पारंपरिक शराब बन गई है।
    • जुडिमा, असम की डिमासा जनजाति द्वारा घरेलू/स्थानीय चावल से निर्मित शराब है। 
  • यह जीआई टैग प्राप्त करने वाला कार्बी आंगलोंग और डिमा हासाओ के पहाड़ी ज़िलों का दूसरा उत्पाद है।
  • इससे पहले मणिपुर की प्रसिद्ध हाथी मिर्च और तामेंगलोंग संतरा को भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग मिला है।

भौगोलिक संकेतक (GI)

  • जीआई एक संकेतक है जिसका उपयोग एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में उत्पन्न होने वाली विशिष्ट विशेषताओं वाली वस्तुओं की पहचान करने के लिये किया जाता है।
  • यह विश्व व्यापार संगठन के बौद्धिक संपदा अधिकारों (ट्रिप्स) के व्यापार-संबंधित पहलुओं का भी हिस्सा है।
  • भारत में, भौगोलिक संकेतक के पंजीकरण को वस्तुओं के भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 [Geographical Indications of Goods (Registration and Protection) Act,1999] द्वारा विनियमित किया जाता है। यह भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री (चेन्नई) द्वारा जारी की जाती है।  
  • एक भौगोलिक संकेतक का पंजीकरण 10 वर्ष की अवधि के लिये वैध होता है।
  • भारत में जीआई सुरक्षा से अन्य देशों में उत्पाद की पहचान होती है जिससे निर्यात को बढ़ावा मिलता है।

प्रमुख बिंदु

  • जुडिमा (Judima) के बारे में:
    • जुडिमा, चिपचिपा चावल या स्टिकी राइस (बोरा नामक चिपचिपा चावल) से निर्मित शराब है, जिसमें उबले हुए और पारंपरिक जड़ी बूटियों को मिश्रित किया जाता है जिसे थेम्ब्रा [Thembra (Acacia pennata)] कहा जाता है।
    • यह शराब राज्य (असम) की डिमासा जनजाति की विशेषता है और इसका एक विशिष्ट मीठा स्वाद है जिसे तैयार करने में लगभग एक सप्ताह का समय लगता है तथा इसे वर्षों तक संग्रहीत किया जा सकता है।
      • राज्य में लगभग 14 मान्यता प्राप्त मैदानी जनजाति समुदाय, 15 पहाड़ी जनजाति समुदाय और 16 मान्यता प्राप्त अनुसूचित जाति समुदाय हैं।
      • बोडो सबसे बड़ा समूह है, जिसमें राज्य की जनजातीय आबादी का लगभग आधा हिस्सा शामिल है। अन्य प्रमुख एसटी समूहों में मिसिंग, कार्बी, राभा, कचारी, लालुंग और डिमासा शामिल हैं।
  • असम के अन्य हालिया जीआई टैग प्राप्त उत्पाद:
    • काजी नेमू (एक प्रकार का नींबू) (2020)
    • असम का चोकुवा चावल (2019)

सौभाग्य योजना

SAUBHAGYA Scheme

हाल ही में प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य योजना) ने अपने कार्यान्वयन के चार वर्ष सफलतापूर्वक पूरे कर लिये हैं।

  • इसकी शुरुआत से लेकर 31 मार्च, 2021 तक 2.82 करोड़ घरों का विद्युतीकरण किया जा चुका है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • इसे वर्ष 2017 में देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सभी घरों का विद्युतीकरण सुनिश्चित करने के लिये शुरू किया गया था।
  • उद्देश्य:
    • लास्ट माइल कनेक्टिविटी अर्थात् अंतिम बिंदु तक कनेक्टिविटी के माध्यम से देश में सार्वभौमिक घरेलू विद्युतीकरण लक्ष्य प्राप्त करना। 
    • ग्रामीण क्षेत्रों में सभी गैर-विद्युतीकृत घरों और शहरी क्षेत्रों में गरीब परिवारों तक बिजली की पहुँच प्रदान करना।
  • लाभार्थी:
    • इनकी पहचान सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना (SECC) 2011 के आँकड़ों का उपयोग कर की जाती है। 
    • यद्यपि SECC डेटा के दायरे में नहीं आने वाले गैर-विद्युतीकृत घरों को भी 500 रुपए का भुगतान कर योजना के तहत विद्युत कनेक्शन प्रदान किया जाएगा।
  • अपेक्षित परिणाम:
    • प्रकाश के प्रयोजन हेतु उपयोग किये जाने वाले मिट्टी तेल के प्रतिस्थापन द्वारा पर्यावरण उन्नयन।
    • शिक्षा सेवाओं में सुधार।
    • बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ।
    • रेडियो, टेलीविज़न, मोबाइल आदि के माध्यम से बेहतर कनेक्टिविटी।
    • आर्थिक गतिविधियों और नौकरियों में वृद्धि।
    • विशेषकर महिलाओं के जीवन गुणवत्ता में सुधार।
  • संबंधित पहलें:
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