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फोटोनिक क्रिस्टल

  • 16 Nov 2022
  • 3 min read

शोधकर्त्ताओं ने बेहतर तापीय स्थिरता और ऑप्टिकल शुद्धता के साथ एक नरम समायोज्य फोटोनिक क्रिस्टल बनाया है जो दृश्यमान स्पेक्ट्रम में चमकीले रंगों को दर्शाता है तथा इसका उपयोग बेहतर एवं अधिक लचीला परावर्तक डिस्प्ले और लेज़र सिस्टम बनाने के लिये किया जा सकता है।

फोटोनिक क्रिस्टल:

  • परिचय:
    • फोटोनिक क्रिस्टल ऑप्टिकल नैनोस्ट्रक्चर होते हैं जिनमें अपवर्तक सूचकांक समय-समय पर बदलता रहता है।
      • अपवर्तनांक एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाने पर प्रकाश की किरण के झुकने का माप है । इसे अपवर्तन सूचकांक भी कहा जाता है।
    • यह प्रकाश सीधा प्रसार(प्रोपेगेशन) को उसी प्रकार प्रभावित करता है जिस प्रकार प्राकृतिक क्रिस्टल की संरचना से एक्स-किरणों (X-rays) का विवर्तन होता है और अर्द्धचालकों के परमाणु जाल (क्रिस्टल संरचना) इलेक्ट्रॉनों की चालकता को प्रभावित करते हैं।
    • फोटोनिक क्रिस्टल प्रकृति में संरचनात्मक रंगाई और पशु परावर्तकों के रूप में होते हैं।
      • प्रकृति में पाए जाने वाले उदाहरणों में दूधिया पत्थर (opal), तितली के पंख, मोर के पंख आदि शामिल हैं, जो अलग-अलग इंद्रधनुषी रंगों का प्रदर्शन करते हैं।
  • उपयोग:
    • कृत्रिम रूप से उत्पादित या प्रयोगशालाओं में इंजीनियरिंग के क्रम में फोटोनिक क्रिस्टल के उपयोग के तहत परावर्तन कोटिंग्स से लेकर ऑप्टिकल कंप्यूटर तक के अनुप्रयोग शामिल हैं।
    • यह पीसी को दृश्यमान वर्णक्रमीय व्यवस्था में रचनात्मक रंगों को प्रदर्शित करने में सक्षम बनाते हैं।
    • शोधकर्त्ता भी इन-सीटू पोस्ट-फैब्रिकेशन (in-situ post-fabrication) के गुणों के साथ तालमेल हेतु निरंतर प्रयासरत रहे हैं।
    • तरल क्रिस्टल (LC) का उपयोग करके विकसित की जाने वाली उन्नत फोटोनिक सामग्री और उपकरणों के प्रति आकर्षण में व्यापक वृद्धि हुई है क्योंकि ये बाह्य उद्दीपन के प्रतिक्रिया स्वरूप स्वतः संगठित होने, चरणबद्ध संक्रमण और आणविक अभिविन्यास जैसे व्यवहार प्रदर्शित करते हैं।

स्रोत: पी.आई.बी.

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